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नई औद्योगिक नीति, जेवर हवाई अड्डे, एक्सप्रेसवे और बड़े औद्योगिक गलियारों से मिलेगी उत्तर प्रदेश को रफ्तार

एफडीआई नीति, औद्योगिक गलियारों और नई नीतियों के जरिये यूपी बना वैश्विक निवेश का केंद्र; जेवर एयरपोर्ट और क्लस्टर विकास से कारोबार को नई उड़ान।

Last Updated- November 28, 2024 | 9:30 PM IST
Nand Gopal Gupta

कभी बीमारू राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश पिछले सात साल में निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा ठिकाना बन गया है। राज्य सरकार नई औद्योगिक नीति लाई है, जिसमें उद्योगों को और भी ज्यादा सुविधाएं, प्रोत्साहन तथा छूट दी जा रही हैं।

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उद्योगों के वास्ते अलग-अलग नीतियां भी लाई गई हैं। प्रदेश के औद्योगिक विकास, निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन तथा एनआरआई मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने सिद्धार्थ कलहंस के साथ बातचीत में उत्तर प्रदेश में अर्थव्यवस्था, निर्यात और उद्योग को बढ़ावा देने वाले कदमों की जानकारी दी। मुख्य अंश:

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक एवं निवेश नीति पर देश-विदेश के उद्यमियों का कैसा रुख है?

योगी आदित्यनाथ सरकार ने आईटी/आईटीईएस, डेटा केंद्र, ईएसडीएम (इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग), रक्षा तथा वैमानिकी, इलेक्ट्रिक वाहन, वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, पर्यटन, वस्त्र, एमएसएमई एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए 27 से अधिक नीतियां आरंभ की हैं। औद्योगिक निवेश एवं रोजगार संवर्द्धन नीति 2022 के तहत 1.58 लाख करोड़ रुपये निवेश के 89 प्रस्ताव आए हैं, जिनमें से करीब 24,314 करोड़ रुपये के 36 आवेदनों को मंजूरी दी गई है।

उत्तर प्रदेश इकलौता राज्य है, जिसने फॉर्च्यून ग्लोबल 500 और फॉर्च्यून इंडिया 500 कंपनियों से निवेश प्राप्त करने के मकसद से विशेष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत पूंजी सब्सिडी के साथ अग्रिम भूमि सब्सिडी, राज्य जीएसटी की विशुद्ध वापसी, आईटीसी की वापसी, स्टांप शुल्क और पंजीकरण में 100 फीसदी छूट और बिजली शुल्क में भी 100 फीसदी छूट आदि दी जाती हैं।

इस नीति के तहत प्रदेश सरकार को 13,300 करोड़ रुपये से भी अधिक रकम के 16 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 1,898 करोड़ रुपये से अधिक के 5 आवेदनों को अग्रिम भूमि सब्सिडी की मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश की वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स नीति 2022 के तहत भी 6987 करोड़ रुपये के 84 प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें से 662 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले 12 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है।

औद्योगिक विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एकदम कमर कसकर काम कर रही है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में विभिन्न औद्योगिक योजनाओं के तहत 32 कंपनियों को 1,333.05 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि बांटी है। इस वितरण से निवेशकों और उद्योगों में सरकार की मंशा और नीतियों के प्रति भरोसा बढ़ा है। वितरण के दौरान बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जहां से 4,153 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

पश्चिमी क्षेत्र से 3,714 करोड़ रुपये और मध्य क्षेत्र से 2,847 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए। आईटी एवं आईटीईएस नीति 2022 के तहत सैमसंग और एचसीएल जैसी कंपनियों को 212.63 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन मिले।

वैश्विक निवेशक सम्मेलन में आए 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों में से अभी तक 10 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है। आगे की क्या योजना है? अगला निवेशक सम्मेलन कब होगा?

