भारत में सर्विस सेक्टर की वृद्धि जून में सुस्त पड़कर 3 माह के निचले स्तर पर आ गई है। एक निजी सर्वे में बुधवार को दी गई जानकारी के मुताबिक इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क दोनों में महंगाई का दबाव बढ़ने से ऐसा हुआ है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सर्वे के आंकड़े जून में 58.5 अंक पर रहे, जो मई में 61.2 था। पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों के विस्तार से है। यदि यह 50 से नीचे है, तो इसका आशय गतिविधियों के संकुचन से होता है।
सेवा पीएमआई का सूचकांक अगस्त 2021 से लगातार 23वें महीने 50 से ऊपर बना हुआ है। पीएमआई करीब 400 सेवा कंपनियों के मिली प्रतिक्रिया के आधार पर तैयार किया जाता है, जिसमें गैर खुदरा उपभोक्ता सेवाएं, परिवहन, सूचना, संचार, वित्त, बीमा, रियल एस्टेट और कारोबारी सेवाएं शामिल होती हैं।
सर्वे में कहा गया है, ‘तीन महीने में सबसे सुस्त रहने के बावजूद उत्पादन में वृद्धि तेज बनी हई है, जबकि वृद्धि को लेकर भरोसा मजबूत हुआ है। जून के दौरान नए निर्यात कारोबार में भी वृद्धि हुई है। ज्यादातर मानकों पर उपभोक्ता सेवाएं शीर्ष पर रहीं और नए काम, कारोबारी गतिविधि, रोजगार और इनपुट लागत में सबसे तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है।’
वृद्धि की रफ्तार बढ़ने से कारोबारी गतिविधियों में जोरदार तेजी आई
एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘जून में भारतीय सेवाओं की मांग ऊंची रही। निगरानी वाले सभी चार उप-क्षेत्रों के नए कारोबार में तेज वृद्धि हुई।’
लीमा ने कहा कि वृद्धि की रफ्तार बढ़ने से कारोबारी गतिविधियों में जोरदार तेजी आई है और इससे रोजगार के आंकड़े भी बेहतर हुए हैं। यह निकट अवधि की वृद्धि की संभावनाओं की दृष्टि से अच्छा है।
उन्होंने कहा, ‘हाल के पीएमआई के नतीजे आउटपुट मूल्य और खाद्य महंगाई में तेजी का मिला जुला असर दिखाता है और इससे पता चलता है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी से 2023 में प्रगति सुस्त होने की संभावना कम है।’
मूल्य के मोर्चे पर मिला-जुला रुख देखने को मिला है। उत्पादन लागत की वृद्धि कम रही है। हालांकि, इसे विनिर्माण के साथ जोड़ने पर निजी क्षेत्र के लिए उत्पादन मूल्य बढ़ोतरी करीब एक दशक में सबसे ऊंची रही है।