राजनीति

Farmer Protest: जानें किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च की सारें बातें..

‘मरजीवड़ा’ उन लोगों को कहा जाता है, जो किसी मकसद के लिए अपनी जान भी देने को तैयार हों। इस बार 101 ‘मरजीवड़ा’किसान, दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं।

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निमिष कुमार   
Last Updated- December 06, 2024 | 7:13 PM IST

पंजाब- हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर से 101 किसानों के एक जत्थे ने शुक्रवार को दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया, लेकिन उन्हें कुछ मीटर बाद ही बहुस्तरीय अवरोध लगाकर रोक दिया गया। जब कुछ किसान शंभू बॉर्डर पर हरियाणा की ओर लगाए गए अवरोधकों के पास पहुंच गए, तो सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। पैदल मार्च शुरू करने वाले किसानों के जत्थे को वापस जाने के लिए मजबूर करने को लेकर कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे गए। कुछ किसान सड़क से लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़ते नजर आए और उन्होंने धुएं से बचने के लिए गीले जूट के बोरे से अपने चेहरे ढके हुए थे। किसानों ने दावा किया कि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों के एक समूह पर आंसू गैस के गोले दागे जो शांतिपूर्वक आगे बढ़ना चाहते थे। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि कुछ किसानों को चोटें आईं और उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया।

जत्थे ने दोपहर एक बजे अपना मार्च शुरू किया, लेकिन कुछ मीटर दूरी पर उन्हें हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए बहुस्तरीय अवरोधकों से रोक दिया गया। ‘सतनाम वाहेगुरु’ का जाप करते हुए और किसान यूनियन के झंडे एवं आवश्यक वस्तुएं लेकर मार्च कर रहे जत्थे ने शुरुआती स्तर के अवरोधक आसानी से पार कर लिए, लेकिन बाद में वे आगे नहीं बढ़ सके। कुछ किसानों ने लोहे की जाली एवं कंटीले तारों को हटा दिया और कुछ अन्य ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से लोहे की कीलें भी उखाड़ दीं। सुरक्षा के लिए लगाए गए लोहे की ग्रिल वाले अवरोधकों के पीछे खड़े सुरक्षाकर्मी किसानों से यह कहते देखे गए कि वे आगे न बढ़ें, क्योंकि उनके पास इसकी अनुमति नहीं है। प्रदर्शनकारियों में शामिल एक व्यक्ति टिन की छत पर चढ़ गया, जहां सुरक्षा बल तैनात थे। उसे जबरन नीचे उतारा गया। शंभू बॉर्डर पर पानी की बौछारें करने की भी व्यवस्था की गई है। इस बीच, किसान नेताओं ने शुक्रवार के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च स्थगित करने की घोषणा की।

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किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सिख गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस भी मनाया। इस बीच, एसकेएम नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने खनौरी बॉर्डर पर अपना आमरण अनशन जारी रखा। किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर शंभू और खनौरी में रोक दिया था। सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च करने से रोके जाने के बाद वे 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में इससे पहले पैदल दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी। उनकी मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कई अन्य मांग शामिल हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मार्च शुरू करने वाले 101 किसानों को ‘मरजीवड़ा’ (ऐसे लोग, जो किसी मकसद के लिए जान भी देने को तैयार हों) कहा था। पंधेर ने हरियाणा प्रशासन द्वारा पैदल मार्च पर रोक लगाए जाने की आलोचना की।

पंधेर ने कहा था कि अगर सरकार उन्हें पैदल मार्च निकालने से रोकती है, तो यह उनकी ‘‘नैतिक जीत’’ होगी, क्योंकि उनके नेता कह रहे हैं कि अगर किसान ट्रैक्टर ट्रॉली नहीं लाते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर हम पैदल दिल्ली जाते हैं, तो किसानों को रोकने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।  पंधेर ने सोमवार को कहा था कि किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अंबाला के पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और उन्हें छह दिसंबर को दिल्ली तक पैदल मार्च करने के बारे में जानकारी दी। पंधेर ने कहा था कि प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस को आश्वासन दिया है कि मार्च शांतिपूर्ण रहेगा और मार्ग पर यातायात अवरुद्ध नहीं किया जाएगा।

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किसानों की मांगें:

एमएसपी की कानूनी गारंटी मिलें,

किसानों का कृषिगत कर्जा माफ हो,

किसान, खेत मजदूरों के लिए पेंशन हो,

किसानों के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी नही की जाए,

2021 लखीमपुर- खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले,

भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 बहाल किया जाए,

2020-21 आंदोलन में मरे किसानों के परिवारों को मुआवजा मिलें।

प्रदर्शनकारी किसान बनाम पुलिस:

हरियाणा पुलिस ने किसानों से आगे न बढ़ने को कहा और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया। अंबाला जिला प्रशासन ने पहले ही बीएनएसएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी कर दिया है, जिसके तहत जिले में पांच या अधिक लोगों के किसी भी गैरकानूनी जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांव में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई लोगों को संदेश भेजने की सुविधा ‘बल्क एसएमएस सेवा’ को नौ दिसंबर तक निलंबित कर दिया। अंबाला के डंगडेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, ददियाना, बड़ी घेल, लार्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों में शुक्रवार दोपहर को यह प्रतिबंध लगाया गया।

इससे पहले, अंबाला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को शुक्रवार को बंद करने का आदेश दिया है। शुक्रवार दोपहर को अंबाला के डंगडेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, ददियाना, बारी घेल, लार्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू गांवों में प्रतिबंध लागू कर दिया गया। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सुमिता मिश्रा द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये सेवाएं नौ दिसंबर रात 11.59 बजे तक निलंबित रहेंगी।