फरवरी 2023 में हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन से विनिर्माण, बुनियादी ढांचा, कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, वस्त्र जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त निवेश के प्रस्ताव आए। आयोजन के दौरान 33.5 लाख करोड़ रुपये के सहमति पत्रों (एमओयू) पर दस्तखत किए गए। साल भर नहीं गुजर पाया था और फरवरी 2024 में भूमि पूजन समारोह के दौरान लगभग 10 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 14,000 से अधिक परियोजनाएं शुरू भी कर दी गईं। इनमें से 2.44 लाख करोड़ रुपये की 6,336 परियोजनाएं व्यावसायिक स्तर पर काम शुरू कर चुकी हैं।

सम्मेलन के दौरान कुल निवेश में से सबसे ज्यादा 50 फीसदी रकम के प्रस्ताव पश्चिमांचल को मिले हैं। उसके बाद पूर्वांचल को 23 फीसदी, मध्यांचल को 14 फीसदी और बुंदेलखंड को 13 फीसदी निवेश प्रस्ताव मिले। एमओयू के जरिये सबसे ज्यादा 31.9 फीसदी निवेश गौतमबुद्ध नगर में आ रहा है।

उसके बाद 9.1 फीसदी लखनऊ, 6.1 फीसदी झांसी, 5.4 फीसदी सोनभद्र, 4.3 फीसदी अयोध्या, 3.5 फीसदी गाजियाबाद, 3.4 फीसदी ललितपुर, 2.8 फीसदी वाराणसी और 2.2 फीसदी निवेश गोरखपुर आ रहा है। इन परियोजनाओं को व्यावसायिक स्तर पर जल्द शुरू कराने के लिए हमारी सरकार जमीन दिला रही है और लाइसेंस, अनापत्ति पत्र तथा दूसरी मंजूरियां दिलाने में भी पूरी मदद कर रही है।

भूमि की कमी उद्योगों के लिए बड़ी बाधा बनती रही है। इससे कैसे निपटेंगे?

औद्योगीकरण की रफ्तार तेज करने और उसे सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश नोडल निवेश क्षेत्र विनिर्माण (निर्माण) क्षेत्र अधिनियम 2024 को मंजूरी दी है। इस कानून का मकसद राज्य में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में चार विशेष निवेश क्षेत्र (एसआईआर) बनाना है। इन निवेश क्षेत्रों के जरिये 20,000 एकड़ जमीन वाले भूमि बैंक का इस्तेमाल हो सकेगा।

इन विशेष निवेश क्षेत्रों को निवेश का प्रमुख केंद्र माना जा रहा है, जहां क्लस्टरों का विकास काफी तेजी के साथ हो सकता है। इन क्षेत्रों को संभालने की जिम्मेदारी राज्य के अधिकारियों के पास नहीं है बल्कि हरेक एसआईआर के प्रबंधन को यह जिम्मा सौंप दिया गया है। इससे अधिकारों का विकेंद्रीकरण तो होगा ही, कामकाज सुगम होगा और ज्यादा कारगर तरीके से काम किया जाएगा। ये क्षेत्र व्यापार को सुगम बनाएंगे, आर्थिक वृद्धि को गति देंगे और रोजगार के अवसर भी तैयार करेंगे।

देश के कुल एक्सप्रेसवे नेटवर्क का करीब 55 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश में ही है। राज्य में छह एक्सप्रेसवे पहले ही शुरू किए जा चुके हैं और सात एक्सप्रेसवे तैयार होने वाले हैं। हमने पूरे राज्य में फैले अपने औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास 7,000 एकड़ से अधिक का भूमि बैंक चिह्नित कर लिया है।

इसमें नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, यमुना एक्प्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की जमीन शामिल है।

जो औद्योगिक प्राधिकरण तैयार किए जा रहे हैं उनमें हाल ही में घोषित बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण 35,000 एकड़ से भी अधिक जमीन पर विकसित किया जा रहा है। इसमें कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, नवीकरणीय यूर्जा, एमएसएमई, रक्षा, फार्मा, लॉजिस्टिक्स और विमानन समेत विभिन्न क्षेत्रों को अपार अवसर हासिल होंगे।

