RBI MPC Meeting 2025 Updates:: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को सर्वसम्मति से रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह जानकारी दी। यह इस साल की दूसरी कटौती है। इससे पहले फरवरी में RBI ने करीब पांच साल बाद पहली बार रीपो रेट को घटाकर 6.5% से 6.25% किया था। इसके साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को 6% से घटाकर 5.75% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया गया है।
MPC ने अब अपने नीति रुख को ‘उदारवादी’ (Accommodative) में बदल दिया है। जहां ‘न्यूट्रल’ रुख में RBI महंगाई और विकास की स्थिति के हिसाब से दरें घटाने या बढ़ाने दोनों की गुंजाइश रखता है, वहीं ‘उदारवादी’ रुख में केंद्रीय बैंक का जोर आर्थिक विकास को सहारा देने और ब्याज दरें घटाने पर होता है। इसके उलट, ‘विथड्रॉअल ऑफ एकॉमोडेशन’ का मतलब होता है महंगाई पर काबू पाने के लिए दरें बढ़ाना या सख्त मौद्रिक नीति अपनाना।
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मुख्य घटनाएं
PGIM इंडिया म्युचुअल फंड फिक्स्ड इनकम के हेड पुनीत पाल ने कहा, “रीपो रेट में कटौती की उम्मीद पहले से ही बाजार को थी, लेकिन नीति रुख में बदलाव को लेकर बाजार बंटा हुआ था। पॉलिसी से पहले नरम रुख (dovish policy) की उम्मीद में बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखने को मिली थी, और MPC की बैठक ने वही उम्मीद पूरी की। हालांकि, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में अचानक तेज उछाल और करेंसी वोलैटिलिटी के चलते बॉन्ड बाजार की प्रतिक्रिया सीमित रही, और 10 साल की बेंचमार्क यील्ड 6.46% पर ट्रेड करती दिखी। हमें उम्मीद है कि 10 साल की बेंचमार्क यील्ड 6.60% से 6.80% के दायरे में बनी रह सकती है।”
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अर्जुन गुहा ठाकुरता ने कहा, RBI ने रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे यह 6.25% से घटकर 6.00% पर आ गया है। यह फैसला बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है। यह दरों में लंबे समय से प्रतीक्षित नरमी के दौर की शुरुआत है, क्योंकि फरवरी 2023 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ था। दर कटौती के साथ-साथ केंद्रीय बैंक ने अपने नीति रुख को 'उदारवादी' (Accommodative) कर दिया है, जो संकेत देता है कि आगे चलकर अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी की स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है।”
RBI गवर्नर ने कहा कि बैंकों में पर्सनल लोन की ग्रोथ को लेकर कोई चिंता नहीं है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देना सरकार और RBI दोनों की साझा जिम्मेदारी है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि सोने के बदले दिए जाने वाले लोन को लेकर प्रस्तावित गाइडलाइंस का मकसद नियमों को सख्त करना नहीं, बल्कि लेंडर्स के कामकाज को व्यवस्थित और संतुलित बनाना है।
RBI गवर्नर ने कहा, “C-KYC को सरल, सुगम और सस्ता बनना हमारी प्राथमिकता है। हम बैंकों और अन्य नियामकीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”
भारतीय रुपया मजबूत स्थिति में है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार अप्रैल तक 676 अरब डॉलर था, जो 11 माह के आयात की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। वर्तमान स्थितियों को देखते हुए भारत किसी परेशानी में नहीं है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, "हमने रीपो रेट में कटौती की है, और नीति रुख बदला है जो दर्शाता है कि दरों का रुख नीचे की ओर रहेगा। यह कह पाना कि दरें कहां तक जाएंगी, अभी संभव नहीं है। मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत वाला संजय नहीं, जो इतनी दूर की चीजें देख सकूं। मेरे पास कोई दिव्य दृष्टि नहीं है।"
RBI गवर्नर ने कहा, “रीपो रेट कटौती का असर तेजी से पहुंचे, इसके लिए केंद्रीय बैंक पर्याप्त लिक्विडिटी बनाए रखेगा।”
RBI गवर्नर ने कहा, “वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते ग्रोथ अनुमान में बदलाव किया गया है।”
RBI गवर्नर ने कहा, “भारत की ग्रोथ पर ट्रंप के टैरिफ का असर चिंता का विषय है। हम महंगाई से ज्यादा आर्थिक विकास पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं।"
