बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई ने बुधवार को रीपो दर अचानक 40 आधार अंक तक घटाकर 4.4 प्रतिशत और नकदी आरक्षी अनुपात (सीआरआर) 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर बाजारों को चौंका दिया। विश्लेषकों का मानना था कि केंद्रीय बैंक द्वारा जून में यह दर वृद्घि किए जाने की संभावना थी।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के सह-मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी का कहना है, ‘दर में वृद्घि हालांकि संभावित थी, लेकिन इसकी संभावना जून की नीतिगत समीक्षा में जताई जा रही थी। इस घोषणा में दर वृद्घि की मात्रा (40 आधार अंक) भी आश्चर्यजनक है, क्योंकि बाजारों को आरबीआई द्वारा 25 आधार अंक वृद्घि का अनुमान था। भविष्य में प्रमुख सूचकांक अमेरिकी फेड और अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंकों के रुझानों पर निर्भर करेंगे।’ इन घटनाक्रम से बाजार में गिरावट आई है। बीएसई का सेंसेक्स 1300 अंक गिरकर 55,669 पर बंद हुआ। दूसरी तरफ निफ्टी-50 भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
नोमुरा में भारत और एशिया (जापान को छोड़कर) के लिए मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने अरोदीप नंदी के साथ मिलकर तैयार की गई ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘भारत नीति सामान्यीकरण चक्र के कगार पर है। वित्त वर्ष 2023 में ऊंची सीपीआई मुद्रास्फीति का मतलब होगा नीतिगत सुधारों में विलंब होना। हमें वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही तक रीपो दर में 200 आधार अंक वृद्घि की आशंका है जिससे टर्मिनल रीपो दर 2023 की तीसरी तिमाही तक बढ़कर 6 प्रतिशत हो जाएगी।’
अप्रैल में हुई पिछली नीतिगत बैठक में आरबीआई की मौद्रिक नीतिगत समिति (एमपीसी) ने अपना ध्यान रूस-यूक्रेन युद्घ के बाद भारत में बढ़ी मुद्रास्फीति से मुकाबले पर केंद्रित किया।
