लगभग एक महीने पहले क्रेडिट सुइस के एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया था कि 190 अरब डॉलर के निवेश की 34 परियोजनाओं में भारतीय पूंजी लागत बढ़ जाएगी।
क्योंकि रुपया पिछले 19 माह के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। लेकिन अब स्थिति और भी बदतर होती जा रही है तथा धीमा विकास और गंभीर तरलता संकट की वजह से आत्मविश्वास डगमगाने लगा है।
इसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियां अपनी कई विस्तार योजनाओं से पीछे हट रही हैं। इसी वजह से भूमि अधिग्रहण, अनुमति, लागत मूल्य और मांग में कमी की वजह से स्थिति और भी भयानक होती जा रही है।
भारतीय कंपनियों की विस्तार योजनाएं आर्सेलर मित्तल से मेल नहीं खाती हैं। कहने का मतलब है कि विश्व की सबसे बड़ी इस्पात बनाने वाली कंपनी आर्सेलर मित्तल के बारे में ऐसा माना जा रहा है कि वह अपनी 35 अरब डॉलर की 8 वर्षीय विस्तार योजना से हाथ पीछे कर सकती है। इसने पिछले कुछ सालों में 1.5 खरब डॉलर की कई योजनाएं बनाई हैं और उसे क्रियान्वित किया है।
बहुत सारी कंपनियों के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन अगर मिसाल के तौर पर जेएसडब्ल्यू स्टील की बात की जाए, तो कंपनी ने पश्चिम बंगाल में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश को कम कर 4000 करोड़ रुपये कर दिया है।
शेषागिरि राव के मुताबिक, ‘विजयनगर में 70 लाख टन से 1 करोड़ टन की विस्तार योजना को हासिल करने की दिशा में हमलोग 6 महीने आगे चल रहे हैं। लेकिन हमलोग चाहते हैं कि निर्धारित समय सीमा सितंबर 2010 को ही लक्ष्य रखा जाए। इसमें आश्चर्य की कोई बात नही है कि जेएसडब्ल्यू 70 लाख टन की इकाई को ही पूरी क्षमता के साथ चलाने की इच्छुक है।
अभी नई लाइन से उत्पादन चालू करना बाकी है। वास्तव में इससे उत्पादन में 20 फीसदी की कमी आ गई है।’ टीवीएस मोटर्स के अध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन ने पिछले सप्ताह कहा था कि टीवीएस अपनी 100 करोड़ रुपये की योजना को कम कर 40 करोड़ रुपये की करेगी।
टाटा मोटर्स इस बाबत पूरी सावधानी बरत रही है और उसने कहा था कि वह अपनी पूंजी व्यय की समीक्षा करेगी। वैसे अपनी विस्तार क्षमता में कमी के बारे में कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं हो सका है। पिछले सप्ताह कंपनी ने अपने तीन संयंत्रों में लक्षित क मर्शियल गाड़ियों के उत्पादन में कमी कर दी है।
टाटा स्टील हालांकि अपने कलिंग नगर प्लांट में 60 लाख टन की योजना स्थापित करने की योजना पर आगे बढ़ रही है। अशोक लीलैंड के सीओओ ने यह कहा कि उत्तराखंड में 50,000 इकाइयों का संयंत्र निर्माण कार्य जोरों पर है और यह मार्च 2010 से काम करना शुरू कर देगा।
सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास ने कहा, ‘ऐसी परियोजनाएं जो वापस ले ली गई हैं या पूरी हो चुकी हैं, उसे स्थापित करना मुश्किल लग रहा है। वे क्षेत्र जो अभी काफी तेज गति से काम कर रहे थे, उन्हें भी पीछे लाने की कवायद शुरू हो गई है। संकट की स्थिति में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।’ व्यास कहते हैं कि कुछ ऐसी योजनाएं है, जिसकी घोषणा होने के बाद उसे पूरा करने की कोशिश चल रही है।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने पश्चिम बंगाल में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश को कम कर 4000 करोड़ किया
टीवीएस अपनी 100 करोड़ की योजना को कम कर 40 करोड़ करेगा
कई कंपनियों ने अपना उत्पादन घटाया