जून 2022 में समाप्त तिमाही में खुदरा हिस्सेदारी की कीमत घटकर 1.57 लाख करोड़ रुपये घटकर 17.58 लाख करोड़ रुपये रह गई। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस की रिपोर्ट से मिली। किसी कंपनी में 2 लाख रुपये से कम की हिस्सेदारी वाले खुदरा निवेशकों ने 975 कंपनियों में अपनी शेयरधारिता में इजाफा किया जबकि 730 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई। जून तिमाही में उनकी औसत होल्डिंग मामूली घटकर 7.40 फीसदी रह गई, जो 31 मार्च 2022 को 7.42 फीसदी थी।
इस बीच, एचएनआई की शेयरधारिता (जिनके पास किसी कंपनी की 2 लाख रुपये से ज्यादा हिस्सेदारी होती है) भी 30 जून 2022 को घटकर 2.08 फीसदी रह गई, जो 31 मार्च 2022 को 2.21 फीसदी थी। वैयक्तिक निवेशकों की परिसंपत्ति में क्षरण जून तिमाही के दौरान बेंचमार्क निफ्टी में आई 10 फीसदी की गिरावट की पृष्ठभूमि में हुई, जो मार्च 2020 के बाद का सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन है।
वैयक्तिक निवेशकों की होल्डिंग में गिरावट से इक्विटी नकदी कारोबार में उनकी गतिविधियां प्रभावित हुईं, जो मार्च 2020 के बाद से निचले स्तर पर आ गया। साथ ही तिमाही के दौरान नए डीमैट खाते भी कम खुले। इक्विटी बाजारों में सीधे निवेश के मामले में वैयक्तिक निवेशकों का निवेश भले ही घटा हो, लेकिन म्युचुअल फंडों के जरिये उनका निवेश मजबूत बना हुआ है।
देसी एमएफ की हिस्सेदारी जून 2022 के आखिर में लगातार चौथी तिमाही में दो साल के उच्चस्तर 7.95 फीसदी पर पहुंच गई, जो 31 मार्च 2022 को 7.75 फीसदी रही थी। जिन कंपनियों में खुदरा निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई थी उनमें तिमाही के दौरान औसतन 10.4 फीसदी की गिरावट आई, वहीं जिन शेयरों में खुदरा होल्डिंग घटाई वहां औसतन महज एक फीसदी की गिरावट देखने को मिली। जिन शेयरों में एचएनआई ने अपना निवेश बढ़ाया उनमें तिमाही के दौरान करीब 7 फीसदी की गिरावट आई, वहीं जिन कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी घटी वहां औसतन 6.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।