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परेशान क्षेत्रों के लिए होगी व्यापक योजना

Last Updated- December 14, 2022 | 10:00 PM IST

बीएस बातचीत
वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय का कहना है कि कई ऐसे संकेत हैं जिनसे पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार दबावग्रस्त क्षेत्रों को उबारने के लिए विभिन्न प्रतिनिधि निकायों से सुझाव ले रही  है और जल्द ही व्यापक योजना लेकर आएगी। दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना ने उनसे विभिन्न मुद्दों पर बात की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश :
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं लेकिन आलोचक रुकी हुई मांग के निकलने को इसकी वजह बता रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
पिछले कुछ महीनों में हमने बिजली की खपत, परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक, वस्तु एवं सेवा की संग्रह सहित विभिन्न मानदंडों पर सुधार के संकेत देखे हैं। अक्टूबर में जीएसटी संग्रह 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल अक्टूबर से करीब 10 फीसदी अधिक है। अक्टूबर में ई-वे बिल जेनरेशन भी पिछले साल की तुलना में 21 फीसदी अधिक रही है जबकि सितंबर में यह 10 फीसदी ज्यादा थी। ऐसे में अगर यह रुकी हुई मांग थी तो सितंबर में बढऩे के बाद अक्टूबर में इसमें नरमी आती लेकिन यहां तो और भी वृद्घि हुई है। 500 करोड़ रुपये और इससे अधिक कारोबार वाली कंपनियों के लिए ई-वे बिल की व्यवस्था शुरू की गई है। बीते शुक्रवार को ही 29 लाख ई-इन्वॉयस जेनरेट किए गए। सभी आंकड़े बता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। रुकी हुई मांग एक छोटा हिस्सा भर है लेकिन अर्थव्यवस्था कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच रही है और मासिक आधार पर इसमें वृद्घि देखी जा रही है।

क्या आप कहना चाह रहे हैं कि दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था वृद्घि के दायरे में आ जाएगी?
अगर आप पूरे साल की वृद्घि की बात करें तो हम ऋणात्मक दायरे में हैं। शून्य के करीब पहुंचने के बाद भी हमें दूसरी छमाही में मजबूत वृद्घि दिखानी होगी। हमें संकेत नजर आ रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में हम बेहतर स्थिति में होंगे।
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के बारे में वित्त मंत्रालय का क्या अनुमान है?
हम वर्तमान आंकड़ों और मौजूदा रुझान के आधार पर अनुमान लगाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन पिछले दो-तीन महीनों के संकेतक हमें भरोसा दिला रहे हैं कि हम वृद्घि के चरण में प्रवेश कर रहे हैं। दूसरी छमाही में हम ऊंचे आंकड़े देने की स्थिति में होंगे, इसलिए 2020-21 में वृद्घि दर शून्य के करीब रह सकती है जैसा कि वित्त मंत्री ने भी कहा है।

क्या वित्त मंत्रालय दीवाली से पहले एक और प्रोत्साहन पैकेज ला सकता है क्योंकि इसकी उम्मीद की जा रही है?
हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं। यह दूसरे या तीसरे प्रोत्साहन का सवाल नहीं है। मार्च में महामारी के दस्तक के बाद से कई तरह के पैकेज दिए जा चुके हैं और प्रोत्साहन के ढेरों उपाय भी किए गए हैं। जरूरत के आधार पर वित्त मंत्री हर बार पैकेज या प्रोत्साहन की घोषणा करती रही हैं। यह अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्र को कितनी मदद की जरूरत है, उस पर आधारित था। करदाताओं के हाथों में नकदी देने के लिए पिछले सात महीने में 2 लाख करोड़ रुपये के रिफंड किए गए हैं। प्रोत्साहन एकबार का मसला नहीं है बल्कि यह सतत प्रक्रिया है। दबाव वाले क्षेत्रों की चिंता को दूर करने के लिए हम सही समय पर समुचित कदम उठाएंगे।      

तो हम नवंबर में एक और प्रोत्साहन की उम्मीद कर सकते हैं?
मैं कहना चाहूंगा कि स्थिति पर हमारी नजर लगातार बनी हुई है और जब भी जरूरत होगी हम ऐसा करेंगे। हमें सीआईआई, फिक्की, सीएआईटी सहित एमएसएमई तथा विभिन्न मंत्रालयों से दबाव वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए कुछ सुझाव मिले हैं। समुचित उपाय के लिए हमने पिछले सात महीनों से उद्योग तथा समाज के अन्य वर्गों के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं। सुझावों के आधार पर हम व्यापक दृष्टिकोण अपनाएंगे लेकिन प्रोत्साहन कब आएगा, इसकी समयसीमा बताना कठिन है।

