वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने जब शुक्रवार को 2008-09 की नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा की तो महंगाई के मायाजाल की छाया उनके चेहरे पर भी नजर आई।
भले ही चालू वित्त वर्ष के दौरान उन्होंने 8000 अरब रुपये का निर्यात लक्ष्य तय किया लेकिन यह कहना नहीं भूले कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकार सजग है।नई नीति में रुपये की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की मंदी से प्रतिकूल स्थितियों का सामना कर रहे निर्यातकों की मदद के लिए सरकार ने पूंजीगत माल पर सीमा शुल्क 5 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है।
साथ ही घरेलू बाजार में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के लिए भी व्यापक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि रुपये की मजबूती से प्रभावित निर्यातकों की मदद के लिए ब्याज सहायता की सीमा और एक साल के लिए बढ़ाई जाएगी, जबकि ईपीसीजी स्कीम के तहत औसत निर्यात प्रतिबद्धता को कम किया जाएगा। कमलनाथ ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए राजकोषीय उपायों के तहत सरकार ने सीमेंट और प्राइमरी इस्पात उत्पादों पर रियायत समाप्त कर दी है।
कमलनाथ की ओर से घोषित अन्य निर्यात संवर्द्धन उपायों में शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख इकाइयों को आयकर रियायतें 2010 तक बढ़ाई गई हैं, जबकि इसकी समय सीमा 31 मार्च 2009 को समाप्त हो रही है। दूरसंचार क्षेत्र की विश्वव्यापी वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए वाणिज्य मंत्रालय ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए पृथक निर्यात संवर्धन परिषद बनाने का फैसला किया है।
नए फैसले
निर्यातोन्मुख इकाइयों को आयकर रियायत 2010 तक
दूरसंचार क्षेत्र के लिए निर्यात संवर्द्धन परिषद का गठन
खिलौनों और खेल के साज सामान पर अतिरिक्त रियायत
ईपीसीजी के तहत सीमा शुल्क पांच से घटाकर तीन प्रतिशत
डीईपीबी स्कीम का विस्तार मई 2009 तक
ब्याज राहत स्कीम एक साल के लिए बढ़ी
देर से होने वाले कर रिफंड पर निर्यातकों को मिलेगा छह प्रतिशत ब्याज
संयुक्त कार्यदल के गठन की योजना