भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान नोट छापने या प्रिंट करने पर हजार दो हजार नहीं बल्कि 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं।
केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई ने नोट प्रिंटिंग पर 5,101 करोड़ रुपये खर्च किए।
वहीं, एक साल पहले की इसी अवधि यानी 2022-23 में आरबीआई (RBI) ने नोट की प्रिंटिंग (Note Printing) पर 4,682 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
रिजर्व बैंक ने लोगों के बीच करेंसी के इस्तेमाल को लेकर एक सर्वे भी किया है। इसमें 22,000 से ज्यादा लोगों ने संकेत दिए कि डिजिटल भुगतान (Digital Payment) के तरीके फेमस होने के बावजूद कैश का इस्तेमाल घटा नहीं है और यह अभी भी ट्रेंड में हैं।
मार्केट में 500 रुपये की हिस्सेदारी बढ़ी
इसके अलावा आरबीआई (RBI) ने बताया कि मौजूद कुल करेंसी में 500 रुपये के वेल्यू वाले नोट की हिस्सेदारी मार्च, 2024 तक बढ़कर 86.5 प्रतिशत हो गई। यह एक साल पहले की इसी अवधि में 77.1 प्रतिशत थी।
केंद्रीय बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में इस उछाल के लिए पिछले साल मई में 2,000 रुपये मूल्य के नोट को वापस लेने की घोषणा को मुख्य वजह बताया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2024 तक मात्रा के हिसाब से 500 रुपये के सर्वाधिक 5.16 लाख नोट मौजूद थे, जबकि 10 रुपये के नोट 2.49 लाख संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहे।