भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि बैंकिंग नियामक को निरंतर आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए महंगाई पर ‘साफ’और ‘स्पष्ट तरीके से’ ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
फाइनैंशियल एक्सप्रेस मॉडर्न बीएफएसआई सम्मेलन में अपने संबोधन में दास ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य महंगाई दर है और हमें वृद्धि को ध्यान में रखने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘हम बहुत सावधानी से वृद्धि के आंकड़ों की निगरानी करते हैं और मैंने कई मौकों पर कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुसार केंद्रीय बैंक का काम वृद्धि के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए मूल्य में स्थिरता (महंगाई दर 4 प्रतिशत पर बनाए रखना) बनाए रखना है। इसलिए हमारी सभी मौद्रिक नीति के फैसलों में वृद्धि के पहलू को हमेशा ध्यान में रखा जाता है।’
दास ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि तेज रही है और पिछले 3 साल के दौरान औसत वृद्धि दर 8.3 फीसदी थी। दास ने कहा, ‘इस साल हमारा अनुमान 7.2 फीसदी वृद्धि का है और हमें विश्वास है कि यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। दरअसल हमारा मानना है कि अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि 7.4 फीसदी रही है। और दूसरी तिमाही में वृद्धि की गति मजबूत बनी हुई है। इस तरह वृद्धि स्थिर है और हमें महंगाई दर पर साफ और स्पष्ट तरीके से ध्यान देने की जरूरत है।’
घरेलू दर तय करने वाली समिति ने रीपो रेट फरवरी 2023 से 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है, जिससे कि टिकाऊ रूप से 4 फीसदी महंगाई दर का लक्ष्य हासिल किया जा सके। ब्याज की तटस्थ दर को लेकर दास ने कहा, ‘महामारी के तुरंत बाद जब संभावित वृद्धि दर कम थी, तो तटस्थ दर 0.8 प्रतिशत से 1 प्रतिशत आंकी गई थी। अब कोविड का असर खत्म हो गया है और वृद्धि की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में ब्याज की तटस्थ दर 1.4 से 1.9 प्रतिशत की सीमा में आंकी गई है। ऐसे में भले ही हम तर्क दें कि वास्तविक दरें अधिक हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।’ उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का लक्ष्य महंगाई दर है, न कि ब्याज की तटस्थ दर।
बड़े औद्योगिक घरानों को बैंकिंग के क्षेत्र में अनुमति दिए जाने के सवाल पर दास ने ऐसी किसी संभावना से फिलहाल इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘भारत को बैंकों की संख्या बढ़ाने की नहीं, बल्कि सुदृढ़, स्वस्थ और सुशासित बैंकों की आवश्यकता है।’
उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया के अनुभवों से पता चलता है कि जब असल कारोबारी क्षेत्रों की कंपनियां बैंकिंग के क्षेत्र में प्रवेश करती हैं, उनके हितों के टकराव की संभावना अधिक होती है। साथ ही संबंधित पक्ष से लेनदेन संबंधी मसले भी सामने आते हैं। संबंधित पक्ष से लेनदेन से जुड़े मसलों पर नजर रखना या उन्हें रोक पाना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए जोखिम बहुत ज्यादा है।’
हालांकि, गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक यूनिवर्सल बैंक स्थापित करने के लिए आवेदन के विकल्प खुले रखेगा। उन्होंने कहा, ‘मैं इस समय यह नहीं कह रहा हूं कि बैंकों की संख्या पर्याप्त है और अब कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। मैं यह कह रहा हूं कि अगर आवेदन मिलते हैं तो उस पर विचार होगा।’