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Lok Sabha Election 2024: मंदिर पाकर लोग खुश, नौकरी पर निराश; ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों का गजब मिजाज

ट्रेन के मुंबई के करीब पहुंचने पर उत्तराखंड की रहने वाली एक महिला मोदी की इसलिए तारीफ करती हैं कि प्रधानमंत्री कई बार उनके राज्य के दौरे पर आए हैं।

Last Updated- April 19, 2024 | 11:31 PM IST
Lok Sabha Election 2024: People happy after getting temple, disappointed on job; Amazing mood of passengers traveling in trains Lok Sabha Election 2024: मंदिर पाकर लोग खुश, नौकरी पर निराश; ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों का गजब मिजाज

चुनावी हवा का रुख जानने के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड के संवाददाता अजिंक्य कावले ने वंदे भारत एक्सप्रेस में देहरादून से दिल्ली और हरिद्वार एसी एक्सप्रेस में हरिद्वार से मुंबई की यात्रा कर टटोला मतदाताओं का मन

दिल्ली जाने के लिए देहरादून रेलवे स्टेशन पर आठ कोच वाली बेहद आकर्षक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के साथ सेल्फी लेने के लिए यात्रियों में होड़ मची थी। लेकिन, कौतूहल से इधर-उधर भागते लोगों की इस भीड़ के बीच राजस्थान के रहने वाले रेलवे कर्मचारी जितेंद्र मीणा (परिवर्तित नाम) अपनी जगह खड़े रहे।

इस चुनावी मौसम में जब उनसे हवा का रुख जानने की कोशिश की गई तो धीरे से बोले, ‘अब हर तरफ जाति और धार्मिक आधार पर राजनीति हो रही है, जबकि रोजगार की समस्या जस की तस है। यही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होना चाहिए था। मुझे किसी भी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।’

चार लोगों के परिवार का भरण-पोषण करने वाले 30 वर्षीय मीणा कहते हैं कि उनके ज्यादातर साथी रोजी-रोटी की तलाश में गांव छोड़ देने के बावजूद आज बेरोजगार हैं। जिन्हें भाग्य से रोजगार मिल भी गया, उन्हें बहुत कम मेहनताने या तनख्वाह पर काम करना पड़ रहा है। मीणा रेलवे क्षेत्र में अपनी नौकरी से भी बहुत अधिक संतुष्ट नहीं है।

वह कहते हैं, ‘अधिकांश काम बाहर से कराए जा रहे हैं। सब कुछ ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया है। एक कोच में सफाई के मुद्दे को लेकर मेरे सुपरवाइजर ने मुझे 24 दिन के लिए निलंबित कर दिया। उस दौरान मुझे तनख्वाह नहीं दी गई। इस मामले में ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।’

मीणा कुछ गलत भी नहीं बोल रहे। रोजगार को लेकर उनकी प्रतिक्रिया इंटरनैशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई भारत रोजगार रिपोर्ट के आंकड़ों से मेल खाती है। देश में बेरोजगारी दर 2019 में 5.8 प्रतिशत से घटकर 2022 में 4.1 प्रतिशत रह जाने के बावजूद अभी 2012 के मुकाबले बहुत अधिक है। उस समय बेरोजगारी दर मात्र 2.1 प्रतिशत थी। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में निम्न गुणवत्ता की नौकरियां पैदा होने का भी प्रमुखता से जिक्र किया गया है, जिनमें आय तो घट गई है और रोजगार संकट बढ़ गया है।

चुनाव प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है और उम्मीदवार वोटों के लिए देशभर में भाग-दौड़ कर रहे हैं, रेल यात्रियों की बातचीत में मतदाताओं की सबसे बड़ी चिंताओं से पर्दा उठता चला जाता है। रेलवे स्टेशन पर अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्री भी आम चुनाव को लेकर चल रही इस बातचीत में शामिल हो जाते हैं।

बहुत ही शानदार और स्वच्छ हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर देश के कोने-कोने से आए यात्रियों में 20 वर्षीय निशांत कुमार बेरोजगारी के मुद्दे को खास नहीं मानते, लेकिन वह यह जरूर कहते हैं कि पिछले साल उनके साथ पॉलिटेक्निक करने वाले छात्रों में बामुश्किल 10 प्रतिशत को ही नौकरी मिल पाई है। इसके बाद रुड़की जा रहे कुमार स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग में डूब जाते हैं।

बिजनौर के रहने वाले छात्र निशांत कुमार अपना स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग ऐप्लिकेशन खोलते हुए कहते हैं, ‘मैं चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें, ताकि अदाणी, अंबानी और टाटा जैसी बड़ी कंपनियां स्टॉक मार्केट में और मजबूती के साथ उभर कर आएं।’

आठ वर्षों से सफाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहीं कंचन चवारिया वर्षों से अपनी तनख्वाह नहीं बढ़ने को लेकर परेशान नजर आईं। उन्होंने कहा, ‘मैंने आठ साल पहले 5,000 रुपये तनख्वाह पर नौकरी शुरू की थी। आज इतने दिनों बाद मामूली बढ़ोतरी के बाद यह 8,000 रुपये हो पाई है। चार लोगों का गुजारा भला इतने कम पैसे में कैसे हो सकता है। मेरा पति और दोनों बेटे बेरोजगार हैं।’

