देश के कुल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाला सेवा क्षेत्र के लिए मुद्रास्फीति को मापने के लिए अलग सूचकांक लाने की कवायद चल रही है और उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक यह आ भी जाएगी।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अंतर्गत सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति का आकलन नही हो पाता है।अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ ही देशों में ही सेवा मूल्य सूचकांक उपलब्ध है। हालांकि भारत जैसे देशों में इस तरह के सूचकांक को तुरंत क्रियाशील करना मुश्किल है क्योंकि इसके आंकड़े एकत्र करने में कठिनाई आने की गुंजाइश है।
इसके बावजूद औद्योगिक नीति और प्रोत्साहन विभाग (डीआईपीपी) हर क्षेत्र के अलग सूचकांक लाने का निर्णय ले चुकी है। इस संबंध में यातायात, शिपिंग और बंदरगाह, रेलवे, सड़क यातायात, बैंकिं ग और बीमा,दूरसंचार, डाक सेवा तथा बिजनेस और ट्रेड आदि क्षेत्रों के लिए अलग सूचकांक बनाने की कवायद चल रही है।
एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एक संपूर्ण सूचकांक को तब ही तैयार किए जा सकते हैं जब मूल्य और उत्पाद की निरंतरता बनी रहे। सेवा क्षेत्र में यह चुनौती हमेशा बनी रहती है कि निरंतर आंकडाें को संग्रहित करने में मुश्किल आती है। अधिकारी ने बताया कि हम सेवा के अलग अलग क्षेत्र के सूचकांक को इस साल के अंत तक लाने की सोच रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि वे हर विभाग से लगातार संपर्क बना रहे हैं।
इंस्टीटयूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ के एसोसिएट प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि जब सेवा क्षेत्र को योगदान हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत है तो एक अलग सेवा मूल्य सूचकांक बनाना निश्चित तौर पर जरूरी है। औद्योगिक कामगारों पर आधारित सीपीआई की श्रेणी में भी सेवा क्षेत्र के खपत का कुल योगदान 23 प्रतिशत है और इसके बावजूद यह इसमें शामिल नही है।
डीआईपीपी के एक सूत्र ने बताया कि डब्ल्यूपीआई और सेवा मूल्य सूचकांक को मिलाकर उत्पादक मूल्य सूचकांक (पीपीआई) बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए वैसे कोई समय सीमा तय नही की गई है।पिछले साल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के सीपी चंद्रशेखर की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी जिसे सेवा सूचकांक के सिलसिले में तकनीक सलाह देनी थी। इसके एक सदस्य ने कहा कि समिति ने चार रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है।
ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि डब्ल्यूपीआई की तरह इस सूचकांक के लिए भी आधार वर्ष 2004-05 ही रखा जाएगा। इसके कंपाइलेशन, वर्गीकरण, भारांक, मूल्य सूचकांक की गणना और सेवा मूल्य सूचकांक बनाने की जिम्मेदारी वाणिज्य मंत्रालय के आर्थिक विंग का है।अधिकारी ने बताया कि सड़क मूल्य सूचकांक बनाने वाले कंसल्टेंट से विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है। खबर तो यह भी है कि रिजर्व बैंक ने बैंक मूल्य सूचकांक का प्रारूप भी बना लिया है और इस मामले में सरकार से भी बात चल रही है।