MP फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज LLP के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर महेंद्र पाटिल ने कहा, "RBI द्वारा रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6% करना और नीति रुख को 'उदारवादी' (Accommodative) बनाना, वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं और निर्यात में आ रही चुनौतियों के बीच एक सक्रिय और समय पर लिया गया कदम है। खासकर जब नवंबर 2024 से भारत के माल निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “CPI महंगाई में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते बाहरी स्तर पर भी मुद्रास्फीतिक दबाव कम हुआ है, जिससे RBI को संतुलित ढंग से दरों में कटौती का अवसर मिला है। यह कदम घरेलू मांग को मजबूती देने के साथ-साथ उन MSMEs और कॉर्पोरेट्स को राहत देता है जो वैश्विक परिस्थितियों की सख्ती से जूझ रहे हैं। वहीं, $676 अरब के विदेशी मुद्रा भंडार के चलते भारत की मैक्रोइकनॉमिक स्थिरता भी मजबूती से कायम है।"
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को सर्वसम्मति से रीपो रेट (Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया है। अब वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे हैं।
मिलवुड केन इंटरनेशनल के फाउंडर एंव सीईओ निश भट्ट ने कहा, “RBI ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह समय से पहले कदम उठाने वाला केंद्रीय बैंक है। वैश्विक अस्थिरता के बीच जहां एक ओर RBI ने विकास को सहारा देने के लिए दरों में कटौती की है, वहीं उसने ‘न्यूट्रल’ से 'उदारवादी' (Accommodative) नीति रुख की ओर भी तेजी से बदलाव किया है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति परिवर्तन संकेत देता है कि RBI आगे भी जरूरत पड़ने पर दरों में और कटौती करने की स्थिति में है। RBI ने यह भी स्पष्ट किया कि महंगाई नियंत्रण में है और आगे का आर्थिक विकास गैर-मुद्रास्फीतिक (non-inflationary) रहेगा—यह मौद्रिक नीति का एक अहम बिंदु रहा।
RBI ने अपना काम बखूबी किया है और समय पर इंडस्ट्री को ज़रूरी राहत दी है। अब सरकार को चाहिए कि वह अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद का हल निकालने के लिए बातचीत शुरू करे। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, लेकिन ट्रेड टैरिफ, भू-राजनीतिक तनाव और संरक्षणवाद जैसे वैश्विक जोखिमों के चलते सुस्ती की चुनौती बनी हुई है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक सतर्क बना रहेगा और ऐसी नीतियां लागू करेगा जो स्पष्ट, स्थिर, विश्वसनीय हों और देश की अर्थव्यवस्था के हित में हों।
ANAROCK ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि RBI द्वारा रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर उसे 6% किया गया। महंगाई में नरमी को देखते हुए ऐसा अनुमान था। इस साल दूसरी बार रीपो रेट में कटौती हुई है। हालांकि, होम लोन लेने वालों को ब्याज दर में कोई बड़ा या तात्कालिक फायदा शायद ही मिले। बैंकों ने पहले की MPC कटौतियों का भी लाभ ग्राहकों को नहीं दिया है, जिसका कारण हाई फंडिंग लागत, नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव, बढ़ते NPA, और सावधान उधारी माहौल है।
अनुज पुरी का कहना है, “अगर बैंक पिछली दो कटौतियों का लाभ ग्राहकों को देना शुरू करते हैं, तो इससे घर खरीदने वालों को खासकर अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में राहत मिल सकती है। कई पहली बार घर खरीदने वाले, जो अब तक असमंजस में थे, वे होम लोन दरों में गिरावट होने पर फैसला ले सकते हैं।
IndiaBonds डॉट कॉम के को-फाउंडर विशाल गोयनका का कहना है, दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की नीतियों में अंतर साफ दिखाई दे रहा है। एक ओर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रीपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर उसे 6% पर ला दिया है और अपनी पॉलिसी रुख 'उदार' (Accommodative) बना लिया है। वहीं दूसरी ओर, पिछले सप्ताह US फेडरल गवर्नर ने वैश्विक टैरिफ दिक्कतों को विकसित देशों के लिए संभावित महंगाई की वजह बताया था।
रिजर्व बैंक ने FY26 के लिए विकास दर और मुद्रास्फीति के अनुमान घटाकर क्रमशः 6.5% और 4% कर दिए गए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि भारत में खुदरा महंगाई दर कम रहेगी। हालांकि, भविष्य में ब्याज दरों से जुड़े किसी भी कदम का निर्धारण फिर से वैश्विक परिस्थितियों या विश्व अर्थव्यवस्था में किसी बाहरी झटके पर निर्भर करेगा।
