केरल के वायनाड में पश्चिमी घाट का शानदार पहाड़ी इलाका अनोखी छटा बिखेरता है। यहां के नजारे इतने खूबसूरत हैं कि लोग इसे आमतौर पर ‘हरा स्वर्ग’ कहा करते हैं। यह पूरा प्राकृतिक परिदृश्य इस साल जुलाई में उस समय घोर निराशाजनक माहौल में तब्दील हो गया जब भारी वर्षा और भूस्खलन से यहां 231 लोगों की जान चली गई और 118 लापता हो गए। इस आपदा में 400 से अधिक लोग घायल भी हुए।
वाम दलों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुसार इतिहास की सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा के दौरान जो एक चीज की कमी खल रही थी वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस्तीफा दे देने कारण क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की थी।
लोक सभा चुनाव के पांच महीने और घातक आपदा के तीन माह बाद वायनाड में 13 नवंबर को उपचुनाव हो रहा है, जिसमें 14.6 लाख से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। आज सबसे ज्यादा यही सवाल उठ रहा है। राहुल गांधी ने दो जगह रायबरेली और वायनाड से लोक सभा चुनाव लड़ा था। एक सीट से ही सांसद रहने के नियम के कारण बाद में उन्होंने रायबरेली में कायम रहते हुए वायनाड सीट छोड़ दी थी।
अब अपने पारंपरिक गढ़ से गांधी परिवार की एक और सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा (52) औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रख रही हैं। पूरे वायनाड में लगे पोस्टरों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से तुलना करते हुए उन्हें भारत की अगली आयरन लेडी के रूप में चित्रित किया जा रहा है।
मानहानि केस में अयोग्य ठहराए जाने के बाद सांसदी चले जाने पर राहुल गांधी को दृढ़ता से समर्थन देने के लिए प्रियंका अपनी हर रैली में क्षेत्र के मतदाताओं का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलती हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि वायनाड से प्रियंका गांधी जीत लगभग तय दिख रही है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या वह स्वास्थ्य सुविधाओं, बुनियादी ढांचा, शिक्षा और बिजली जैसी इस क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं को हल कर पाएंगीं?
जून में आयोजित लोक सभा चुनाव में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2019 के 4.31 लाख वोटों से घटकर इस बार 3.64 लाख रह गया। माकपा के एन्नी राजा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। प्रियंका के खिलाफ माकपा ने सत्यन मुकरी और भाजपा ने यहां से पार्टी की महिला मोर्चा की राज्य महासचिव तथा कोझिकोड नगर निगम की पार्षद नव्या हरिदास को उतारा है। दोनों ही नेताओं की राष्ट्रीय स्तर पर कोई खास पहचान नहीं है।
जो लोग अभी से यह कह रहे हैं कि खेल खत्म हो गया है, उन्हें जवाब देते हुए वाम दल कुछ आंकड़े गिनाते हैं। वर्ष 2009 में लोक सभा क्षेत्र बनने से अब तक इस क्षेत्र में चार आम चुनाव हुए हैं, जिनमें से तीन में कांग्रेस को करीब 1.5 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई है। केवल 2014 का चुनाव ऐसा रहा, जिसमें कांग्रेस के लोकप्रिय नेता एमआई शाहनवाज सिर्फ 20,870 वोटों से जीते। उस चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार के समक्ष माकपा ने मुकरी को मुकाबले की जिम्मेदारी सौंपी थी।