इसी तरह हमारी सरकार ने न्यू नोएडा के विकास को भी हरी झंडी दिखाई है। इसे दादरी नोएडा गाजियाबाद निवेश क्षेत्र (डीएनजीआईआर) भी कहा जाता है और यह ग्रेटर नोएडा से सटा सुनियोजित शहर होगा। यह नया शहर 2041 तक तैयार कर लिया जाएगा और गौतम बुद्ध नगर तथा बुलंदशहर जिलों के 84 गांवों को मिलाकर बनाया जाएगा। इसमें जो जमीन विकसित की जाएगी, उसमें से 40 फीसदी औद्योगिक इस्तेमाल के लिए होगी। आवासीय परियोजनाओं के लिए 13 फीसदी और हरित क्षेत्र तथा मनोरंजन के मकसद से 18 फीसदी जमीन रखी जाएगी।

उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा लगभग 5,000 हेक्टेयर जमीन पर बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिसमें से 1,700 हेक्टेयर का अधिग्रहण हो चुका है। गलियारे के छह नोडों में से तीन के लिए जमीन का आवंटन पूरा भी हो चुका है। जिन्हें जमीन आवंटित की गई है, उनमें ब्रह्मोस, भारत डायनामिक्स, अदाणी डिफेंस, पीटीएसई इंडस्ट्रीज, एमकेयू, एंकर रिसर्च लैब्स और एमिटेक आदि प्रमुख हैं।

इसके अलावा हम गंगा एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे नए और भविष्य में आने वाले एक्सप्रेसवे के किनारे विनिर्माण क्लस्टर तैयार करने में भी जुटे हैं। आगरा में 1,060 एकड़ और प्रयागराज में 1,139 एकड़ में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर बन रहे हैं। इसी तरह लखनऊ, कानपुर, आगरा, गाजियाबाद, गोरखपुर और अलीगढ़ में फ्लैटेड फैक्टरी (जहां एक ही परिसर में कई इकाइयां विनिर्माण कर सकती हैं) तैयार की जा रही हैं, जिनसे उद्योगों को उत्तर प्रदेश में अपना ठिकाना बनाने में मदद मिलेगी।

जेवर हवाई अड्डा चालू होने से प्रदेश में निवेश करने वालों को फायदा होगा?

जेवर हवाई अड्डा दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा, जिसके जरिये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर विभिन्न एयरलाइंस की सीधी उडानें उत्तर प्रदेश में उतरेंगी और यहां से जाएंगी। इससे निवेशकों के लिए कारोबार करना, सफर करना और व्यावसायिक कामकाज को संभालना आसान हो जाएगा।

इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट होने पर प्रदेश के व्यवसायों खास तौर पर निर्यात-आयात में लगे कारोबारों के लिए माल ढुलाई की लागत बहुत कम हो जाएगी। इस तरह तेज और ज्यादा भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला तैयार होगी, जिससे विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि तकनीक जैसे क्षेत्रों को बहुत अधिक लाभ होगा।

जेवर हवाई अड्डे पर तकरीबन 6,300 हेक्टेयर जमीन पर विमानन केंद्र विकसित किया जा रहा है, जहां एमआरओ-कार्गो परिसर की योजना बनाई गई है। बोराकी में एक मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स हब और एक मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट हब भी बन रहा है। ये दोनों पूर्वी समर्पित माल गलियारे और पश्चिमी समर्पित माल गलियारे के चौराहे पर बन रहे हैं, जिनसे उत्तर प्रदेश में बने माल के निर्यात और आयात में आसानी बढ़ जाएगी।

