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एस ऐंड पी ने घटाई रेटिंग

Last Updated- December 10, 2022 | 5:52 PM IST

मंदी की मार से भारतीय अर्थव्यवस्था की दिनों दिन बिगड़ती हालत को देखते हुए स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स रेटिंग सर्विस ने भारत के लंबी अवधि के सॉवरिन क्रेडिट को स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है।
ऐस ऐंड पी ने भारत के लिए अपनी बीबीबी- लॉन्ग टर्म और ए-3 शॉर्ट टर्म सॉवरिन रेटिंग भी दी है। इस अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि भारत की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई और यह उस स्तर पर पहुंच गई है जो मध्य अवधि के दौरान देश के आर्थिक बोझ का वहन कर पाने में नाकाम रह सकती है।
विज्ञप्ति में सामान्य सरकारी घाटा, जिसमें बजट के अलावा किए जाने वाले कुछ उपाय जैसे तेल और उर्वरक बॉन्ड शामिल हैं, के 31 मार्च 2009 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में बढ़कर 11.4 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाने की आशंका है।
पिछले साल यह 5.7 फीसदी थी। ऐस ऐंड पी के विश्लेषकताकाहिरा ओगावा के मुताबिक सरकार ने ऐसी बहुत सारी नीतियों का कार्यान्वयन किया है जिससे आम चुनाव के ठीक पहले देश की वित्तीय स्थिति पर बोझ और अधिक बढ ग़या है।
बकौल ओगावा, इन योजनाओं में किसानों को मिली कर्जमाफी और केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी शामिल हैं। गौरतलब है कि पिछले 11 सालों में पहली बार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी की गई है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और वैश्विक आर्थिक संकट के कारण भी भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पडा है।
इधर कुछ दिनों पहले ही पेश किए गए आम बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमानित स्तर से कहीं ऊपर रहने की बात कही गई है। एस ऐंड पी के अनुसार वित्त वर्ष 2010 में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर 11.1 फीसदी के स्तर पर आ सकता है और चुनाव के बाद अगली सरकार कुछ और सहायता राशि की घोषणा करती है तो भी स्थिति में कुछ खास सुधार होने के असार कम ही हैं।
हालांकि ओगावा ने कहा कि भारत के मध्य अवधि के विकास की संभावनाओं के मजबूत होने के बावजूद आने वाले कुछ दिनों में अनिश्चित आर्थिक माहौल को देखते हुए राजकोषीय घाटे को पटरी पर लाने में देरी हो सकती है।
एस ऐंड पी की रिपोर्ट में भारत में सरकार नियंत्रित उद्यमों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया की गई है। बतौर रिपोर्ट भारत के बिजली सहित कई सरकार नियंत्रित उद्यम अक्षम हैं जबकि ऑयल मार्केटिंग, ऊर्वरक उत्पादन आदि पर वैश्विक स्तर पर कीमतों में आने वाले उतार-चढाव का खासा असर पड़ता है।
ओगावा ने कहा कि ये क्षेत्र सरकार की तरफ से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। हालांकि ऐंस ऐंड पी ने  भारत के  के बारे में कुछ अच्छी बातें भी कही हैं।

First Published - February 25, 2009 | 1:11 PM IST

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