वित्तीय मंदी ने अब तो दिल्ली एयरपोर्ट पर भी पांव पसार दिए हैं। इस एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण में लगी कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) को अब रकम जुटाना मुश्किल हो रहा है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जीएमआर की अगुआई वाली इस कंपनी को अब बैंक बदलने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है। तकरीबन 8,890 करोड़ रुपये वाली आधुनिकीकरण परियोजना को मार्च 2010 तक पूरा होना है, लेकिन अब इस पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
कंपनी इसके लिए कर्ज ही नहीं जुटा पा रही है। इसकी वजह कंपनी के कुछ प्रमोटरों का वायदे से मुकरना है। दरअसल डायल में बेंगलुरु की जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर की 50.1 फीसदी हिस्सेदारी है। फ्रापोर्ट एजी और मलेशिया एयरपोर्ट होल्डिंग बरहाड की 10-10 फीसदी हिस्सेदारी है।
इसके अलावा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की कंपनी में 26 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी को इस परियोजना के लिए 4,940 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी मिली है, जिसमें से 2,500 करोड़ रुपये उसे मिल चुके हैं। लेकिन मार्च तक उसे 1,307 करोड़ रुपये के कर्ज की और जरूरत है।
इसके लिए बैंक कंपनी से इक्विटी जमा करने की मांग कर रहे हैं। बैंक अब तक 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज दे चुके हैं। इसके लिए प्रमोटरों को 2,000 करोड़ रुपये की इक्विटी तुरंत देने की जरूरत है। लेकिन अभी तक केवल 700 करोड़ रुपये की इक्विटी ही दी गई है।
एएआई खास तौर पर इस मामले में ढिलाई बरत रही है। माना जा रहा है कि वोटिंग अधिकार पहले ही अपने पास होने की वजह से ही एएआई ऐसा कर रही है। हालांकि कंपनी के मुखिया वी पी अग्रवाल ने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
यही वजह है कि बैंक अब कर्ज देने से इनकार कर रहे हैं। रियल एस्टेट और होटल कारोबार मे मंदी की वजह से भी कंपनियों को मुश्किल हो रही है। इसके अलावा ब्याज की बढ़ती दरें भी इस परियोजना को अधर में लटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
पैसा जुटाना हुआ मुश्किल
प्रमोटरों की ओर से इक्विटी योगदान में ढिलाई
बैंक मांग रहे हैं कंपनी से अतिरिक्त इक्विटी
रियल्टी औैर होटल कारोबार में मंदी से भी परेशानी
ब्याज दरों ने छुड़ाए पसीने