केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 12 जून को होने वाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में कोविड राहत से जुड़ी आवश्यक सामग्रियों और ब्लैक फंगस की दवाओं पर जीएसटी दर में कटौती पर विचार किया जा सकता है।
मंत्रिसमूह द्वारा परिषद को सोमवार को सौंपी गई रिपोर्ट के बाद यह बैठक होने जा रही है। परिषद द्वारा 28 मई को गठित मंत्रिसमूह को कोविड संबंधित सामग्रियों – टीका, दवाएं एवं उपकरणों आदि पर कर छूट एवं रियायत देने पर विचार करने का जिम्मा सौंपा गया था। मंत्रिसमूह की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-रोधी टीके पर जीएसटी दर में किसी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की गई है। देश में बने टीके पर अभी 5 फीसदी जीएसटी लगता है, वहीं कोविड संबंधित दवाओं और ऑक्सीजन कन्संट्रेटर पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा मंत्रिसमूह ने पीपीई किट (5 फीसदी), एन97 और सर्जिकल मास्क (5 फीसदी) तथा एंबुलेंस (28 फीसदी) पर मौजूदा जीएसटी की दर बरकरार रखने का प्रस्ताव किया है।
हालांकि आयात एवं घरेलू आपूर्ति वाले कोविड संबंधित दवाओं एवं सामग्रियों में से अधिकांश पर जीएसटी अस्थायी तौर पर शून्य से लेकर 5 फीसदी करने का सुझाव दिया है। इनमें चिकित्सा ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, जांच किट आदि शामिल हैं। थर्मामीटर पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने का सुझाव दिया गया है।
टीके पर मंत्रिसमूह ने कहा, ‘टीके पर जीएसटी दर विवादास्पद मसला है। इसके सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया और शून्य से लेकर 0.1 फीसदी जीएसटी के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया। लेकिन व्यापक विचार-विमर्श के बाद मंत्रिसमूह का मानना है कि टीके की खरीद के विभिन्न स्तर पर अलग-अलग कर ढांचा रखना व्यवहार्य नहीं होगा।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी इस रिपोर्ट का अवलोकन किया है। इसके साथ ही अधिकांश टीके की खरीद केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही है और लोगों को मुफ्त में दिया जा रहा है। ऐसे में जीएसटी घटाने से लोगों, सरकार और विनिर्माता को कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए टीके पर जीएसटी दर में बदलाव से आपूर्ति, मांग या ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा अगर कर से छूट दी गई या 0.1 फीसदी कर लगाया गया तो इससे घरेलू विनिर्माताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
जीएसटी परिषद के निर्णय के अनुसार मुफ्त आवंटन के लिए आयात किए गए कोविड टीके या भुगतान के आधार पर आयातित टीकों को बुनियादी सीमा शुल्क और आईजीएसटी से 31 अगस्त तक छूट देने का निर्णय पहले ही किया जा चुका है, जिसकी अवधि जरूरत पडऩे पर बढ़ाई जा सकती है।
मंत्रिसमूह ने कहा कि कोविड के उपचार में उपयोग होने वाली दवाओं को खर्च मरीजों द्वारा वहन किया जाता है और वे काफी महंगी भी हैं। ऐसे में चुनिंदा दवाओं पर जीएसटी दरों में कमी करने पर विचार किया गया।
कोविड संबंधित वस्तुओं एवं उपकरणों पर कर घटाने के प्रस्ताव पर 28 मई को जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा की गई थी लेकिन इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया क्योंकि केंद्र सरकार का मानना था कि इससे आम लोगों को कोई लाभ नहीं होगा।