मौजूदा अनिश्चितता भरे हालात में इस बार बजट तैयार करने की प्रक्रिया कितनी अलग होगी?
एक अच्छी बात यह है कि वैश्विक महामारी के बाद भी मांग में सुधार दिख रहा है। ई-वे बिल प्रणाली से वस्तुओं के आवागमन में बढ़ोतरी का पता चल रहा है। इससे जाहिर होता है कि लोग महामारी के बीच पर्याप्त सावधानी बरतते हुए इसके साथ जीने के आदी हो गए हैं। अर्थव्यवस्था में विभिन्न गतिविधियों में सुधार के संकेत मिलने के साथ ही कोविड-19 संक्रमण में खासी कमी आई है। जहां तक बजट तैयार करने की प्रक्रिया का सवाल है तो हम इस पर लगातारी नजर रख रहे हैं। हमारे बजट प्रस्तावों में हरेक क्षेत्र का ध्यान रखा जाएगा।

अगले वर्ष के बजट में किन बातों पर खास ध्यान दिया जाएगा?
हम विभिन्न पक्षों से फिलहाल बातचीत कर रहे हैं और उनकी प्रतिक्रियाएं जानने की कोशिश में लगे हैं। व्यय विभाग रोजाना कई विभागों के साथ मशविरा कर रहा है और उनकी जरूरतें और राय समझने की कोशिश की जा रही है। मैंने सभी राज्यों को पत्र लिखकर उनके सुझाव भी मांगे हैं। हम विभिन्न औद्योगिक संगठनों, एमएसएमई और कारोबारी संघों से भी बात कर रहे हैं और उनके सुझाव दर्ज कर रहे हैं। इसके बाद हम उनसे बातचीत भी करेंगे और उसके बाद उनकी असल जरूरतों को समझ पाने की स्थिति में होंगे।

कोविड-19 महामारी लंबी खिंचने से क्या सरकार अगले वर्ष के बजट की मध्यावधि समीक्षा भी करेगी?
बजट प्रक्रिया में पहले हम बजट अनुमान देते हैं और मॉनसून सत्र में इनकी पहली समीक्षा होती है। दूसरे शब्दों में कहें बजट के प्रावधानों की समीक्षा के लिए पहले से ही व्यवस्था मौजूद है। इसके अलावा पूरक प्रस्तावों के तहत बजट के अनुमान में संशोधन होते रहते हैं। उसके बाद अगले वर्ष के लिए बजट के समय अंतिम अनुमान पेश किए जाते हैं।

इस वर्ष के राजस्व संग्रह लक्ष्य में कितनी कमी रह सकती है?
इस वर्ष कुछ महीनों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर दोनों मदों में संग्रह कम रहे हैं। अब इनमें थोड़ा सुधार दिखना शुरू हो गया है। ऐसे में मैं अगले एक या दो और महीनों तक इन आंकड़ों नजरें जमाएं रखूंगा। हालांकि वृहद स्तर पर देखें तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर लगभग न के बराबर रहेगी। अगर ऐसा हुआ तो वास्तविक कर संग्रह भी इसी दायरे में या एक या प्रतिशत तक नीचे रह सकता है। हमें अर्थव्यवस्था में दिख रहे सुधार को जारी रखना होगा। इसके लिए हमें आर्थिक गतिविधियां जारी रखने के साथ ही महामारी से लडऩे के लिए पर्याप्त सावधानियां भी बरतनी होंगी।

इस वर्ष राजकोषीय घाटे का आंकड़ा लक्ष्य से कितना कम रह सकता है?
फिलहाल इसके लिए इंतजार करना होगा और संशोधित अनुमान आने के बाद ही पुख्ता तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।

क्या किसी राज्य ने अब तक जीएसटी मुआवजे के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये उधारी के प्रस्ताव पर कोई जवाब दिया है?
वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उन्हें विकल्प का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है ताकि उन्हें रकम दी जा सके। हम राज्यों से लगातार बात कर रहे हैं और उन्हें इस विकल्प का इस्तेमाल करने का आग्रह लगातार करते रहेंगे। वे जब चाहें यह विकल्प अपना सकते हैं।

First Published - November 2, 2020 | 3:06 AM IST

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