भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में संजय मल्होत्रा के इस महीने की शुरुआत में कार्यभार संभालने के मद्देनजर बाजार और केंद्रीय बैंक पर्यवेक्षक वर्ष 2025 में आरबीआई की गतिविधियों व फैसलों पर विशेष तौर पर नजर रखेंगे। मौद्रिक नीति समिति की संरचना पूरी तरह से बदल चुकी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में न केवल समिति के नए चेयरमैन हैं बल्कि अक्टूबर में तीन नए बाहरी सदस्य भी इसमें शामिल किए गए। इनमें से दो बाहरी सदस्य दिसंबर की नीति में ब्याज दर में कटौती के पक्ष में मत डाल चुके हैं।
इसके अलावा ब्याज दर तय करने वाली समिति में भी बदलाव आएगा। इसके अलावा, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र का मौजूदा कार्यकाल जनवरी मध्य में समाप्त होने वाला है। सरकार ने उनके उत्तराधिकारी की तलाश भी शुरू कर दी है।
अब मौद्रिक नीति की समीक्षा 5 से 7 फरवरी के बीच होगी जिसमें ब्याज दर की दिशा का कुछ संकेत मिलेगा। बीते माह दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि के निराशाजनक आंकड़े आने के बाद ब्याज दरों में गिरावट आना तय है। बस सवाल समय और गिरावट के दायरे के बारे में है।
अर्थशास्त्री पहले 50 आधार अंक की कटौती की कम दर चक्र की उम्मीद कर रहे थे लेकिन अब कई अर्थशास्त्री जीडीपी वृद्धि के आंकड़े उम्मीद से कम होने के कारण 100 आधार अंक कटौती की भी उम्मीद कर रहे हैं। फरवरी की नीति दोनों पक्षों के बारे में कुछ संकेत दे सकती है।
हालांकि रुपये की विनिमय दर में हालिया गिरावट का दबाव दर में जल्द कटौती के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। लिहाजा केंद्रीय बैंक की विनिमय दर नीति अन्य वह क्षेत्र है जिस पर करीब से नजर रखी जाएगी। रिजर्व बैंक ने हाल के वर्षों में रुपये में क्रमिक गिरावट की नीति को अपनाया था। रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद 2022 में डॉलर की तुलना में रुपये में 10 फीसदी की गिरावट आई। इसके बाद रिजर्व बैंक ने रुपये को 2023 के 0.6 फीसदी के मूल्यह्रास के सख्त दायरे में रखा।
लिहाजा भारतीय मुद्रा को प्रति डॉलर 83 से गिरकर 84 तक आने में 475 दिन का समय लगा। लेकिन 84 रुपये प्रति डॉलर का स्तर प्राप्त करने के करीब दो महीने में ही रुपया 85 प्रति डॉलर के स्तर के पार पहुंच गया। इस शुक्रवार को रुपया 85.82 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, हालांकि रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण यह 85.52 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
यह संयोग है कि मल्होत्रा के पदभार संभालने के बाद भारतीय मुद्रा इस महीने में डॉलर के मुकाबले 1.3 फीसदी गिर गई। दिसंबर में एशिया की अन्य समकक्ष मुद्राओं की तुलना में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक बना हुआ है। वर्ष 2024 में डॉलर के मुकाबले रुपये में 2.7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
वाणिज्यिक बैंकों को लेकर कम से कम चार महत्त्वपूर्ण विनियमन इंतजार कर रहे हैं और इनसे बैंकों की वृद्धि व लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है। इस क्रम में सबसे पहला नियम प्रावधान के लिए अपेक्षित ऋण घाटे के मानदंड को लेकर है। ईसीएल के मसौदे में बैंकों को संपत्तियों के घाटे में आने को लेकर प्रावधान करना है। ईसीएल ढांचे में, बैंकों को नुकसान उठाने के बाद प्रावधान की मौजूदा व्यवस्था के विपरीत, परिसंपत्ति में दबाव होने की आशंका में ऋण के लिए प्रावधान करना पड़ता है।
इस मुद्दे पर एक चर्चा पत्र पिछले साल प्रकाशित किया गया था, जिसके बाद एक बाहरी कार्य समूह का गठन किया गया था। आरबीआई ने कहा था कि ईसीएल मानदंडों पर मसौदा मानदंड जल्द ही प्रकाशित होने की संभावना है।
कुछ बैंक तरलता कवरेज अनुपात के प्रारूप के मानदंड को लेकर चिंतित हैं।
इसी तरह जलवायु परिवर्तन वित्तीय जोखिम के प्रारूप के खुलासे का मानदंड का प्रारूप इस साल की शुरुआत में जारी कर दिया गया था। इसमें मानक संपत्तियों के लिए पांच प्रतिशत के प्रावधान का प्रस्ताव दिया गया है जबकि अभी यह 0.4 प्रतिशत है। यदि इसे लागू किया जाता है तो विशेष तौर पर बड़े ऋणदाताओं के आधारभूत ढांचे पोर्टफोलियो के लिए प्रावधान की आवश्यकताएं काफी हद तक बढ़ जाएंगी।
बैंकिंग की इच्छुक इकाइयों की नजर यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस और पेमेंट बैंक के लिए आवेदन कर चुके लघु वित्त बैंक के लाइसेंस पर है। भुवनेश्वर स्थित माइक्रोफाइनैंस संस्थान अन्नपूर्णा फाइनैंस प्राइवेट लिमिटेड ने जनवरी 2023 से यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन कर रखा है।
इस साल की शुरुआत में एयू एसएफबी ने भी यूनिवर्सल बैंक के लिए आवेदन कर रखा है। इसी तरह फिनो पेमेंट बैंक का भविष्य भी दिसंबर 2023 से लघु वित्त बैंक के लाइसेंस के लिए अटका हुआ है। रिजर्व बैंक ने बीते 10 वर्षों से किसी नए यूनिवर्सल बैंक के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया है।
मौद्रिक नीति समिति में ही केवल नए सदस्य शामिल नहीं होंगे बल्कि रिजर्व बैंक के शीर्ष पदों पर भी नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। रिजर्व बैंक के तीन डिप्टी गवर्नर का कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है। पात्र के अलावा डिप्टी गवर्नर टी. रवि शंकर और एम. राजेश्वर राव का कार्यकाल अगले साल मई और अक्टूबर में खत्म होगा।