भारत के अपतटीय इलाकों में तेल और गैस के कुओं की खुदाई के लिए इस्तेमाल होने वाले रिग की संख्या में तेजी से गिरावट आई है।
पिछले साल जहां इनकी संख्या 31 थी वही अब यह घटकर 25 रह गई है। यह स्थिति तब है जब भारत की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था की रफ्तार और बढाने के लिए तेल और गैस की खोज का काम तेज करने की योजना है।भारत के तटीय क्षेत्रों में इस साल फरवरी तक केवल 31 रिग काम में लाए जा रहे हैं और इस हिसाब से भारत से आगे केवल अमेरिका ही है जहां इस तरह के 56 रिग कार्यरत हैं।वैसे अगर चीन की बात करें तो वहां रिग की संख्या मार्च 2007 में 18 थी जो घटकर मार्च 2008 में 16 रह गया है।
ये सारे आंकड़े अमेरिकी ऑयलफील्ड कंपनी, बेकर ह्यूग्स की कंपनी वेबसाइट पर मौजूद है। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक अफ्रीका और लैटिन अमेरिका ने अपने यहां रिग की संख्या में इजाफा किया है। ब्राजील में पिछले वर्ष जहां इसकी संख्या 13 थी, वह बढ़कर इस साल 26 हो गई है और अंगोला में भी इसकी संख्या में दुगनी वृद्धि हुई है और इसकी संख्या 4 हो गई है। सऊदी अरब में रिग की संख्या पिछले साल 7 थी जो बढ़कर इस साल 13 हो गई है।
बहुत सारे देशों ने यह यकीन दिलाया है कि तटीय क्षेत्रों में तेल आसानी से पाया जा सकता है इसलिए कंपनियां अब इसकी तलाश अपतटीय क्षेत्रों में कर रही हैं। अब कंपनियां तेल और गैस की खोज के लिए समुद्र के अंदर खुदाई कर रही हैं ताकि विश्व की ऊर्जा की मांग पूरी की जा सके।दिल्ली के एक विशेषज्ञ ने बताया कि तेल और गैस को ज्यादा से ज्यादा पाने की कवायद के कारण इसके कुओं की संख्या कम हो गई है।
भारत में भी इसकी कमी देखी जा रही है और यही वजह है कि तेल व गैस की खोज के लिए नेल्प के सातवें दौर में देरी हो गई है। नई खोज और लाइसेंसिंग नीति (नेल्प 7) के तहत अभी तक खुदाई का काम शुरू नहीं हो सका है।तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारे तीन ऑफशोर रिग बंद पड़े हैं और उसकी मरम्मत का काम चल रहा है। लेकिन पूरे विश्व में अपतटीय क्षेत्रों में तेजी से चल रही तेल और गैस की तलाश के कारण हमें इसके स्तर को पाने में मुश्किलें आ रही है।
कंपनी ने आंध्रप्रदेश के अपतटीय क्षेत्र में इसकी तलाश का काम शुरू कर दिया है और कंपनी इस क्षेत्र में मात्र एक ही कुएं खोदने को सक्षम है। ओएनजीसी के एक अधिकारी ने बताया कि इस ब्लॉक के लिए एक रिग हमें केवल सितंबर 2009 में मिलेगा। दो विदेशी रिग को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने लिए लिया है और इसकी मरम्मत की जा चुकी है।