सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से मापी जाने वाली भारत की आर्थिक वृद्धि दर एसऐंडपी ग्लोबल (S&P Global) के अनुसार वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में औसतन 6.4 फीसदी रह सकती है। रेटिंग एजेंसी ने खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी और निर्यात में नरमी के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि आने वाले वर्षों में वृद्धि दर पर इनका प्रभाव दिख सकता है।
रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा है, ‘ हमने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अपना अनुमान 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.4 फीसदी कर दिया है। खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी और निर्यात में नरमी के कारण उत्पन्न चुनौतियों की देसी मोर्चे पर दमदार रफ्तार से काफी हद तक भरपाई होती दिख रही है।”
एजेंसी ने कहा, “फिर भी हमें लगता है कि वैश्विक वृद्धि में नरमी, उच्च आधार और ब्याज दरों में वृद्धि के बचे-खुचे असर के कारण दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त रहेगी। इसलिए हमने वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि दर का अपना अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.4 फीसदी कर दिया है।’
नवंबर के आरंभ में मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने भी कहा था कि कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने के आसार हैं। मगर गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रहेगी।
एसऐंडपी का कहना है कि उन विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर सबसे कम रहेगी, जो कमजोर वैश्विक व्यापार परिस्थितियों (दक्षिण कोरिया, ताइवान व सिंगापुर) के संपर्क में हैं या जहां मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में उल्लेखनीय वृद्धि (ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड) की है। एसऐंडपी ने उम्मीद जताई है कि 2023 में एशिया-प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं में जीडीपी वृद्धि दर 1 फीसदी से अधिक होगी।
भारत की बात करें तो एसऐंडपी ग्लोबल मानती है कि दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहेंगी क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी बरकरार है। नोट में कहा गया है कि यह देखकर भारतीय रिजर्व बैंक अभी ब्याज दरें ऊंची ही रख सकता है।
गोल्डमैन सैक्स का भी मानती है कि कि आपूर्ति में झटकों के कारण अगले साल मुद्रास्फीति औसतन 5.1 फीसदी बनी रहेगी। इसलिए गोल्डमैन सैक्स ने 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जाहिर किया है।