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टिंबर उद्योग में मंदी का घुन

Last Updated- December 08, 2022 | 9:43 AM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में तीन पीढ़ियों से टिंबर का कारोबार करने वाले सुनील छाबड़ा भी मंदी की मार से खुद को बचा नहीं पाए।


मांग में कमी की वजह से जयपुर, उदयपुर और अन्य जगहों के व्यापारियों ने अपने ऑर्डर रद्द कर दिए। इसकी वजह से छाबड़ा को अपने उत्पादन में करीब 40 फीसदी की कटौती करनी पड़ी।

कानपुर में छोटे-बड़े करीब 150 टिंबर व्यापारी हैं, जो कच्चे माल के लिए आस-पास के ग्रामीण इलाकों पर निर्भर हैं। जबकि बने-बनाए माल की आपूर्ति शहर के पड़ोसी जिलों के अलावा, राजस्थान और अन्य राज्यों को की जाती है।

छाबड़ा का कहना है कि पिछले दो माह के दौरान बाहर से मिलने वाले ऑर्डर में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं घरेलू मांग भी 20 फीसदी कम हुई है। पिछले साल करीब 50 टन टिंबर की बिक्री हुई थी, लेकिन इस साल 35 टन बेचना भी मुश्किल लग रहा है।

मांग में कमी की वजह से इलाके के करीब 15 व्यापारी दिवालिया हो चुके हैं, जबकि दर्जनों कारोबारियों पर जल्द ही गाज गिरने वाली है। दरअसल, पैसे की किल्लत की वजह से कारोबारी बैंकों का कर्ज चुका नहीं पा रहे हैं।

मांग में आई गिरावट से निबटने के लिए छाबड़ा ने उत्पादन में कटौती के साथ-साथ मशीनों को चलाने के लिए बिजली की जगह लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं। छाबड़ा ने कहा कि टिंबर कारोबार में तो नुकसान हो ही रहा है, वहीं फंड जुटाना भी दूभर हो गया है।

छाबड़ा का कहना है कि संकट का यह दौर जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। लेकिन बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से मदद लेकर कारोबार को किसी तरह जिंदा रखने की कवायद की जा रही है। शहर के अन्य टिंबर कारोबारियों का भी ऐसा ही हाल है।

First Published - December 16, 2008 | 11:54 PM IST

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