दिवालिया होने की कगार पर खड़े अमेरिका इंश्योरेंस ग्रुप (एआईजी) की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं।
हालांकि न्यू यॉर्क स्टेट के अधिकारियों ने कंपनी को अपनी बैलेंस शीट से ही यानी अपनी कुछ परिसंपत्तियां बेचकर 20 अरब डॉलर जुटाने की मंजूरी दे दी है। लेकिन पैसे के संकट से जूझ रही इस कंपनी की रेटिंग लगातार गिरती जा रही है।
कंपनी जल्द से जल्द पुनर्संरचना की योजना का ऐलान करना चाहती है। उसे 40 अरब डॉलर जुटाने हैं। इसके लिए वह अरबपति निवेशक वारेन बफे से भी कंपनी के अधिग्रहण पर बातचीत कर रही है। उसकी एयरप्लेन लीजिंग और ऑटो फाइनेंस का कारोबार बेचने की भी योजना है।
कंपनी ने मदद के लिए फेडेरल रिजर्व से भी शार्ट टर्म फाइनेंसिंग की बात कर पहले ही 40 अरब डॉलर का ब्रिज लोन मांग चुकी है। उसे पिछली तीन तिमाहियों में करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। उधर माना जा रहा है कि गोल्डमैन सैक्स और जेपी मॉर्गन चेस मिलकर एआईजी के लिए 75 अरब डॉलर का इमरजेंसी पैकेज की फंडिंग की सोच रही हैं ताकि कंपनी को बचाया जा सके।
मंगलवार को रेटिंग एजेंसी ने एआईजी की डेट की रेटिंग को कम कर दिया है। लेकिन मंगलवार को जैसे ही कारोबार प्रारंभ हुआ अधिकांश निवेशकों ने वालस्ट्रीट में लीमन ब्रदर्स की ओर से दायर दिवालिया होने की याचिका के बाद आए भूचाल के कारण एआईजी से अपना पैसा निकालना प्रारंभ कर दिया।
सोमवार को एआईजी के शेयर 61 फीसदी नीचे गिरे थे और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस दुनिया के सबसे बड़े बीमाकर्ता के लिए विकल्प तलाशने के लिए मॉर्गन स्टेनली की सेवाएं ली हैं। एआईजी इस साल अपना 92 फीसदी मूल्यांकन गंवा चुकी है।
सीएफसी सेमोर के मुख्य निवेश रणनीतिकार दारुईज कोवालचेइक ने बताया कि नियामक ने एआईजी को कैश जुटाने के लिए अपनी सहायक इकाइयों को बिकवाली की अनुमति दे दी है। हालांकि इससे लंबे समय के संकट से उबरने में मुश्किल आएगी। इसका असर दूसरे देशों की बीमा कंपनियों पर भी पड़ेगा।
इसके चलते इसके शेयर नियमित सत्र में 27 फीसदी गिरने के बाद फिर घंटों के कारोबार में नीचे आए। मूडीज निवेश सेवा ने एआईजी की रेटिंग को ए2 से घटाकर एए 3 कर दिया है। एसएंडपी ने इसकी रेटिंग ए- से घटाकर एए- कर दी है।