अमेरिका द्वारा भारतीय हीरे के निर्यात पर 50% का भारी शुल्क लगाए जाने के बाद, भारत का प्राकृतिक हीरा पॉलिशिंग उद्योग चालू वित्त वर्ष (2025-26) में 28-30% की गिरावट के साथ केवल 12.5 अरब डॉलर के राजस्व तक सिमट सकता है। यह जानकारी क्रिसिल रेटिंग्स (CRISIL Ratings) की ताजा रिपोर्ट में दी गई है।
बुधवार से अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25% शुल्क लागू कर दिया है। यह कदम रूस से तेल खरीदने पर भारत को दंडित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इससे पहले अप्रैल 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25% जवाबी शुल्क लगाया था। यानी कुल मिलाकर अब 50% शुल्क प्रभावी हो गया है।
क्रिसिल के मुताबिक, यह झटका उस समय आया है जब पिछले तीन वित्त वर्षों में हीरे के मूल्य और बिक्री में गिरावट के चलते हीरा पॉलिशिंग उद्योग में पहले ही लगभग 40% की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। अमेरिका, चीन में मांग में कमी और लेबोरेटरी में बने हीरों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा से भारतीय उद्योग पर पहले से ही दबाव बना हुआ था।
उद्योग के सामने प्रमुख चुनौतियाँ:
अप्रैल 2025 में 10% शुल्क लगने के बाद ही अमेरिका में प्राकृतिक हीरे के निर्यात में गिरावट शुरू हो गई थी। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में अमेरिका की हिस्सेदारी 35% से घटकर 24% रह गई है। हालांकि, त्योहारों की मांग को देखते हुए हीरा पॉलिशिंग कंपनियों ने जुलाई और अगस्त में उत्पादन बढ़ा दिया था, जिससे जुलाई में निर्यात में 18% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज हुई थी। लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है, क्योंकि लेब-ग्रो हीरे ने अमेरिका में 60% बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली है। चीन की मांग भी कमजोर बनी हुई है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही यूएई अब भारत का बड़ा निर्यात गंतव्य बनकर उभरा है (इसके हिस्से में अब 20% हिस्सेदारी है), लेकिन कुल राजस्व में गिरावट का जोखिम अभी भी अधिक है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, उद्योग को इन तीन उपायों पर ध्यान देना होगा:
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, ऑपरेशन का स्केल घटने और मुनाफे पर दबाव से उद्योग की क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़ेगा। हालांकि बाहरी कर्ज पर कम निर्भरता के चलते पूंजी संरचना स्थिर है, लेकिन फाइनेंशियल लीवरेज 0.7-0.8 गुना रहने का अनुमान है। इंटरेस्ट कवरेज रेशियो घटकर 2 हो सकता है, जो पिछले साल 2.3-2.5 के बीच था।
“भारत विश्व के 95% हीरों की पॉलिशिंग करता है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियां 2007 के बाद से सबसे कम राजस्व स्तर पर ला सकती हैं,” क्रिसिल के सीनियर डायरेक्टर राहुल गुहा ने कहा। भविष्य में प्राकृतिक हीरों की वैश्विक मांग, भू-राजनीतिक स्थितियां, और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में शुल्क नीति — ये सभी फैक्टर भारतीय हीरा उद्योग के लिए निर्णायक साबित होंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)