चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) और एक्स-फैक्टरी मानक (PMP) के उल्लंघन को लेकर मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM) की चल रही जांच के बीच भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने गलती करने वाली कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। नितिन कुमार से बातचीत के मुख्य अंश…
स्थानीयकरण और एक्स फैक्टरी मूल्य की जांच के तहत मंत्रालय इस समय 17 मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM) के खिलाफ जांच कर रहा है। अब तक क्या प्रगति है?
चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) दिशानिर्देशों के उल्लंघन के मामले में हम 17 ओईएम की जांच कर रहे हैं। इन 17 फर्मों में से ओला इलेक्ट्रिक, ऐथर एनर्जी, टीवीएस और हीरो मोटोकॉर्प की विडा के एक्स फैक्टरी मूल्य के उल्लंघन के मामलों की भी जांच हुई है। इन ओईएम ने ईवी चार्जर को वाहन की लागत से अलग कर 1.5 लाख रुपये की पात्रता की सीमा का उल्लंघन किया है।
ऐथर अपने ग्राहकों से सॉफ्टवेयर अपग्रेड के लिए भी अलग स पैसे ले रही थी। हमने पाया कि इन 4 OEM ने एक्स-फैक्टरी दिशानिर्देशों का ही उल्लंघन नहीं किया है, बल्कि स्थानीयकरण के मानकों का भी उल्लंघन किया है।
उल्लंघन करने वाली कंपनियों ने ग्राहकों को पैसे वापस करने को लेकर सहमति जताई है। इन्होंने ग्राहकों को 288 करोड़ रुपये वापस करने की प्रक्रिया शुरू की है। अब चार्जर की कीमत भी एक्स फैक्टरी मूल्य में शामिल कर दी गई है।
13 ओईएम की जांच सिर्फ पीएमपी उल्लंघन के लिए हुई है। इसमें से 7 वाहन निर्माताओं हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पेरे व्हीकल्स (ग्रीव्स कॉटन), बेनलिंग इंडिया, रिवोल्ट इंटेलीकॉर्प, एमो मोबिलिटी, लोहिया ऑटो आयातित उत्पादों का इस्तेमाल कर चरणबद्ध विनिर्माण दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही थीं। इनमें से रिवोल्ट और एमो ने मंत्रालय की सब्सिडी राशि वापस करने की पेशकश की है।
कुछ ओईएम ने मंत्रालय की जांच पर सवाल उठाए हैं, इस पर क्या रुख है?
हमारी टेस्टिंग एजेंसियों ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन आफ इंडिया (ARAI) और इंटरनैशनल सेंटर फार ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (ICAT) द्वारा पारदर्शी तरीके से जांच की गई है। ये इस मामले में नोडल एजेंसियां हैं। एक ओईएम के हर मॉडल का स्ट्रिप डाउन टेस्ट किया गया। संबंधित ओईएम को विस्तृत रिपोर्ट भी भेजी गई है।
ओईएम अगर पैसे का भुगतान करने से इनकार करती हैं तो क्या कार्रवाई हो सकती है?
देरी इसलिए हो रही है क्योंकि कुछ ओईएम ने जवाब देने के लिए और वक्त दिए जाने का अनुरोध किया है। लेकिन अब हम मामला बंद करने के अंतिम चरण में हैं। हमने ओईएम से कहा है कि गलत तरीके से दावा करके ली गई सब्सिडी सरकार को वापस करें अन्यथा हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसमें कानून के मुताबिक दीवानी देनदारी से लेकर आपराधिक मामला शामिल होगा। चूक करने वाले ओईएम को सरकार ने कुल 469 करोड़ रुपये दिए हैं।
कुछ ओईएम का कहना है कि मंत्रालय ने 2022 के मध्य से उनकी सब्सिडी रोक रखी है और उनके दावे के निपटान से इनकार कर दिया है?
जांच के दौरान हमने सभी 17 ओईएम को प्रतिबंधित कर दिया। सब्सिडी उनके लिए है, जिन्हें जांच एजेंसियों ने क्लीन चिट दिया है और उन्हें धन जारी किया जाएगा। मानकों का उल्लंघन करने वालों को पैसे नहीं दिए जाएंगे क्योंकि उन्हें फेम योजना पोर्टल से बाहर कर दिया गया है और दावा करने का उनका कोई अधिकार नहीं है।
क्या मार्च 2024 के बाद फेम का विस्तार हो सकता है या फेम-3 आ सकता है?
हमें उद्योग की तरफ से इस तरह के अनुरोध मिले हैं। इस समय मामला विचाराधीन है।
सायम ने अप्रैल 2022 से उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत वाहन क्षेत्र को भुगतान को लेकर सवाल उठाए हैं। उद्योग ने एसओपी जारी करने में देरी को लेकर भी चिंता जताई है। मंत्रालय इसके समाधान के लिए क्या योजना बना रहा है?
हमने पीएलआई ऑटो में पहले ही प्रमाणपत्र जारी करना शुरू कर दिया है। हाल ही में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा को 2 प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। हम जल्द ही अन्य ओइएम को भी इस तरह के प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में हैं।
पीएलआई एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) में क्या प्रगति है?
हम 20 गीगावॉट क्षमता के अगले चरण की बोली की प्रक्रिया में हैं। हिस्सेदारों से परामर्श इस महीने के अंत तक शुरू हो सकता है।
MHI ने बैटरी सुरक्षा प्रमाणन के लिए ओईएम को 6 माह और वक्त दिया है। अंतिम तिथि बढ़ाए जाने की क्या वजह है? क्या आप संशोधित दिशानिर्देश पर विचार कर रहे हैं?
ARAI के निदेशक की अध्यक्षता में बनी समिति इन मानकों पर फिर से विचार कर रही है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम इस मसले पर फैसला करेंगे।
सरकार ने 2030 तक 40 प्रतिशत ई-बस का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, जबकि सिर्फ 4,506 ई-बसें (1.25 प्रतिशत) ही हैं। क्या इसमें आप कोई नई योजना बना रहे हैं?
हम यूएस के साथ भुगतान सुरक्षा व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। इस साझेदारी से भारत में 10,000 मेड इन इंडिया बसें तैनात हो सकेंगी।
वर्षों के घाटे के बाद भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) अब मुनाफे मेंआ गई है। आप राष्ट्र निर्माण में लगे सार्वजनिक उद्यमों के पुनरुद्धार के लिए क्या कर रहे हैं?
इस समय भेल 80 वंदे भारत ट्रेन सेट बनाने पर काम कर रही है और अपने कारोबार का विस्तार पारेषण, सौर और पवन ऊर्जा तक किया है। इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग के लिए भेल संयुक्त उद्यम को अंतिम रूप दे रही है, जो राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अनुरूप है। अब भेल का 25 प्रतिशत राजस्व गैर ताप परिचालन से आता है।