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ई-कॉमर्स के लिए फेमा नियम आसान किए जाने पर चल रही बात

विदेश व्यापार नीति के तहत लाभ के लिए आवेदन करने वालों को रियलाइजेशन के प्रमाण के रूप में ई-बीआरसी पूरा करने की जरूरत होती है।

Last Updated- March 14, 2024 | 11:41 PM IST
Govt, RBI in talks to ease Fema guidelines for boosting e-commerce exports ई-कॉमर्स के लिए फेमा नियम आसान किए जाने पर चल रही बात
Santosh Sarangi, Director General of Foreign Trade, Ministry of Commerce

वाणिज्य मंत्रालय विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के दिशानिर्देशों को उदार बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ बातचीत कर रहा है। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इसका मकसद भारत से ई-कॉमर्स के निर्यात को सुविधा प्रदान करना है।

इक्रियर द्वारा आयोजित पहले एशिया पैसिफिक ई-कॉमर्स पॉलिसी समिट के दौरान सारंगी ने कहा, ‘कुछ दिन पहले हमने रिजर्व बैंक के अधिकारियों के पूरे दल के साथ बैठक की थी, जो यह मामला देखते हैं। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों में तमाम उदार नियम आने वाले हैं और इसका परिणाम हम अगले दो से तीन महीनों के दौरान ई-कॉमर्स निर्यात नीतियों में देख सकेंगे।’

सारंगी ने कहा कि बी2बी शिपमेंट के लिए रिजर्व बैंक का एक फेमा दिशानिर्देश है जिसके तहत भुगतान की प्राप्ति एक निश्चित अवधि (9 महीने) के भीतर होनी चाहिए। सारंगी ने कहा, ‘लेकिन यह अवधि बढ़ाई जा सकती है।’

उन्होंने संकेत दिए कि वाणिज्य विभाग ई-कॉमर्स निर्यात के लिए दिशानिर्देशों को उदार बनाने हेतु रिजर्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रहा है। किसी भी निर्यात रियलाइजेशन के लिए फेमा दिशानिर्देशों में सुझाव दिया गया है कि उस रियलाइजेशन को शिपिंग बिल से जोड़ा जाना चाहिए।

सारंगी ने कहा, ‘यह इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (ई-बीआरसी) के माध्यम से किया जाता है। डीजीएफटी की टीम रिजर्व बैंक के साथ काम कर रही है, जिससे यह ई-बीआरसी स्व-घोषणा के आधार पर हो सके। इससे उन निर्यातकों को मदद मिलेगी, जिनके कंसाइनमेंट की संख्या ज्यादा होती है और उनका मूल्य कम होता है। वे बैंकों से संपर्क किए बगैर खुद ऐसा करने में सक्षम होंगे। इससे ई-कॉमर्स कारोबारियों के कारोबार में बहुत सुगमता आएगी।’

इस समयय निर्यात के भुगतान के रियलाइजेशन पर बैंकों द्वारा डीजीएफटी के सिस्टम पर ई-बीआरसी अपलोड किया जाता है। विदेश व्यापार नीति के तहत लाभ के लिए आवेदन करने वालों को रियलाइजेशन के प्रमाण के रूप में ई-बीआरसी पूरा करने की जरूरत होती है।

सारंगी ने कहा कि रिजर्व बैंक के अलावा वाणिज्य विभाग, राजस्व विभाग और डाक विभाग के साथ भी मिलकर काम कर रहा है, जिससे ई-कॉमर्स निर्यात में तेजी लाई जा सके।

उन्होंने कहा, ‘जवाबदेही और जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों को नामित करने और निर्यात के खेपों को बहुत तेजी से निपटाना महत्त्वपूर्ण होगा। इसके साथ ही देश और विदेश में पर्याप्त भंडारण व्यवस्था और समय के मुताबिक उपभोक्ताओं की मांग पूरी करना भी अहम होगा। इसलिए हम ई-कॉमर्स पर असर डालने वाले कई हिस्सेदारों राजस्व विभाग, डाक विभाग व निजी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’

डीजीएफटी ने कहा कि भारत के ज्यादातर व्यापार कानून और व्यापार नियम बी2बी शिपमेंट के हिसाब से तैयार किए गए हैं और नियामकों को विचारों में उल्लेखनीय बदाव की जरूरत है, जिससे निर्यात की बदलती स्थिति को समझा जा सके, जिसमें भारत स्थित आपूर्तिकर्ता सीधे विदेश के ग्राहकों के साथ संपर्क कर सकें।

उन्होंने कहा, ‘वाणिज्य में 20 प्रतिशत वस्तुएं वापस कर दी जाती हैं। जिस तरह से हमारे व्यापार नियम बनाए गए हैं, वापस आए सामान के लिए तमाम जांच होती है। ऐसे में आप यह कैसे सुनिश्चित कर सकेत हैं कि ई कॉमर्स की वापस आई वस्तुएं, जो काफी कम मूल्य की होती हैं, उन्हें आसानी से वापस आया हुआ माल माना जा सकेगा।

First Published - March 14, 2024 | 11:41 PM IST

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