दिल्ली के एक कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में राजस्थान के चीफ मिनिस्टर अशोक गहलोत की याचिका खारिज कर दी। उन पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मानहानि का आरोप लगाया था।
शेखावत कोर्ट की सुनवाई में 7 और 21 अगस्त को मौजूद नहीं रहे। जिसके चलते गहलोत के वकील मोहित माथुर ने याचिका लगाई थी। उन्होंने कहा, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 256 के अनुसार, अगर शिकायतकर्ता बिना किसी उचित वजह के अदालत से अनुस्थित रहता है, तो आरोपी को निर्दोष घोषित किया जाना चाहिए।
गहलोत की याचिका के जवाब में, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल ने बताया कि अदालत की वे तारीखें मुख्य रूप से दस्तावेज जमा करने और समीक्षा करने के लिए थीं। साथ ही, शेखावत के वकील उन दोनों दिनों में उपस्थित हुए थे।
इसलिए, अदालत ने फैसला किया कि शिकायतकर्ता की केवल दो तारीखों पर अनुपस्थिति, जहां उसका वकील मौजूद था और उसका प्रतिनिधित्व कर सकता था, आरोपी को निर्दोष घोषित करने के लिए CrPC की धारा 256 के योग्य नहीं है। नतीजतन, बरी करने का गहलोत का अनुरोध खारिज कर दिया गया।
संजीवनी घोटाला
मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत पर संजीवनी घोटाले से जुड़े होने का आरोप लगाया था। इस घोटाले में दावा किया गया कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने हजारों निवेशकों को पर्याप्त लाभ का वादा करके उनसे लगभग 900 करोड़ रुपये ठग लिए। गहलोत के कॉमेंट के जवाब में शेखावत ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
मार्च 2023 में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था कि वे जांच करें कि क्या वास्तव में मुख्यमंत्री ने इस तरह का कथित बयान दिया था। जब पुलिस ने बयानों की पुष्टि कर ली, तो कोर्ट ने गहलोत को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब किया। 6 जुलाई 2023 को सभी सबूतों को परखने के बाद, जसपाल ने कहा कि प्राइमा फेसी से पता चलता है कि आरोपी (गहलोत) ने मानहानि वाला बयान दिया था।
यह सब कुछ राजस्थान में होने वाले आगामी चुनाव के पहले हुआ है। राज्य विधानसभा चुनाव दिसंबर 2023 या जनवरी 2024 में हो सकते हैंj। चुनाव के लिए कांग्रेस अपने कैंडीडेट्स की घोषणा सितंबर के अंत तक कर सकती है।