वाणिज्य विभाग केंद्रीय मंत्रिमंडल से नए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) संशोधन विधेयक की मंजूरी लेने की तैयारी में है। यह विधेयक दो दशक पुराने मौजूदा कानून को बदलेगा और भारत के एसईजेड ढांचे को आधुनिक बनाएगा।
मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने कहा कि कानून में प्रस्तावित बदलावों को वैश्विक व्यापार के उभरते क्रम के साथ तालमेल बिठाने, निवेश आकर्षित करने और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है। मौजूदा कानून में बदलावों में से एक का उद्देश्य एसईजेड में निर्मित उत्पादों को घरेलू बाजार में तैयार उत्पाद के बजाय कच्चे माल के रूप में ‘ड्यूटी फोरगोन बेसिस’ पर बेचने की अनुमति देना है। अभी एसईजेड किसी तैयार उत्पाद को इन क्षेत्रों के बाहर बेचने पर पूरा सीमा शुल्क चुकाते हैं, जिसे घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) के रूप में जाना जाता है।
यह विधेयक ‘रिवर्स जॉब वर्क’ की अनुमति देगा। इसका मतलब है कि एसईजेड इकाइयां डीटीए इकाइयों के लिए अपनी ओर से विनिर्माण प्रक्रिया का एक हिस्सा करने में सक्षम होंगी। ‘रिवर्स जॉब वर्क’ की शुरुआत से निर्माता निर्यात मांग में समय विशेष (सीजनैलिटी) से निपटने में सक्षम होंगे।
बिजनेस स्टैंडर्ड को जानकारी देने वाले उपरोक्त व्यक्ति ने बताया, ‘ये दोनों बदलाव विनिर्माण को बढ़ावा देंगे, रोजगार सृजित करेंगे और निवेश आकर्षित करेंगे। निर्यात बाजार के अप्रत्याशित होने और मांग में उतार-चढ़ाव होने को ध्यान में रखते हुए ये बदलाव निष्क्रिय क्षमता का इष्टतम उपयोग भी करेंगे। इन मुद्दों पर उद्योग से लंबे समय से मांग रही है और वे दुनिया भर में भी प्रचलित हैं।’
अन्य बदलाव स्थानीय कंपनियों को एसईजेड की इकाइयों से प्राप्त सेवाओं का भारतीय मुद्रा में भुगतान करने की अनुमति देना होगा। मौजूदा कानून के तहत सेवाओं के लिए भुगतान विदेशी मुद्रा में करने की आवश्यकता थी। संशोधन विनिर्माण क्षेत्र की तरह सेवा क्षेत्र को बराबरी पर लाएगी।
इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है तो इस विधेयक को संसद के मॉनसून सत्र में पेश करने की योजना है। मॉनसून सत्र अगले सप्ताह शुरू होने वाला है। संबंधित व्यक्ति ने बताया कि संसद द्वारा पारित होने के बाद नया कानून मौजूदा एसईजेड अधिनियम, 2005 की जगह लेगा।
देश में एसईजेड में ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें अलग-अलग इकनॉमिक नियम हैं और इन्हें एक विदेशी क्षेत्र माना जाता है। इनका प्राथमिक ध्यान निर्यात को बढ़ावा देना और निवेश आकर्षित करना है। ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों को सरकार से टैक्स छूट और शुल्कों में रियायतें मिलती हैं। एसईजेड (संशोधन) विधेयक पर दो साल से अधिक समय से काम चल रहा है। सरकार का मानना है कि इसका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है और यह विनिर्माण क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में सक्षम नहीं रहा है। ये बदलाव एसईजेड को घरेलू बाजार के साथ आसान एकीकरण में भी सक्षम करेंगे ताकि एसईजेड में फर्में प्रतिबंधित बाजार पहुंच के कारण न हारें। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 25 के दौरान
एसईजेड से निर्यात में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 172.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया।