जनवरी में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर घटकर दो साल के निचले स्तर 4.73 प्रतिशत पर पहुंच गई है। अनुकूल आधार और ईंधन व विनिर्मित उत्पादों का दबाव कम होने के कारण ऐसा हुआ है।
दिसंबर 2022 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 4.95 प्रतिशत और जनवरी 2021 में 2.51 प्रतिशत थी। यह लगातार चौथा महीना है, जब थोक महंगाई एक अंक में रही है, जबकि इसके पहले लगातार 18 महीने यह दो अंक में थी।
सोमवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर जनवरी में घटकर 2.99 प्रतिशत रह गई है, जो दिसंबर में 3.37 प्रतिशत थी। खाद्य, टेक्सटाइल, अपैरल, चमड़ा, कागज, रसायन और औषधि क्षेत्र में कीमत का दबाव कम होने के कारण ऐसा हुआ है।
खाद्य वस्तुएं, जिसमें विनिर्मित खाद्य वस्तुएं शामिल नहीं हैं, जनवरी में 2.38 प्रतिशत महंगी हुई हैं, जो दिसंबर में 1.25 प्रतिशत कम हुई थीं। गेहूं (23.63 प्रतिशत) और मोटे अनाज (15.46 प्रतिशत) की कीमतें बढ़ी हैं, जिनका दबाव पड़ा है। दूध के दाम बढ़ने (8.96 प्रतिशत) से भी खाद्य महंगाई बढ़ी है। बहरहाल सब्जियों की कीमत जनवरी में 26.48 प्रतिशत कम हुई हैं, जिसमें सबसे ज्यादा प्याज (-25.2 प्रतिशत) की कीमत कम हुई है।
ईंधन की महंगाई जनवरी में 15.15 प्रतिशत रही है, जो दिसंबर में 18.09 प्रतिशत थी। पेट्रोल (15.5 प्रतिशत) और हाई स्पीड डीजल (28.47 प्रतिशत) की कीमत में कमी होने की वजह से ऐसा हुआ है।
जनवरी में रसोई गैस की कीमत में लगातार तीसरे महीने कमी (-8.3 प्रतिशत) आई है।
थोक महंगाई दर में गिरावट के आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब एक दिन पहले ही जनवरी महीने के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े रिजर्व बैंक के तय ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर चले गए थे। दो माह के अंतराल के बाद खुदरा महंगाई 6 प्रतिशत के पार 6.52 प्रतिशत पर पहुंची है। भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत फैसले करने पर खुदरा महंगाई पर ध्यान केंद्रित करता है,लेकिन थोक महंगाई कम होने स आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई घटने की उम्मीद है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रमुख डब्ल्यूपीआई महंगाई में गैर खाद्य और गैर ईंधन वस्तुओं की कीमत लगातार नवें महीने कम हुई हैं और दिसंबर 2022 के 3.2 प्रतिशत की तुलना में घटकर 2.8 प्रतिशत रह गई हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि थोक महंगाई आगे और घटकर फरवरी 2023 में करीब 4 प्रतिशत पर आ जाएगी और मार्च 2023 तक 3 प्रतिशत के करीब होगी। इसे जिंसों के वैश्विक दाम में कमी और कुछ खाद्य वस्तुओं में गिरावट का समर्थन मिलेगा।’
खुदरा और थोक महंगाई के बीच अंतर जनवरी में अब बढ़कर 179 आधार अंक पहुंच गया है, जो नवंबर में 3 आधार अंक था।