वैश्विक वित्तीय बाजार में मंडरा रहे संकट से अगर यहां के वित्तीय सिस्टम पर अधिक असर पड़ा तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सीआरआर की दरों में कटौती करने की घोषणा कर सकता है।
यह बात गोल्डमैन सैक्स और जेपी मोर्गन के हवाले से कही गई है। ज्ञातव्य है कि सोमवार को आरबीआई ने सीआरआर की दर को नौ फीसदी से घटाकर 8.5 फीसदी कर दिया था। घटी दरें 11 अक्टूबर से लागू होंगी। केंद्रीय बैंक के इस कदम से वित्तीय सिस्टम में 200 अरब रुपये आ जाएंगे।
इससे पहले सरकार ने विदेशी निवेश सीमित करने के लिए लगाया गया प्रतिबंध भी उठा लिया था। ज्ञातव्य है कि बढ़े सीआरआर के कारण बैंकों के पास धन की कमी हो गई थी। इससे ब्याज की दरें पिछले 18 माह के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
शेयर बाजार भी अपने दो वर्षों के सबसे निचले स्तर पर जा चुका है। इस गिरावट से रुपया डॉलर के मुकाबले पिछले साढ़े पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर जा चुका है। इन स्थितियों को लेकर केंद्रीय बैंक खासा फिक्रमंद था। और उसने सीआरआर में कटौती की घोषणा कर दी।
गोल्डमैन के मुंबई स्थित अर्थशास्त्री तुषार पोद्दार ने बताया कि अगर वैश्विक बाजार की स्थिति और खराब होती है तो रिजर्व बैंक सीआरआर में आगे और कटौती कर सकता है। हालांकि मुद्रास्फीति के अभी भी 12 फीसदी पर होने से रीपर्चेस रेट में ढील की उम्मीद तो नहीं है।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल से अब तक जिंसों के दामों में हुए इजाफे के कारण रीपर्चेस रेट में 1.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। 29 जुलाई को आखिरी बार उसने इन दरों में आधे फीसदी का इजाफा करके उसे 9 फीसदी कर दिया था।
पिछले साल देश में विदेशी निवेशकों ने 17.2 अरब डॉलर का यहां निवेश किया था। अब वे यहां से तेजी से अपना धन निकाल रहे हैं। इस जनवरी से अब तक ही वे 9.3 अरब डॉलर यहां से निकाल चुके हैं। इसके चले अब तक शेयर बाजार 40 फीसदी और रुपया 17.5 फीसदी गिर चुका है।
इस समय पूरी दुनिया में मनी मार्केट की दरें बढ़ी हैं। क्योंकि भविष्य में निमत होने वाली किसी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए ज्यादा कैश अपने पास रखना चाहती हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मंगलवार को कहा था कि वह शॉर्ट टर्म लेंडिंग मार्केट को संकट से निकालने के लिए 900 अरब डॉलर की मदद कर सकता है।
उधर, ऑस्ट्रेलियाई बैंक ने आज अपनी बेंचमार्क ब्याज दरों में एक फीसदी की कटौती की है। यह 1992 में आई मंदी के बाद से सबसे बड़ी कटौती है। उधर, बैंक ऑफ जापान ने यह मान लिया है कि देश के आर्थिक विकास की दर बुरी तरह से प्रभावित हुई है। और बाजार में 9.8 अरब डॉलर डाले हैं।
जेपी मोर्गन के मुंबई स्थित अर्थशास्त्री गुंजन गुलाटी ने कहा कि संकुचित तरलता की स्थिति को देखते हुए अब उन्हें आगे बढ़ोतरी की उम्मीद बेहद कम है। इसके उलट अब आरबीआई बाजार में तरलता के संकुचित होने पर दोबारा सीआरआर में कटौती कर सकता है। इससे पहले सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए शेयर खरीदने से पहले पंजीयन की बाध्यता खत्म कर दी थी।