केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2030-31 तक देश में 4 गीगावॉट की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना पर आने वाली लागत के व्यहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) कोष को मंजूरी दी है। देश में बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) विकसित करने के लिए शुरुआती आवंटन 9,400 करोड़ रुपये का है, जिसमें 3,700 करोड़ रुपये बजट अनुदान शामिल है।
वीजीएफ 5 किस्तों में जारी किया जाएगा, जो BESS परियोजनाओं को लागू करने के विभिन्न चरणों में मिलेगा। इस योजना का मकसद बढ़ते अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में ऊर्जा के भंडारण को समर्थन देने के लिए है। खासकर इससे सौर और पवन ऊर्जा का भंडारण होगा। इन माध्यमों से बिजली उत्पादन के सीमित घंटे को देखते हुए ऊर्जा भंडारण से 24 घंटे हरित ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
बीईएसएस परियोजनाओं के लिए VGF योजना सबसे पहले 2023 के केंद्रीय बजट में घोषित की गई थी। इस योजना के साथ केंद्र ने बैटरी भंडारण की व्यवस्था की लागत कम करने और इनकी व्यवहार्यता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
बिजली मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है ‘वीजीएफ समर्थन की पेशकश करने का लक्ष्य भंडार की समान लागत (एलसीओएस) करके इसे 5.50 से 6.60 रुपये प्रति किलोवॉट घंटे (Kwh) तक लाना है, जिससे कि भंडारित नवीकरणीय ऊर्जा देश में ज्यादा मांग वाले वक्त में एक व्यावहारिक विकल्प बन सके।’
बयान में आगे कहा गया है कि योजना के तहत बीईएसएस परियोजनाओं का 85 प्रतिशत बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें कहा गया है कि इससे न सिर्फ अक्षय ऊर्जा बिजली ग्रिड से जुड़ सकेगी बल्कि पारेषण नेटवर्क के अधिकतम उपयोग से बर्बादी न्यूनतम हो जाएगी।
साथ ही इससे महंगे बुनियादी ढांचा उन्नयन की जरूरत कम हो जाएगी। बयान के मुताबिक, वीजीएफ अनुदान के लिए BESS डेवलपर का चयन बोली प्रक्रिया से किया जाएगा जिसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की इकाइयों को समान अवसर मिलेगा।