facebookmetapixel
सरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगेबिहार में नीतीश–मोदी फैक्टर की धमक: भाजपा की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा की राह में अब नहीं कोई बाधाबिहार चुनाव 2025: जदयू और भाजपा ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी, AIMIM को झटकाNDA के वादे और वित्तीय सीमाएं: ‘विकसित बिहार’ का सपना कितना संभव?सेबी 17 दिसंबर की बैठक में करेगा हितों के टकराव और खुलासा नियमों की सिफारिशों पर विचार

रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की नई योजना बना रहे पश्चिमी देश, जानें क्या है भारत का रुख

यूरोप और अमेरिका के दबाव के कारण भारत में रूसी तेल आयात पर असर

Last Updated- January 02, 2024 | 4:07 PM IST
Reliance-BP, ONGC bid together in India's largest oil, gas bidding round भारत के सबसे बड़े तेल, गैस बोली दौर में रिलायंस-बीपी, ONGC ने एक साथ बोली लगाई

साल की शुरुआत में, रूसी तेल टैंकरों को दिसंबर में दो महत्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित मुद्दों के कारण भारत में अपना माल उतारने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

दिसंबर की शुरुआत में, प्रतिबंधों के लिए यूरोपीय संघ (EU) के दूत डेविड ओ’सुलिवन ने एक विशिष्ट एजेंडे के साथ भारत का दौरा किया। उन्होंने भारत के रूसी कच्चे तेल की खरीद को कम करने और इसके बजाय पश्चिम एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका (US) से सोर्सिंग पर विचार करने के विकल्प तलाशने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा की।

एक अन्य घटनाक्रम रूस के सीफूड ट्रेड के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन द्वारा साइन किया गया एक हालिया कार्यकारी आदेश था। आदेश में एक नया प्रावधान शामिल है जो ट्रेजरी विभाग को उन उत्पादों के आयात को प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है जो तीसरे देशों में प्रोसेसिंग या परिवर्तन से गुजर चुके हैं।

भारत दुनिया भर में समुद्री उत्पादों, मुख्य रूप से समुद्री मछली का एक प्रमुख निर्यातक है। यूरोपीय संघ से मांग घटने के कारण भारतीय निर्यातक रूस के साथ जुड़ने पर विचार कर रहे हैं। रूस भी भारत में अपने व्हाइटफिश निर्यात को बढ़ावा देने में रुचि रखता है। इससे भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

भारतीय अधिकारियों ने ओ’सुलिवन से कहा कि वे ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उनके अपने तेल कारोबार को नुकसान पहुंचे। हालांकि, उन्होंने अमेरिका के नए आदेश को लेकर चिंता जताई।

भारत के अनुसार, ओ’सुलिवन की यात्रा और बाइडन का आदेश रूस के लिए भारत, चीन और अन्य एशियाई बाजारों में न केवल कच्चा तेल बल्कि अन्य उत्पाद बेचना कठिन बनाने के पैटर्न का हिस्सा है।

दबाव इसलिए है क्योंकि रूस के कच्चे तेल की कीमतों पर लगाई गई सीमा जैसे शुरुआती प्रतिबंधों का पहले ही उल्लंघन हो चुका है।

भारत और अन्य देश इंतजार करना चाहते हैं और अधिक विवरण देखना चाहते हैं। एक भारतीय अधिकारी जो पश्चिम से बातचीत कर रहे हैं, उन्होंने इसे अनुमान लगाने वाला खेल बताया। अमेरिका और यूरोपीय संघ नए प्रतिबंधों का सामना करने वाले उत्पादों को खुले तौर पर नहीं बता सकते, उम्मीद है कि देश इसके बावजूद सतर्क रहेंगे।

भारत नहीं चाहता कि उसकी बैंकिंग प्रणाली यूरोपीय संघ और अमेरिका के प्रतिबंधों से प्रभावित हो। 2022 और 2023 की तरह, नई दिल्ली ने प्रतिबंधों के से होने वाली परेशानियों को समझने में सतर्क रहना चुना है और उसू हिसाब से अपने कार्यों को एडजस्ट करेगा।

First Published - January 2, 2024 | 4:07 PM IST

संबंधित पोस्ट