जनवरी में लगातार चौथे महीने भारत के सेवा क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ी हैं क्योंकि कोविड-19 टीकाकरण शुरू होने से कारोबारी उम्मीदें सुधरी हैं। आज एक निजी सर्वेक्षण में यह दर्शाया गया।
आईएचएस भारत सेवा कारोबारी गतिविधियां सूचकांक जनवरी में बढ़कर 52.8 पर पहुंच गया, जो दिसंबर में 52.3 पर था। हालांकि इससे पता चलता है कि वृद्धि की रफ्तार सामान्य थी। इस सूचकांक का 50 अंक से ऊपर रहना विस्तार और इससे कम संकुचन को दर्शाता है। लेकिन इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि पीएमआई मासिक आधार वाला संकेतक है, इसलिए यह पिछले महीने के मुकाबले सुधार को दर्शाता है न कि पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले सुधार को दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्र सहायक निदेशक पोलियान्ना डी लीमा ने कहा, ‘भारत के सेवा क्षेत्र में जनवरी के दौरान गतिविधियां अच्छी रही हैं। नई कारोबारी मात्रा लगातार चौथे महीने बढ़ी है और दोनों मापदंडों की वृद्धि दर दिसंबर से बढ़ रही है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सेवा क्षेत्र की वृद्धि बनी रहेगी और कोविड-19 की चिंताएं कम होने पर नियुक्तियों मेंं सुधार आ सकता है।’ सर्वेक्षण में दिखाया गया है कि हालांकि दिसंबर से वृद्धि की रफ्तार तेज हुई है, लेकिन प्रमुख आंकड़ा अपने लंबी अवधि के औसत 53.3 से नीचे बना हुआ है और यह वृद्धि की सामान्य रफ्तार से बढ़ रहा है।
ये आंकड़े वित्त वर्ष निर्मला सीतारमण के 2021-22 के लिए वृद्धि को बढ़ाने वाला बजट पेश करने के कुछ बिन बाद आए हैं। बजट में महामारी के असर से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ज्यादा खर्च पर ध्यान दिया गया है। राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2022 में 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2022 में 11 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान जताया गया है।
पीएमआई सर्वेक्षण के मुताबिक नए कारोबार में बढ़ोतरी घरेलू बाजार की बदौलत हो रही है। यात्रा प्रतिबंधों और कोविड-19 महामारी के चलते सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग घटने के कारण नए निर्यात कार्य में और गिरावट आई है। कीमतों में छूट की रणनीतियों से कुल नए ऑर्डरों की वृद्धि में मदद मिली है। विपणन प्रयासों, कुछ प्रतिष्ठानों के फिर से खुलने और मांग में मजबूती से बिक्री में इजाफा हुआ है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जनवरी में 1.19 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया।
महंगाई के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2021 की शुरुआत में लगातार सात महीने इनपुट लागतों में बढ़ोतरी हुई। जिन कंपनियों पर सर्वेक्षण किया गया, उन्होंने ईंधन और अन्य बहुत सी सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की। लीमा ने कहा, ‘मुख्य चिंता सेवा अर्थव्यवस्था में लागतों में बढ़ोतरी का स्तर है। महंगाई दर दिसंबर से सुस्त पडऩे के बावजूद रुझान से ऊपर बनी हुई है।’
इसके अलावा ज्यादा लागत की वजह से कंपनियां अतिरिक्त कर्मचारी नहीं ले पा रही हैं। पीएमआई सर्वेक्षण मेंं दर्शाया गया है कि रोजगार में लगातार दूसरी गिरावट आई है। सेवा प्रदाता को भरोसा था कि उत्पादन में अगले 12 महीनों के दौरान बढ़ोतरी होगी। सकारात्मक रुझान को इस धारणा का साथ मिला है कि कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत से मांग में वृद्धि और पूरी अर्थव्यवस्था में सुधार को बल मिलेगा। आशावादिता का स्तर 11 महीने के सर्वोच्च स्तर पर रहा।
इस बीच सीजन के हिसाब से समायोजित आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स सोमवार को जारी किया गया, जिसमें दर्शाया गया है कि जनवरी में विनिर्माण गतिविधियां तीन महीनों में सबसे तेज बढ़ीं। जनवरी में यह सूचकांक 57.7 रहा, जो दिसंबर में 56.4 था। विनिर्माण और सेवाओं दोनों को मापने वाला कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जनवरी में 55.8 पर रहा, जो दिसंबर में 54.9 पर था। वर्ष 2021 की शुरुआत में पूरे निजी क्षेत्र में कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं।