इससे वस्त्र, हस्तशिल्प और जल्दी खराब होने वाले सामान की निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी और वैश्विक बाजारों तक अधिक आसानी तथा बेहतरी के साथ पहुंचा जा सकेगा। इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी इजाफा होगहा। चिकित्सा उपकरण पार्क, फिल्म सिटी, एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप-ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (आईआईटीजीएनएल) जैसे क्षेत्र-विशिष्ट पार्क भी तैयार किए जा रहे हैं।

जेवर हवाई अड्डे की मदद से निवेशकों के लिए उत्तर प्रदेश के औद्योगिक समूहों से संपर्क करना आसान हो जाएगा। साथ ही इससे एफडीआई बढ़ेगा, जिससे उत्तर प्रदेश को वैश्विक व्यापार नेटवर्क में अपनी पैठ बढ़ाने में मदद मिल जाएगी। उत्तर प्रदेश को उत्तर भारत का प्रमुख निवेश केंद्र माना जाता है और जेवर हवाई अड्डा बनने के बाद उसका रुतबा और भी मजबूत हो जाएगा।

इतना ही नहीं, हवाई अड्डे पर काम शुरू होने के साथ ही आसपास के क्षेत्रों में रियल एस्टेट तथा बुनियादी ढांचा परियोजनाएं रफ्तार पकड़ चुकी हैं। इस कारण औद्योगिक क्षेत्रों, वाणिज्यिक केंद्रों और गोदाम सुविधाओं का निर्माण भी हुआ है।

उत्तर प्रदेश सरकार एफडीआई नीति लाई है। इससे कितना विदेशी निवेश आएगा?

प्रदेश की एफडीआई नीति में निवेशकों को काफी आकर्षक प्रोत्साहन मिलते हैं, जिनमें पूंजी सब्सिडी, अग्रिम भूमि सब्सिडी, राज्य जीएसटी की पूरी तरह प्रतिपूर्ति, आईटीसी की वापसी, स्टांप शुल्क और पंजीकरण में 100 फीसदी छूट, बिजली शुल्क में 100 फीसदी छूट, कौशल विकास सब्सिडी, हरित उद्योगों के लिए प्रोत्साहन, लॉजिस्टिक्स सब्सिडी, अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रोत्साहन आदि शामिल हैं।

इस नीति के तहत अभी तक 13,318 करोड़ रुपये के 16 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 1898.52 करोड़ रुपये के पांच आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। कई और कंपनियां इस नीति के तहत निवेश के विभिन्न चरणों में हैं। इस नीति के आने से पहले उत्तर प्रदेश एफडीआई हासिल करने वाले राज्यों में 11वें स्थान पर था और यहां निवेश करने वाली कंपनियों में केवल 14 ऐसी थीं, जो फॉर्च्यून 500 ग्लोबल सूची में शामिल थीं। हमारा लक्ष्य अगले कुछ वर्षों के भीतर इस नीति के तहत अधिकतम निवेश प्राप्त करना है।

प्रदेश में बन रहे औद्योगिक गलियारों में किस तरह के उद्योगों के आने की संभावना है?

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक गलियारे इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि हर प्रकार के उद्योगों को आकर्षित कर सकें। इनमें पारंपरिक उद्योग भी होंगे और उच्च तकनीकी उद्योग भी। इन गलियारों के के साथ विकसित होने वाले प्रमुख क्षेत्रों में विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, भारी उपकरण, वैमानिकी और रक्षा उद्योग, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग, कृषि तकनीक तथा शीघ्र खराब होने वाले सामान के उत्पादक शामिल हैं, जिन्हें तेज और अधिक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क की दरकार होती है।

साथ ही उन्हें वैश्विक बाजारों तक बेहतर तरीके से पहुंचने के लिए बेहतर निर्यात क्षमताएं भी चाहिए। नए औद्योगिक गलियारों से इन्हीं क्षेत्रों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। इनसे न केवल व्यवसायों को लंबी छलांग लगाने का मौका मिलेगा बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा भी मिलेगा और युवाओं की आकांक्षाएं पूरी होंगी।

First Published - November 28, 2024 | 9:30 PM IST

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