दिल्ली पुलिस ने पंजाब के किसानों के शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च से पहले सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली पुलिस अलर्ट पर है और सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सिंघू बॉर्डर पर फिलहाल कम संख्या में बलों को तैनात किया गया है, लेकिन पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू बॉर्डर पर स्थिति के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि सीमा पर और दिल्ली के मध्य भाग में सुरक्षा व्यवस्थाओं के कारण यातायात प्रभावित होने की संभावना है। पुलिस नोएडा सीमा पर भी नजर रख रही है, जहां उत्तर प्रदेश के किसानों का एक अन्य समूह धरना दे रहा है। किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर शंभू और खनौरी में रोक दिया था।

संसद में ‘शिवराज’, कृषिमंत्री जिसे ‘किसानों का लाड़ला’ कहा जाता है:

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) में चौहान ने प्रश्नकाल के दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह आश्वासन दिया। मंत्री ने यह आश्वासन उस दिन दिया जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली तक पैदल मार्च करने की योजना बना रहे हैं।

कृषि मंत्री ने सदन को बताया, ‘‘मैं आपके (सभापति के) माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसानों की सभी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी। यह मोदी सरकार है और मोदी की गारंटी को पूरा करने की गारंटी है। ’’उन्होंने कहा, ‘‘जब दूसरी तरफ के हमारे मित्र सत्ता में थे तो उन्होंने रिकॉर्ड पर कहा था कि वे एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते, खासकर उपज की लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने की बात। मेरे पास रिकॉर्ड है। चौहान ने उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पूर्व कृषि राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया, कृषि मंत्री शरद पवार और के वी थॉमस का हवाला दिया।

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उनकी टिप्पणी के बाद, उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने उनसे अपने दावे की पुष्टि करने के लिए दस्तावेज सदन के पटल पर पेश करने को कहा। चौहान इस पर सहमत हो गए।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि कांग्रेस-नीत पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने कभी किसानों का सम्मान नहीं किया और कभी किसानों की लाभकारी कीमतों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया। चौहान ने संसद में कहा कि मैं आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि 2019 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी सरकार पहले से ही किसानों को लाभकारी मूल्य दे रही है। चौहान ने कहा कि धान, गेहूं, ज्वार, सोयाबीन को तीन साल पहले से ही उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत पर खरीदा जा रहा है। उन्होंने वस्तुओं की दरों में गिरावट होने पर निर्यात शुल्क और कीमतों को बदलने में हस्तक्षेप का भी हवाला दिया।

विपक्ष के सरकार से संसद में सवाल:

कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश द्वारा एमएसपी पर पूछे जाने पर चौहान ने कहा कि एमएसपी के बारे में मेरे विचार स्पष्ट हैं। हम 50 प्रतिशत से अधिक लाभ पर एमएसपी तय करेंगे
और किसानों की उपज भी खरीदेंगे। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि आपने किसानों की उपज नहीं खरीदी, हम उसे खरीदेंगे और उच्च एमएसपी तय करेंगे… जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो उन्होंने कभी किसानों की उपज एमएसपी पर नहीं खरीदी और किसान खून के आंसू बहाते रहे, लेकिन मेरे लिए ‘किसान की सेवा’ ‘भगवान की पूजा’ की तरह है।

रमेश ने तब संवैधानिक पद पर आसीन सभापति द्वारा मंत्री को एमएसपी पर किसानों से बात करने के लिए कहे गए शब्दों की याद दिलाई। इस पर सभापति धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कृषि मंत्री के साथ यात्रा की थी और उन्हें किसानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का भरोसा है। धनखड़ ने कहा कि जाते और वापस आते समय मंत्री मेरे साथ थे। मैंने कृषि मंत्री को बताया और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया गया कि जिसे ‘लाडले’ के नाम से जाना जाता है, वह ‘किसानों का लाडला’ भी बनेगा। मुझे उम्मीद है कि ‘ऊर्जावान’ मंत्री, जो अपने नाम ‘शिवराज’ के समानार्थी हैं, ऐसा करेंगे। धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने आपको ‘किसान के लाड़ले’ नाम दिया है… मुझे खुशी होती अगर जयराम रमेश की ओर से कोई स्थगन प्रस्ताव आता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’

कांग्रेस ने किसान संगठनों के संसद मार्च को लेकर शुक्रवार को कहा कि वह किसानों एवं उनके संगठनों की सभी मांगों का समर्थन करती है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया
मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘किसान आज संसद मार्च कर रहे हैं। ख़ुद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के माननीय सभापति जगदीप धनखड़ का समर्थन मिलने के बाद उनके विरोध को
जबरदस्त बूस्टर डोज मिला है। किसान और उनके संगठन निम्न मांगों के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों के अनुसार खेती की व्यापक लागत का 1.5 गुना एमएसपी निर्धारित करना, जिस तरह बैंकों ने चूक करने वाली निजी कंपनियों के 16 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ़ कर दिए, उसी तरह किसानों को एकमुश्त क़र्ज़ से राहत देना।’’

रमेश के अनुसार, किसानों की यह मांग भी है कि कृषि वस्तुओं के आयात और निर्यात पर निर्णय एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा लिया जाए जिसमें किसानों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो तथा बीमा
कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाली प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को अब किसानों के हितों और चिंताओं को पूरा करने के लिए पुनर्गठित किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
किसान संगठनों की इन और अन्य सभी मांगों का पूरी तरह से समर्थन करती है।’

राजद सदस्य मनोज कुमार झा ने पूछा कि क्या सरकार कृषि ऋण माफी की रूपरेखा बनाने पर विचार कर रही है? इस पर चौहान ने कहा कि सरकार इसके बजाय किसानों की आय बढ़ाने की
दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसानों की आय बढ़ाने में विश्वास करते हैं और यह सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है।’’

First Published : December 6, 2024 | 6:48 PM IST