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परिधान के लिए अलग पीएलआई होगी, गिरिराज सिंह ने बताए सरकारी प्लान

भारत का कपड़ा उद्योग करीब एक दशक पहले 112 अरब डॉलर का था जो आज करीब 60 फीसदी बढ़कर 176 अरब डॉलर को हो चुका है।

Last Updated- June 26, 2025 | 11:33 PM IST
Giriraj Singh

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने उद्योग भवन में अपने कार्यालय में शिवा राजौरा और असित रंजन मिश्र से खास बातचीत में श्रम बहुल कपड़ा उद्योग में बदलाव लाने के लिए सरकार द्वारा की जा रही पहल पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि तकनीकी के साथ-साथ नए जमाने के कपड़े तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्य अंश:

कपड़ा क्षेत्र किन चुनौतियों से जूझ रहा है और वहां कैसी संभावनाएं हैं?

भारत का कपड़ा उद्योग करीब एक दशक पहले 112 अरब डॉलर का था जो आज करीब 60 फीसदी बढ़कर 176 अरब डॉलर को हो चुका है। हम 2030 तक इसे 350 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रहे हैं। भारत आज तकनीकी कपड़ा क्षेत्र में भी काफी प्रगति कर रहा है। हम रोजगार सृजन के लिहाज से कपड़ा क्षेत्र को अग्रणी बनाना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि 2030 तक इस क्षेत्र में 2.5 करोड़ नई नौकरियां सृजित होंगी।

हम देश भर के 500 जिलों में भी काम कर रहे हैं। वहां हम छोटे कारीगरों एवं बुनकरों, हथकरघा श्रमिकों को एक मंच लाने की को​शिश कर रहे हैं ताकि उन्हें पर्याप्त बाजार उपलब्ध कराया जा सके। यूरोपीय संघ एवं अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते के जरिये भी उन्हें निर्यात बाजार उपलब्ध होंगे। हमारी सरकार उद्योग को एक कारोबारी परिवेश मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की थी। उस पर कैसी प्रतिक्रिया रही और कितना निवेश आया?

केंद्र ने 2021 में मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) से बने परिधान और कपड़ों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 5 साल के दौरान 10,683 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने अब तक कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना के तहत 80 आवेदनों को मंजूरी दी है।

हमारा लक्ष्य इस साल 500 करोड़ रुपये वितरित करने का है। हमें उम्मीद है कि हम उस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। पांच साल के दौरान इस क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना के तहत 19,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश और 7.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। हम जापान, कतर एवं अन्य देशों के वैश्विक ब्रांडों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं जो इस योजना के तहत निवेश करने के इच्छुक हैं। बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है।

क्या पीएलआई योजना में परिधान को भी शामिल करने के लिए बदलाव किया जाएगा?

नहीं, फिलहाल नीति में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है। हम उद्योग एवं अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। उनका रुख काफी सकारात्मक है कि आगामी महीनों के दौरान इस योजना में तेजी आएगी। सामान्य परिधानों के लिए हम एक अलग पीएलआई योजना लेकर आएंगे। हम उस पर तेजी से काम कर रहे हैं। आरओएससीटीएल जैसी योजनाओं के नतीजे भी अच्छे दिख रहे हैं। हम कुछ महीनों के बाद यह विचार करेंगे कि मार्च 2026 के बाद इनका विस्तार किया जाए या नहीं।

दुनिया में मानव निर्मित फाइबर का वर्चस्व है लेकिन भारत का रुख प्राकृतिक फाइबर के पक्ष में दिखता है। यह बाजार की हकीकत से विपरीत तो नहीं है?

कुछ साल पहले तक तकनीकी कपड़ों को एक सीमित दायरे में देखा जाता था। उसमें निवेश भी कम था और वह काफी हद तक आयात पर निर्भर होता था। मगर आज वह कपड़ा क्षेत्र में बदलाव की धुरी बन गया है। साल 2024 तक भारत के तकनीकी कपड़ा बाजार का आकार 26 अरब डॉलर था जो 2030 तक 40 से 45 अरब डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है।

तकनीकी कपड़ा पीएलआई योजना के केंद्र में है। स्वास्थ्य सेवा, कृषि, बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे क्षेत्रों में 73 तकनीकी कपड़ा वस्तुओं के अनिवार्य उपयोग के साथ उन्हें सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के साथ एकीकृत किया गया है। भारत अगले साल से कार्बन फाइबर का भी उत्पादन शुरू कर देगा, जिसका उपयोग एरोनॉटिक्स उद्योग में व्यापक तौर पर किया जाता है।

मानव निर्मित फाइबर बनाम प्राकृतिक फाइबर के बारे में मंत्रालय का नजरिया क्या है?

हम कपास की उत्पादकता में सुधार लाने और जूट उत्पादों के लिए एक नया बाजार तैयार करने ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए व्यापक शोध किया है और 2030 तक कपास की उपज को 1.5 गुना तक बढ़ाने और 600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के वैश्विक मानक तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। मैंने जूट के लिए उद्योग से कहा है कि वे पारंपरिक सरकारी खरीद से इतर परिधान, कालीन, पैकेजिंग आदि में नवाचार लाएं।

सरकार ने 7 पीएम मित्र पार्क स्थापित करने की मंजूरी दी है लेकिन कमजोर प्रदर्शन करने वाली पिछली योजनाओं जैसे एकीकृत कपड़ा पार्क योजना एवं मेगा क्लस्टर योजना जैसी ​​स्थिति न हो, इसके लिए क्या करेंगे?

सरकार ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता घटाने और रोजगार सृजित करने के लिए अब तक सात पार्कों को मंजूरी दी है। हर पार्क में आधुनिक सुविधाएं होंगी, जिनमें अनुसंधान केंद्र, परीक्षण प्रयोगशालाएं और उन्नत कपड़ा तकनीकों में श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए कौशल विकास केंद्र शामिल हैं। हमारा लक्ष्य इन कपड़ा पार्कों के जरिये भारत को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। मुझे उम्मीद है कि प्रत्येक पार्क में करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और करीब 1 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

जल्द ही यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते होने की उम्मीद है? इसका फायदा उठाने के लिए कपड़ा उद्योग को क्या करना चाहिए?

मैंने यह बात वाणिज्य मंत्री को पहले ही बता दी है। वे इस पर काम कर रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि वे बातचीत में दमदार तरीके से तर्क रखेंगे। अमेरिका के साथ बातचीत जुलाई के बाद शुरू होगी। देखते हैं क्या होता है।

First Published - June 26, 2025 | 11:07 PM IST

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