facebookmetapixel
SBI ने बनाया इतिहास! ₹9 ट्रिलियन क्लब में एंट्री; ब्रोकरेज बोले- ₹1120 तक जाएगा भाव!रूस के ट्रेड पार्टनर्स पर US लगा सकता है 500% टैरिफ, नए बिल को ट्रंप का समर्थन; भारत पर क्या होगा असर?23% गिर सकता है टायर कंपनी का शेयर, Q2 नतीजों के बाद मोतीलाल ओसवाल की बेचने की सलाहआपका Aadhaar Card कब और कहां हुआ इस्तेमाल? UIDAI की इस ट्रिक से मिनटों में चेक करें पूरी हिस्ट्रीबाजार खुलते ही 10% चढ़ गया ड्रोन कंपनी का शेयर, ₹107 करोड़ के आर्डर से निवेशकों में खरीदने की होड़Saudi Arabia bus accident: मदीना में दर्दनाक बस हादसा! कई भारतीयों के मारे जाने की आशंका; विदेश मंत्री ने जारी किया बयानभारत करेगा पहली बार US से LPG आयात! 2026 की 10% जरूरत एक ही डील में पूरीक्यों बढ़ रही हैं यील्ड और घट रही है लिक्विडिटी? SBI रिपोर्ट ने विस्तार से बतायाSBI अकाउंट हो तो तुरंत पढ़ें! mCASH बंद होने वाला है, बिना रजिस्ट्रेशन पैसे नहीं भेज पाएंगे₹650 डिस्काउंट पर मिलेगा अदाणी का दिग्गज शेयर! 3 किस्तों में पेमेंट, कंपनी ला रही ₹25,000 करोड़ का राइट्स इश्यू

माल ढुलाई की बढ़ती लागत, कंटेनर की कमी से निर्यात प्रभावित: GTRI

श्रीवास्तव ने कहा, “उच्च माल ढुलाई दरें आपूर्ति शृंखला की लगातार चुनौतियों को दर्शाती हैं, जो वैश्विक व्यापार पर बोझ बनी हुई हैं।”

Last Updated- September 15, 2024 | 2:30 PM IST
GTRI
Representative Image

बढ़ती माल ढुलाई लागत, कंटेनर की कमी और प्रमुख निर्यात और विदेशी वाहक पर निर्भरता देश के निर्यात के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रही हैं।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को कहा कि भारत घरेलू कंटेनर उत्पादन को बढ़ावा देने, स्थानीय निर्यात कंपनियों की भूमिका बढ़ाने, घरेलू कंटेनर के उपयोग को बढ़ावा देने और स्थानीय निर्यात कंपनियों को मजबूत करने के लिए कई रणनीतियों को लागू कर रहा है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “भारत घरेलू कंटेनर उत्पादन को बढ़ावा देकर, स्थानीय स्तर पर निर्मित कंटेनर के उपयोग को प्रोत्साहित करके और माल परिवहन के लिए भारतीय निर्यात कंपनियों के उपयोग को बढ़ाकर वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधान के अपने जोखिम को कम कर सकता है।”

साल 2022 और 2024 के बीच, 40-फुट कंटेनर के लिए निर्यात दरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है। जीटीआरआई ने कहा कि 2022 में, कोविड महामारी के प्रभाव के कारण औसत लागत 4,942 डॉलर थी, जबकि 2024 तक दर 4,775 डॉलर के आसपास स्थिर हो गई थी। इसने कहा कि ये दरें अब भी महामारी-पूर्व के स्तर से काफी अधिक हैं। 2019 में यह लागत 1,420 डॉलर थी।

श्रीवास्तव ने कहा, “उच्च माल ढुलाई दरें आपूर्ति शृंखला की लगातार चुनौतियों को दर्शाती हैं, जो वैश्विक व्यापार पर बोझ बनी हुई हैं।”

उन्होंने कहा कि चीन द्वारा अमेरिका और यूरोप को अपने निर्यात को अधिकतम करने के लिए कंटेनर की जमाखोरी करने की अपुष्ट खबरें मिली हैं।

आशंका है कि संभावित व्यापार प्रतिबंधों और चीन या अन्यत्र (जैसे कि आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) देशों में स्थित चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन, इस्पात और एल्युमीनियम पर शुल्कों में वृद्धि से पहले ये जमाखोरी की गई है। हालांकि, श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तविक कंटेनर की कमी का मुद्दा संभवतः जानबूझकर भंडारण करने के बजाय बंदरगाहों पर भीड़भाड़ और लाल सागर में व्यवधान जैसी व्यापक लॉजिस्टिक्स खामियों से उत्पन्न हुआ है।

First Published - September 15, 2024 | 2:30 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट