भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की जून बैठक के बाद रेपो रेट को 0.50% घटाकर 5.5% कर दिया है। यह फैसला बदलते वैश्विक और घरेलू आर्थिक हालात की गहराई से समीक्षा के बाद लिया गया। साथ ही, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को घटाकर 5.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) व बैंक रेट को 5.75% कर दिया गया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कटौती आर्थिक ग्रोथ को सपोर्ट देने के उद्देश्य से की गई है।
RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4% से घटाकर 3% करने का फैसला भी लिया है। यह कटौती चार समान किस्तों में की जाएगी – 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर से लागू होगी। इससे बैंकों के पास कुल ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी, जिससे लोन सस्ते होने और कर्ज देने की क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।
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गवर्नर ने कहा कि महंगाई दर अब RBI के टॉलरेंस बैंड से काफी नीचे आ चुकी है। अक्टूबर 2024 में जहां महंगाई 6% से ऊपर थी, अब वह घटकर 3.2% रह गई है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CPI महंगाई का औसत अनुमान घटाकर 3.7% कर दिया गया है, जो पहले 4% था। यह राहत खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी और अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी प्राइसेज़ में गिरावट की वजह से आई है।
हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर दिख रही है, लेकिन RBI ने भारत की वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ दर 6.5% रहने का अनुमान दोहराया है। RBI के मुताबिक Q1 में ग्रोथ 6.5%, Q2 में 6.7%, Q3 में 6.6% और Q4 में 6.3% रहने की संभावना है। गवर्नर ने कहा कि जोखिम संतुलित हैं, और निजी खपत व निवेश को बढ़ावा देने की ज़रूरत बनी हुई है।
पिछले कुछ महीनों में 100 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती के बाद, RBI ने अब नीति रुख ‘Accommodative’ से बदलकर ‘Neutral’ कर दिया है। इसका मतलब है कि अब आगे की मौद्रिक नीति दरें पूरी तरह डेटा, वैश्विक माहौल और महंगाई-ग्रोथ बैलेंस पर निर्भर होंगी। RBI का मानना है कि अब नीति के पास सीमित स्पेस बचा है, इसलिए हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भले ही दुनिया में पूंजी फ्लो और करेंसी को लेकर भारी उतार-चढ़ाव बना हुआ है, लेकिन भारत इन हालातों में मज़बूती, स्थिरता और अवसरों की तस्वीर पेश करता है। उन्होंने बताया कि भारत की मजबूती की तीन प्रमुख वजहें हैं – संतुलित बैलेंस शीट (कॉरपोरेट, बैंक, घरेलू, सरकार, और विदेशी क्षेत्र), तीनों मोर्चों पर स्थिरता (कीमतें, वित्तीय और राजनीति), और निवेश के लिए आकर्षक माहौल।
गवर्नर ने यह भी बताया कि FDI में तेज़ी भारत की भरोसेमंद छवि को दर्शाता है। इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार इतना मजबूत है कि यह 11 महीने तक के माल आयात और 96% तक के बाहरी कर्ज को कवर कर सकता है। बाहरी कर्ज और NRI जमा में भी इस साल ज्यादा नेट इनफ्लो देखने को मिला है, जिससे भारत का एक्सटर्नल सेक्टर और मजबूत हुआ है।
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