खाद्य वस्तुओं की कीमत ज्यादा होने के कारण भारत में खुदरा महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 6.40 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। अर्थशास्त्रियों के बीच रॉयटर्स की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक पिछले 5 महीने में पहली बार महंगाई दर भारतीय रिजर्व द्वारा तय की गई 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर जाने की संभावना है।
महंगाई बॉस्केट में खाद्य कीमतों की हिस्सेदारी करीब आधी होती है, जिसमें पिछले 2 महीने में तेजी आई है। इसकी वजह पूरे देश में असमान मॉनसून रहा है। इसके कारण थोक बाजार में पिछले 3 महीने में टमाटर के दाम 1,400 प्रतिशत से ज्यादा बढ़े हैं।
इसका असर भारत की आबादी के उस बड़े हिस्से पर पड़ रहा है, जो गरीब और मध्य वर्ग के हैं। लेकिन रिजर्व बैंक द्वारा इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देने की संभावना नहीं है और अपने गुरुवार की बैठक में वह दरों को यथावत रख सकता है।
अगस्त में 3 से 8 के बीच कराए गए रॉयटर्स पोल में 53 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) जुलाई में सालाना आधार पर 6.40 प्रतिशत बढ़ेगा।
महंगाई में बढ़ोतरी 4.85 से 7.60 प्रतिशत की सीमा में रहने का अनुमान लगाया गया है और ज्यादातर का अनुमान है कि महंगाई दर रिजर्व बैंक की तय ऊपरी सीमा को पार कर जाएगी। इसमें कहा गया है कि महंगाई अगले कुछ सप्ताह तक बनी रह सकती है।
बार्कलेज में चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘अगस्त में खाद्य महंगाई पिछले महीने से कम होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि अभी महीने की शुरुआत है, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि सीपीआई महंगाई दर अगले 2 महीने यथावत बनी रहेगी और उसके बाद 2023 की चौथी तिमाही में घटनी शुरू होगी।
अतिरिक्त सवालों के जवाब देने वाले 28 में से 24 यानी 86 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि महंगाई दर चालू तिमाही के अंत तक 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी।
अगर पोल का मत सही साबित होता है तो मौजूदा तेजी इस तिमाही में महंगाई दर 5.2 प्रतिशत रहने के रिजर्व बैंक के अनुमान को पार कर सकती है।
सोसियाते जेनेरली में इंडिया इकोनॉमिस्ट कुणाल कुंडू ने कहा, ‘खाद्य महंगाई में अचानक आई तेजी 3-4 महीने तक सामान्यतया रहती है और उसके बाद उसी तेजी से नीचे चली जाती है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि हमेशा ऐसा नहीं होता है।
सर्वे में यह भी कहा गया है कि थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर जुलाई में गिरकर 2.70 प्रतिशत रह सकती है, जो जून में घटकर 4.12 प्रतिशत थी।