चावरिया इस बात को लेकर भी परेशान हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर भी नहीं मिला है। हर महीने ‘सफेद’ राशन कार्ड पर जो राशन मिलता है, वह पर्याप्त नहीं होता।

वह कहती हैं, ‘रोजमर्रा की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में मैं अपने परिवार का गुजारा किस प्रकार करूं। राजनेता तो केवल चुनाव के दौरान ही दिखाई देते हैं और वोट के बदले घर के पुरुषों को शराब बांट जाते हैं। उसके बाद वे पूरे पांच साल दिखाई नहीं देते।’

हालांकि चावरिया के सहयोगी मुकेश कुमार उनकी बातों से इत्तफाक नहीं रखते। वह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सांकेतिक रूप से सफाईकर्मियों के पांव धोने को याद करते हुए कहते हैं कि सिर्फ उन्होंने ही हमारे काम का महत्त्व समझा है।

कुमार कहते हैं, ‘कम तनख्वाह और बढ़ती महंगाई के बावजूद चुनाव के दौरान हमें राष्ट्रीय हितों को ऊपर रखकर देखना चाहिए। कश्मीर में धारा 70 समाप्त होना, राम मंदिर निर्माण, रक्षा बलों की मजबूती और वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ने जैसी कई उपलिब्धयां हासिल हुई हैं।’

चार धाम यात्रा पर निकले 50 वर्षीय गजानन भी मुकेश कुमार की बातों से सहमति व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी की इस बात के लिए तारीफ करते हैं कि उन्होंने लोगों से किये वादे निभाए हैं। अपनी बाह पर जय श्रीराम का टैटू दिखाते हुए गजानन कहते हैं, ‘मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाकर लोगों से किया अपना वादा पूरा किया है।’

हरिद्वार से मुंबई के लिए करीब 1,771 किलोमीटर के सफर पर दौड़ रही हरिद्वार एसी एसएफ एक्सप्रेस में चुनाव के इर्द-गिर्द बातचीत में यात्रियों की राय बंटी हुई दिखाई दी। इस ट्रेन के दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंचने पर एक दुकानदार बलवीर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि इससे विपक्षी दलों को फायदा हो सकता है। लेकिन, वह अपने गृह जिले अलीगढ़ के लिए किए गए कामों विशेषकर आपराधिक तत्त्वों पर कार्रवाई के लिए मोदी और योगी की तारीफ करते हैं।

जब ट्रेन आगरा और झांसी से गुजर रही थी तो यात्रियों के बीच इस बात को लेकर संतोष दिखाई दिया कि अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे कुख्यात गैंग्स्टर-राजनेताओं के सफाए से इलाके में शांति बहाल हुई है।

जब रेलगाड़ी ने मध्य प्रदेश में प्रवेश किया तो चुनावी बॉन्ड और परिवारवाद की राजनीति के इर्द-गिर्द चुनावी बहस के जोर पकड़ने से कोच के बाहर और भीतर तापमान बढ़ता प्रतीत हुआ।

लखनऊ के रहने वाले सेवानिवृत्त बैंकर प्रेम कुमार मोदी के नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए चुनावी बॉन्ड और लोकतंत्र को खतरा जैसे मुद्दों को उठाते हैं। इस बीच, राम मंदिर और प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली पर बहस जारी रहती है।

ट्रेन की रफ्तार के साथ कोच के बाहर का परिदृश्य बदलता जा रहा था। हरे-भरे गंगा बेसिन को पीछे छोड़ते हुए ट्रेन महाराष्ट्र के शुष्क और बंजर मैदानों को नाप रही थी, जहां की सूखी नदियां गर्मी आने का संकेत दे रही थीं। गुजरते सफर के साथ ऐसा लग रहा था कि यात्रियों के बीच मोदी की लोकप्रियता का सूचकांक गिरता जा रहा है।

जलगांव के रहने वाले एक किसान विजय राजूर महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की बात कहते हैं। वह गठबंधन तोड़ने में भाजपा की भूमिका की निंदा करते हैं और जल संकट, ईंधन की कीमतें बढ़ने एवं बीज और खाद पर जीएसटी को लेकर नाराज दिखते हैं। मालेगांव के रहने वाले एक अधिवक्ता भी धार्मिक आधार पर लोगों में दूरियां बढ़ने और रोजगार के अवसर घटने की बात कहते हुए विजय की बातों से सहमति जताते हैं।

मर्चेंट नेवी में भर्ती से पहले चिकित्सीय जांच के लिए मुंबई जा रहे 20 वर्षीय हरीश जोगी अधिक संयुक्त नजरिया अपनाने की जरूरत पर बल देते हैं।

ट्रेन के मुंबई के करीब पहुंचने पर उत्तराखंड की रहने वाली एक महिला मोदी की इसलिए तारीफ करती हैं कि प्रधानमंत्री कई बार उनके राज्य के दौरे पर आए हैं। नि:संदेह सत्ताधारी दल आगामी लोक सभा चुनाव में भारी मतदान की उम्मीद कर रहा है।

First Published - April 19, 2024 | 11:31 PM IST

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