अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन केवल 2.7 प्रतिशत बढ़ा, जो आठ महीने की सबसे कम वृद्धि है। मार्च में इसमें 3.94 प्रतिशत इजाफा हुआ था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय से आज जारी आंकड़ों में रफ्तार घटने की वजह ऊंचा आधार और खनन क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट बताई गई है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईपीपी) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में खनन क्षेत्र का उत्पादन 0.2 प्रतिशत घटा और आठ महीनों में पहली बार उसमें गिरावट आई। बिजली क्षेत्र का उत्पादन 1.1 प्रतिशत बढ़ा मगर इसकी रफ्तार भी पिछले सात महीने में सबसे सुस्त रही। अप्रैल में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन भी सुस्त होकर केवल 3.4 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल में आईआईपी 5.2 प्रतिशत बढ़ा था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘अप्रैल में बुनियादी क्षेत्र का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा, जो नए वित्त वर्ष में औद्योगिक वृद्धि के लिए सकारात्मक है।’इस महीने की शुरुआत में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत के आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि गिरकर 0.5 प्रतिशत रह गई थी, जो आठ महीने में सबसे कम स्तर था। रिफाइनरी उत्पादों व उर्वरकों सहित तीन क्षेत्रों में जबरदस्त गिरावट हुई थी। बिजली और प्राकृतिक गैस में वृद्धि तो हुई थी मगर बेहद कमजोर थी।
प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन 0.4 प्रतिशत घटा, जो अगस्त 2024 के बाद पहली गिरावट है। इस महीने में कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स का उत्पादन 1.7 प्रतिशत घटा, जो लगातार तीसरे महीने आई गिरावट है। मगर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में उत्पादन 6.4 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ा।
केयर एज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने बताया कि मांग कहीं कम और कहीं ज्यादा रहने के कारण घरेलू उपभोग की स्थिति पर नजर रखनी होगी। उन्होंने कहा, ‘कृषि में अनुकूल प्रदर्शन और मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद घरेलू मांग के लिए मददगार होगी। लेकिन शहरों में अभी मांग स्थिर नहीं दिख रही है। खाद्य महंगाई में कमी आने के कारण कुल महंगाई घटी है, जिससे मांग में इजाफे को सहारा मिलेगा।’
इस बीच पूंजीगत वस्तु क्षेत्र का उत्पादन उछलकर 18 माह के उच्च स्तर 20.3 प्रतिशत पर पहुंच गया। इससे देश में निवेश गतिविधियां बढ़ने का पता लगता है। बिजली और गैर बिजली मशीनरी में भी निवेश बढ़ा है। इस महीने इंटरमीडियरी वस्तुओं का उत्पादन बढ़कर 4.1 प्रतिशत रहा। अप्रैल में 23 में से 16 क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई और तीन महीने में पहली बार इतने क्षेत्रों में वृद्धि दिखी है। इन क्षेत्रों में खाद्य उत्पाद, तंबाकू, कपड़ा, परिधान, लकड़ी के उत्पाद, रबड़ के उत्पाद, बुनियादी धातुएं, कंप्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक आदि थे।
इंडिया रेटिंग्स के सहायक निदेशक पारस जसराय ने कहा कि मई में गर्मी कम रहने के कारण बिजली कम रही होगी। बेमौसम बारिश से भी निर्माण क्षेत्र की वस्तुओं के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा ऊंचे आधार प्रभाव के कारण मई में औद्योगिक उत्पादन 2 प्रतिशत से कम रह सकता है।’
अप्रैल 2025 से आईआईपी हर महीने की 28 तारीख को जारी किया जा रहा है। इसलिए किसी भी महीने का औद्योगिक उत्पादन 42 दिन के बजाय 28 दिन के बाद ही पता चल जाता है। इसलिए आईआईपी में दूसरी बार संशोधन नहीं करना पड़ता।