शोध-केंद्रित फार्मास्युटिकल एवं लाइफसाइंस तंत्र तैयार करने के लिए केंद्र इस क्षेत्र के लिए शोध-केंद्रित रियायत (RLI) योजना बनाने की दिशा में सक्रियता से काम कर रहा है।
यह बदलाव उत्पादन-केंद्रित रियायत (PLI) योजना की तर्ज पर किया जा रहा है।
दस घटनाक्रम से अवगत उद्योग और सरकारी सूत्रों का कहना है कि योजना पर सूक्ष्मता के साथ काम किया जा रहा है। इस उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘गहन विचार-विमर्श के बाद इस योजना को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।’
देश में शोध तंत्र को बढ़ावा के उपायों पर चर्चा से जुड़ी एक प्रमुख कंपनी के प्रमुख ने कहा कि इस योजना का विवरण कुछ महीनों में सामने आ सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि की है।
उन्होंने कहा कि योजना के कई हिस्से हैं, जैसे कंपनियां घरेलू तौर पर शोध कर सकती हैं या सरकारी प्रयोगशालाओं की भागीदारी में काम कर सकती हैं। नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजूकेशन ऐंड रिसर्च को उत्कृष्टता केंद्र के तौर पर विकसित करने की योजना है।
अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास कुछ चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं, और कोष का आवंटन परियोजना-आधारित होगा। परियोजनाओं की टियर 1, 2 और 3 श्रेणियां होंगी, तथा सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप के लिए अलग श्रेणी होगी।’
इसके अलावा, केंद्र ऐसे चिकित्सकीय उपकरणों पर विचार कर रहा है जिन्हें आरएलआई में शामिल किया जा सकता है।
मुख्य उद्देश्य शोध एवं विकास (research and development- R&D) में योगदान बढ़ाकर कंपनियों के कुल कारोबार का 15 प्रतिशत करना है, जो अभी उद्योग स्तर पर करीब 4-5 प्रतिशत है।
योजना में पांच या छह क्षेत्र शामिल हो सकते हैं: बायोसिमिलर, एंटीबायोटिक, ऑर्फन ड्रग्स, कॉम्पलेक्स जेनेरिक्स, और प्रेसीजन मेडिसिन के क्षेत्रों में शोध, जिनमें दवा कंपनियों द्वारा निवेश उन्हें आरएलआई का पात्र बनाएगा। इसके अलावा, योजना के तहत MSME को R&D में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के संदर्भ में अलग से रियायतें दी जा सकती हैं।
ऐसा इसलिए जरूरी माना जा रहा है, क्योंकि पीएलआई में ज्यादातर कोष बड़ी कंपनियों को दिया जा रहा है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘करीब 11,000 करोड़ रुपये सिर्फ 11 कंपनियों को दिए गए, जबकि 1,750 करोड़ रुपये की राशि 35-40 छोटी कंपनियों को वितरित की गई।’ औषधि विभाग और नीति आयोग ने इस मुद्दे पर पिछले कुछ वर्षों में उद्योग के साथ परामर्श किया है। उद्योग के सुझावों के आधार पर इस योजना का दायरा बढ़ाया गया है। मसौदा नीति तैयार है और इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भी स्वास्थ्य शोध विभाग के साथ मिलकर इस मुद्दे पर सक्रियता दिखा रहा है।
अधिकारी ने कहा कि आरएलआई को कितनी राशि आवंटित की जानी है, इस पर निर्णय लिया जाना बाकी है।
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में फार्मा क्षेत्र में शोध-केंद्रित गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया।