लोकसभा चुनाव

संसदीय क्षेत्र हाजीपुर: चिराग पासवान ही हैं पिता के असली उत्तराधिकारी! लोकसभा चुनाव में दिखा रहे पूरा दमखम

Chirag Paswan: रामविलास पासवान ने पहली बार हाजीपुर से साल 1977 में 89.3 फीसदी वोट हासिल कर चुनाव में जीत हासिल की थी और फिर सात बार वह इस सीट पर अजेय रहे।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- May 13, 2024 | 10:22 PM IST

समाजवादी नेता रामविलास पासवान और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास का गढ़ कहलाने वाली हाजीपुर लोक सभा सीट से इस बार चुनावी मैदान में रामविलास के बेटे चिराग पासवान हैं। चिराग इसलिए इस बार अपना पूरा दमखम दिखा रहे हैं ताकि यह साबित हो सके कि इस परंपरागत सीट पर वही अपने पिता के सच्चे उत्तराधिकारी हैं न कि उनके चाचा और रामविलास के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस।

सोमवार को हाजीपुर में एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे दिवंगत रामविलास पासवान के साथ अपने संबंधों को याद किया और क्षेत्र के मतदाताओं से अपील की कि चिराग की जीत का अंतर उनके पिता के जीत के रिकॉर्ड को भी तोड़ दे।

रामविलास पासवान ने पहली बार हाजीपुर से साल 1977 में 89.3 फीसदी वोट हासिल कर चुनाव में जीत हासिल की थी और फिर सात बार वह इस सीट पर अजेय रहे। साल 1989 के चुनावों में उन्हें 84 फीसदी मतदाताओं का साथ मिला। उसके बाद साल 2004 में पासवान अपनी लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए जनता दल से बाहर हो गए।

इस सीट से वह 1984 के चुनावों में पहली बार हार गए थे। तब कांग्रेस की लहर के दौरान उन्हें कांग्रेस के राम रतन राम से मात खानी पड़ी थी और साल 2009 में उन्हें जनता दल यूनाइटेड के राम सुंदर दास ने हराया था। उस साल के चुनावों में पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गठबंधन बनाया था।

उसके बाद साल 2014 के चुनावों में रामविलास पासवान ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया और इसका पूरा श्रेय अपने बेटे चिराग पासवान को दिया। उन्होंने साल 2019 में अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस के लिए हाजीपुर सीट खाली कर दी और चिराग ने जमुई सीट से साल 2014 और 2019 का चुनाव लड़कर जीत हासिल की।

साल 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद चाचा और भतीजे के बीच उनकी विरासत के लिए लड़ाई छिड़ गई। साल 2024 के लोक सभा चुनावों के लिए चिराग को आगे बढ़ने का मौका मिला क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्व वाली लोजपा गुट के साथ गठबंधन किया और पारस ने इसके विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया।

यह भी एक संयोग है कि राघोपुर विधान सभा सीट वैशाली जिले की हाजीपुर लोक सभा सीट के अंतर्गत ही है, जहां से साल 1995 से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने प्रतिनिधित्व किया है ( 2010 को छोड़कर)। साल 2015 और 2020 में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से वहां चुनाव जीत रहे हैं।

First Published : May 13, 2024 | 10:22 PM IST