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RBI की पॉलिसी में सरप्राइज और संकेत दोनों; महंगाई काबू में, अब फोकस ग्रोथ पर: SBI रिपोर्ट

CRR में 100 बीपीएस की कटौती से दिसंबर 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी आ सकती है।

Last Updated- June 06, 2025 | 8:12 PM IST
Reserve Bank of India Offline Digital Rupee

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया मौद्रिक नीति पर SBI की Ecowrap रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दृष्टिकोण में स्पष्ट बदलाव करते हुए विकास को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, 50 बेसिस प्वाइंट की रीपो रेट कटौती और चरणबद्ध तरीके से कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में 100 बीपीएस की कटौती ने आर्थिक विस्तार को बल देने की मंशा स्पष्ट कर दी है। यह कटौती सितंबर से दिसंबर 2025 के बीच लागू होगी।

ग्रोथ पर जोर, महंगाई नियंत्रण में

RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% रखा है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती, सेवाओं में विस्तार, कॉरपोरेट बैलेंस शीट में सुधार और सरकार द्वारा पूंजीगत खर्च में वृद्धि पर आधारित है। साथ ही, CPI महंगाई अनुमान को 4.0% से घटाकर 3.7% किया गया है, जिसका श्रेय बेहतर मॉनसून और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी को दिया गया है।

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CRR कटौती से ₹2.5 लाख करोड़ की नकदी

रिपोर्ट बताती है कि CRR में कटौती से M0 (बेस मनी) घटेगा और मनी मल्टिप्लायर में 20–30 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होगी, जिससे लिक्विडिटी को मजबूती मिलेगी। CRR में 100 बीपीएस की कटौती से दिसंबर 2025 तक बैंकिंग सिस्टम में ₹2.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी आ सकती है। इससे बैंकों की फंडिंग लागत घटेगी और क्रेडिट मार्केट तक मौद्रिक नीति का असर बेहतर तरीके से पहुंचेगा।

भारतीय स्टेट बैंक की समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांति घोष कहती हैं कि यह फैसला चौंकाने वाला जरूर है, लेकिन यह Lucas Hypothesis को दर्शाता है, जिसमें कहा गया है कि अगर नीतिगत बदलाव अचानक किए जाएं और सही तरीके से संवाद किया जाए, तो वे अर्थव्यवस्था पर असरदार साबित हो सकते हैं। इससे उम्मीदें नियंत्रित रहती हैं और नीति की विश्वसनीयता भी बनी रहती है।

बैंकिंग सेक्टर के मार्जिन पर प्रभाव

कुल 100 बीपीएस की रीपो रेट कटौती का असर बैंकिंग क्षेत्र में धीरे-धीरे दिख रहा है। लगभग 60% ऋण EBLR से जुड़े हैं, जिससे औसत लेंडिंग रेट पर लगभग 30 बीपीएस की गिरावट आएगी। साथ ही, फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग्स अकाउंट रेट में भी कटौती देखी गई है। SBI का मानना है कि अगले कुछ महीनों में डिपॉजिट दरों में और गिरावट संभव है।

CRR कटौती से बैंकों की NIM (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) में 3–5 बीपीएस तक सुधार हो सकता है, जो कि रीपो रेट कटौती से घटते लेंडिंग रेट के प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित करेगा।

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RBI की पॉलिसी: सरप्राइज + संकेत

रिपोर्ट का शीर्षक “RBI Governor Turns Lucas But Speaks in Signals” यह दर्शाता है कि नीति में सरप्राइज तत्व (जैसे CRR कटौती) के साथ-साथ एक संतुलित संवाद रणनीति अपनाई गई है। Lucas Hypothesis के अनुरूप, RBI ने अप्रत्याशित लेकिन प्रभावी नीतिगत बदलाव कर बाजार में स्पष्ट संदेश दिया है।

SBI की Ecowrap रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि RBI का प्राथमिक उद्देश्य अब ग्रोथ को सपोर्ट करना है, जबकि महंगाई पर निगरानी बनी रहेगी। हालांकि अब आगे के लिए नीतिगत जगह सीमित है, इसलिए अगले तिमाही में किसी बदलाव की संभावना नहीं दिखती।

First Published - June 6, 2025 | 8:12 PM IST

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