अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटने और नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) मार्केट में डॉलर की मजबूत मांग से रुपया आज फिसलकर 84.70 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर आ गया। मुद्रा बाजार के डीलरों ने यह जानकारी दी। कारोबार के दौरान रुपया 0.25 फीसदी नीचे आ गया था जो 6 माह में सबसे तेज गिरावट है। बीते शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 84.49 पर बंद हुआ था। पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.73 फीसदी की नरमी आई है।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि एनडीएफ मार्केट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की शॉर्ट पोजीशन को देखते हुए रुपये में दबाव बना रह सकता है और उठापटक को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक के पास अपेक्षाकृत कम गुंजाइश होगी।
बाजार के भागीदारों का कहना है कि रुपया 85 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है मगर इस महत्त्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर को रुपया कब पार करेगा यह केंद्रीय बैंक द्वारा बाजार में हस्तक्षेप की स्थिति पर निर्भर करेगा।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘खबरों से संकेत मिलता है कि आरबीआई के पास ऑफशोर और ऑनशोर रुपया बाजार में 70 अरब डॉलर की शॉर्ट पोजीशन है। ऐसे में रुपये को सहारा देने के लिए केंद्रीय बैंक के पास कम गुंजाइश है। इसके काफी आसार दिख रहे हैं कि रुपया 85 के स्तर को लांघ सकता है।’
रुपये में अत्यधिक उतार चढ़ाव को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापक हस्तक्षेप करता रहा है। इसकी वजह से पिछले दो महीनों में विदेश मुद्रा भंडार 48 अरब डॉलर घट गया है। इस दौरान रुपया 83.70 प्रति डॉलर से लुढ़ककर 84.49 प्रति डॉलर पर आ गया यानी 0.89 फीसदी की गिरावट आई है।
इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.8 फीसदी की नरमी आ चुकी है।
जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के ट्रेजरी और कैपिटल मार्केट प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा, ‘सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े निराशाजनक रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई अगली मौद्रिक नीति की बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने के उपाय कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो रुपये पर इसका असर दिख सकता है।’
देश की जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4 फीसदी रही जो सात तिमाही में सबसे कम है। विश्लेषकों ने जीडीपी वृद्धि 6.5 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान लगाया था। आरबीएल बैंक में ट्रेजरी प्रमुख अंशुल चांडक ने कहा, ‘आरबीआई ऑफशोर के साथ ही ऑनशोर बाजार में हस्तक्षेप कर रहा था और आगे भी वह ऐसा करेगा। केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिकवाली से तरलता पर असर पड़ा था लेकिन यह फिर से अधिशेष में है इसलिए आरबीआई उठापटक को नियंत्रित करना जारी रखेगा।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि रुपया दिसंबर तक 85 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर सकता है।’
इस साल रुपया 11 अक्टूबर को नरम होकर 84 प्रति डॉलर के पार आ गया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 19 सितंबर को दर कटौती के बाद से रुपया 1.2 फीसदी कमजोर हुआ है। बाजार के भागीदारों का कहना है कि अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद से बाजार में गिरावट का रुख बना हुआ है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी थी, जिसके बाद से निवेशक फेडरज रिजर्व के रुख को भांपने के लिए अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों पर नजरें टिकाए हैं।
अमेरिका में रोजगार के आंकड़े और फेड अधिकारियों के बयान इस हफ्ते जारी हो सकते हैं। बाजार को उम्मीद है कि दिसंबर की बैठक में फेडरल रिजर्व ब्याज दर में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है और अगले साल दो और कटौती की जा सकती है। डॉलर इंडेक्स 0.5 फीसदी चढ़कर 106.26 पर कारोबार कर रहा था।बाजार के भागीदारों का मानना है कि रुपये में हालिया नरमी के बाद नवंबर में वास्तविक प्रभावी विनिमय दर में कमी आएगी।
आधिकारिक आंकड़ा इस महीने के अंत तक आएगा। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी शुल्क लगाए जाने की चेतावनी से रुपये में तेज गिरावट देखी जा रही है। रुपये पर ऐसे समय में दबाव बढ़ रहा है जब आरबीआई रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की योजना पर चर्चा कर रहा है।