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प्रत्यक्ष कर के लिए रूलिंग अथॉरिटी!

Last Updated- December 11, 2022 | 6:22 PM IST

राजस्व विभाग कर देनदारी तय करने और कर विवाद निपटाने के लिए अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (एपीए) या विवाद समाधान समिति (डीआरपी) की तरह रूलिंग अथॉरिटी गठित करने पर विचार कर रहा है। इसका मकसद आयकर विभाग और करदाताओं को साथ बैठकर बातचीत के जरिये विवाद सुलझाने और आपसी सहमति से भुगतान योग्य कर राशि तय करने की इजाजत देना है।
यह व्यवस्था लागू हुई तो विभिन्न अदालतों में लंबित प्रत्यक्ष कर के लाखों मामले निपटाने में मदद मिलेगी। कानूनी विवाद में फंसे मामलों में करीब 5 लाख करोड़ रुपये के कर दावे अटके हुए हैं।
यह विचार पिछले महीने हुई बैठक के आंतरिक स्तर पर जारी ब्योरे में शामिल है। इस बैठक में राजस्व विभाग ने 2047 की अपनी संकल्पना के अनुरूप विभिन्न उपायों और रोडमैप पर चर्चा की थी। वार्षिक सम्मेलन में वित्त मंत्रालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और राजस्व विभाग के बड़े अधिकारी शामिल थे। इस सम्मेलन के बाद ही ब्योरा तैयार किया गया था, जिसे बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है।
अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते के तहत अभी ट्रांसफर प्राइसिंग के मामले निपटाए जाते हैं। इनमें कर देनदारी पहले ही तय कर दी जाती है ताकि आगे विवाद नहीं हो। विवाद समाधान समिति विवाद निपटारे की वैकल्पिक प्रणाली है, जो मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय कराधान से संबं​धित मामले देखती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एडवांस रूलिंग के वि​भिन्न प्रा​धिकरणों में मामले तकनीकी पहलू के लिहाज से जाते हैं लेकिन इसमें आयकर को व्यापक तौर पर शामिल नहीं किया जाता। एएआर के निर्णय से मुकदमों में कमी नहीं आई है क्योंकि ज्यादातर मामलों में अपील कर दी जाती है। सीबीडीटी के पूर्व सदस्य और पीडब्ल्यूसी में कर नीति के सलाहकार
अ​खिलेश रंजन ने कहा कि ऐसी प्रक्रिया वैक​​ल्पिक और गैर-बाध्यकारी होने के कारण खास तौर पर ट्रांसफर प्राइसिंग के मामलों में विवाद खत्म करने में काफी मददगार हो सकती है।
अन्य उपायों के तहत राजस्व विभाग अपनी व्यनस्था को समरूप बना रहा है ताकि कॉर्पोरेट क्षेत्र पर कृ​षि के लिए कर लगाया जा सके और कर छूट खत्म की जा सके। साथ ही संप​त्तियों जैसे नए उभरते क्षेत्रों को इसके दायरे में लाया जा सके, जिससे कर और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात बढ़ाकर 15-20 फीसदी किया जा सके।
राजस्व विभाग मानता है कि देश का प्रत्यक्ष कर संग्रह सरकार की कुल राजस्व प्रा​प्ति का 60 फीसदी होना चाहिए, जिससे कर-जीडीपी अनुपात को वांछित स्तर तक बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी सरकार के कुल राजस्व में प्रत्यक्ष कर संग्रह की हिस्सेदारी करीब आधी है। वित्त वर्ष 2022 में देश में सर्वा​धिक 11.7 फीसदी कर-जीडीपी अनुपात दर्ज किया गया था।
विभाग 5 करोड़ रुपये से अ​धिक आय वाले धनाढ्य व्य​क्तियों का मूल्यांकन करने और उन कंपनियों को ल​क्षित करने के लिए विशेषीकृत इकाई गठित करने पर भी चर्चा की है, जो सभी क्षेत्रों में काम करती हैं और हवाला का धंधा चलाती हैं। राजस्व विभाग को उम्मीद है कि फेसबुक, गूगल जैसे दिग्गजों पर डिजिटल कर के लिए वै​श्विक कर नीति भारत के पक्ष में होगी। रोडमैप में आयकर कानून, 1961 में व्यापक संशोधन का भी सुझाव दिया गया है।

First Published - June 11, 2022 | 12:35 AM IST

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