वित्त मंत्री पी चिदंबरम निर्यातोन्मुखी इकाइयों(ईओयू)और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया(एसटीपीआई) की कर रियायत की समय-सीमा पर अभी अंतिम निर्णय देने के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सूत्रों का मानना है कि इसकी अब कोई संभावना नही दिख रही है। वित्त मंत्री ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि इस मुद्दे पर 31 मार्च 2009 तक विचार करने की संभावना है।
328,061 कंपनियों पर किए गए एक अध्ययन पर यह पता चला कि ईओयू और एसटीपीआई के जरिये 2007-08 में मुख्य कर खर्च क्रमश: 30.25 प्रतिशत और 30.24 प्रतिशत रहा।
एसटीपीआई और ईओयू को आयकर कानून 1961 की धारा 10ए और 10बी के तहत प्रत्यक्ष कर में छूट मिलती है। यह सुविधा इनके लिए 31 मार्च 2009 को खत्म होने वाली है। देशभर में 8000 एसटीपीआई और 2300 ईओयू पंजीकृत हैं।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक अब और इकाइयों को पंजीकृत नही किया जा रहा है, क्योंकि इनसे जुड़ी हुई कर छूट की सुविधाएं 31 मार्च 2009 तक समाप्त होने वाली है। अधिकारियों ने बताया कि मार्च 2009 तक इस मुद्दे पर विचार करने के लिए भरपूर समय है। इसी संशय की वजह से छोटी कंपनियां इस क्षेत्र में नही आना चाह रही है। वैसे भी लगता है कि इसके समय-विस्तार की संभावना कम पड़ती जा रही है।
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद् के अध्यक्ष वी कृष्णमूर्ति ने वित्त मंत्रालय से इसकी समय-सीमा बढ़ाने की सिफारिश की थी । दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय की मदद से चलाए जा रहे एक अध्ययन में ,जिसमें अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र संबंधों पर आधारित भारतीय परिषद् के जाने-माने अर्थशास्त्री शामिल हैं,ने भी इसकी समय-सीमा बढाने की पेशकश की गई है।
वैसे भी बजट 2008-09 में ईओयू की इकाइयों के घरेलू बाजार में उतरने की संभावना को भी कम कर दिया गया है। दरअसल ऐसा करने पर इन इकाइयों को अपने सामान घरेलू बाजार में महंगे दामों में बेचना पड़ेगा। इस बजट में इन इकाइयों पर उत्पाद शुल्क को 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत कर दिया गया है। पिछले साल जब से ईओयू इकाइयों पर मैट(न्यूनतम वैकल्पिक कर)लगाया गया,मानिए इनके लाभ कमाने के रास्ते को संकरा कर दिया गया।