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि RBI सक्रिय रहेगा और ऐसी नीतियां लागू करेगा जो स्पष्ट, सुसंगत, विश्वसनीय और अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में हों।
RBI MPC के एलान के बाद कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि रीपो रेट में 25bps की कटौती और पॉलिसी स्टांस को 'उदार' (accommodative) बनाए जाने का फैसला अनुमान के मुताबिक है। वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल और उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर के चलते ग्रोथ धीमी हो रही है। इससे MPC को आगे और ब्याज दरों में अच्छी-खासी कटौती करनी पड़ सकती है। अगर वैश्विक मंदी का असर व्यापक होता है, तो आने वाले वर्ष में 75 से 100 bps की अतिरिक्त कटौती की संभावना है।
RBI ने अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार NPCI को व्यक्ति से कारोबारियों को UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से लेन-देन सीमा में संशोधन की अनुमति देने का प्रस्ताव किया।
वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने कहा, “एक साल में दूसरी बार RBI ने रीपो रेट में 0.25 अंकों की कमी करके महंगी EMI भरने वालों को कुछ राहत देने की कोशिश कि है। रीपो रेट अब 6.25% से घटकर 6.00% हो जायेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि SDF को भी 5.75 कर दिया है। Bank Rate को भी 6.25 कर दिया है इससे बैंकों को जरूरी होने पर RBI से लोन लेने में भी राहत मिलेगी। हालांकि RBI के प्रयासों के बाद भी महंगाई दर RBI के टारगेट के अनुसार है और GDP ग्रोथ भी स्टेबल बनी हुई है, RBI का रेट कम करने का निर्णय जहां अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगा। वहीं, बैंकों और बैंकों के ग्राहकों को बढ़ी राहत देगा। RBI का कहना है कि टैरिफ वार पर भी उसकी नजर बनी हुई है।
गवर्नर ने बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार अप्रैल तक 676 अरब डॉलर था, जो 11 माह के आयात की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि RBI बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है, जो पहले 6.7 प्रतिशत था।
चालू वित्त वर्ष की तिमाहीवार संशोधित वृद्धि दर के अनुमान इस प्रकार हैं:
Q1FY26: 6.7% से घटाकर 6.5%
Q2FY26: 7% फीसदी से घटाकर 6.7%
Q3FY26: 6.5% से बढ़ाकर 6.6%
Q4FY26: 6.5% से घटाकर 6.3%
Q1FY26: 4.5% से घटाकर 3.6%
Q2FY26: 4% से घटाकर 3.9%
Q3FY26: 3.8% पर बरकरार
Q4FY26: 4.2% से बढ़ाकर 4.4%
MPC ने माना कि मौजूदा महंगाई दर लक्ष्य से नीचे है। क्रूड की घटती कीमतें महंगाई को कम करने में मददगार।
मौजूदा माहौल में इकोनॉमी आउटलुक पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
FY26 में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी किया।
आरबीआई ने अपने रूख को ‘न्यूट्रल’ से अकोमडेटिव किया है। रुख में बदलाव से आगे के रेट कट तय करेगा। मौजूदा माहौल में इकोनॉमी आउटलुक पर नजर बनाए रखना जरूरी है।
MPC के सभी सदस्य रीपो रेट में कटौती के पक्ष में थे।
FY26 की शुरुआत चिंताजनक तरीके से हुई है। ग्लोबल अनिश्चितताओं का जोखिम बना हुआ है। पहली तिमाही में कमजोर परफॉर्मेंस के बाद ग्रोथ बनी हुई है। टैरिफ वार को लेकर अनिश्चितताए बढ़ी हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार 9 अप्रैल को नीतिगत दर रीपो रेट को 0.25% घटाकर 6.0% करने का ऐलान किया।
रॉयटर्स द्वारा ट्रंप के टैरिफ ऐलान से पहले कराए गए एक पोल में अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि RBI अपनी 7-9 अप्रैल की बैठक के अंत में बेंचमार्क रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6% तक ला सकता है। उस समय यह भी अनुमान था कि साल के बाकी हिस्से में केवल एक और कटौती हो सकती है।
हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े टैरिफ के बाद विश्लेषक अब इन अनुमानों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि इस हफ्ते की संभावित कटौती के अलावा RBI इस साल और 50 से 75 बेसिस प्वाइंट की अतिरिक्त कटौती कर सकता है, खासकर महंगाई के अनुकूल रुझानों को देखते हुए।
मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले आज शेयर बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई। BSE सेंसेक्स 300 से ज्यादा अंक टूटा। वहीं, निफ्टी 22,450 के नीचे आ गया।
SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड के सीईओ अजय गर्ग ने कहा, “भारत और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी टैरिफ से वैश्विक मंदी का खतरा बढ़ गया है। इससे भारत की निर्यात आय में कमी आ सकती है और देश की आर्थिक विकास की दिशा में अनिश्चितता पैदा हो सकती है। चूंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था अमेरिका के इन जवाबी टैरिफ और संभावित ट्रेड वॉर के असर से जूझ रही है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि RBI अप्रैल बैठक में रीपो रेट में एक बार फिर 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।”
HDFC बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, "महंगाई लगातार कम हो रही है। विकास की बात करें तो तीसरी तिमाही के आंकड़े दूसरी तिमाही से बेहतर रहे हैं। हालांकि, वैश्विक हालात को देखते हुए RBI ग्रोथ को समर्थन देना जारी रखना चाहेगा।" उन्होंने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) अपने रुख को 'उदारवादी' (Accommodative) में बदल सकती है।
बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा ने कहा, “रीपो रेट को स्थिर रखना या उसमें बदलाव करना भारत के हाउसिंग सेक्टर पर निश्चित रूप से बड़ा असर डाल सकता है। अगर रीपो रेट में कटौती होती है, तो इससे होम लोन सस्ते और सुलभ होने के चलते मांग को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, इसका वास्तविक असर इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक इस लाभ को ग्राहकों तक कितनी जल्दी पहुंचाते हैं।”
ब्याज दरों में स्थिरता हाउसिंग डिमांड को बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है, खासकर मिड-रेंज और लग्जरी सेगमेंट में। इससे होम बायर्स और डेवलपर्स दोनों को एक निश्चितता का भाव मिलता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के पोल में शामिल सभी 10 विशेषज्ञों का कहना है कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) अप्रैल बैठक में रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकती है। इससे पहले फरवरी में भी इतनी ही कटौती की गई थी।
बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा ने कहा कि आगामी MPC बैठक में रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि महंगाई में राहत को देखते हुए यह कदम आर्थिक विकास को रफ्तार देने के इरादे से उठाया जा सकता है, जिससे कई अहम सेक्टर्स को जरूरी सपोर्ट मिलेगा।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक व्यापार तनाव को देखते हुए आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए दरों में बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन मौजूदा हालात नरमी की ओर इशारा कर रहे हैं। ऐसे में दरों में कटौती विकास को गति देने में मददगार साबित हो सकती है।
PGIM इंडिया म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड पुनीत पाल ने कहा, “RBI का वर्तमान रुख विकास को समर्थन देने वाला है और उसने तरलता प्रबंधन (liquidity management) को लेकर एक सक्रिय रुख अपनाया है। बॉन्ड बाजारों में उम्मीद है कि आगामी MPC बैठक में केवल दरों में कटौती ही नहीं, बल्कि मौद्रिक नीति रुख में बदलाव कर उसे “अनुकूल” (accommodative) बनाए जाने की संभावना भी है।” निवेशक शॉर्ट टर्म और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स में निवेश जारी रख सकते हैं
RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, लेकिन इसका बाजार पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है। इसकी वजह यह है कि दुनिया भर में बढ़ते व्यापारिक तनाव से निवेशकों का रुख सतर्क है। खासकर अमेरिका की वजह से शुरू हुआ यह टैरिफ विवाद बाजार के सेंटीमेंट को प्रभावित कर रहा है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि RBI रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा और इसे घटाकर 6% तक ला सकता है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है और घरेलू खपत की रफ्तार भी धीमी हो रही है। ऐसे में ब्याज दरों में कटौती की पूरी संभावना बनती है।
ब्रोकरेज हाउस नुवामा ने कहा, “हमें उम्मीद है कि आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में MPC रीपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकती है और मौद्रिक रुख को “तटस्थ” (neutral) से बदलकर “अनुकूल” (accommodative) कर सकती है।”
नुवामा ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि फरवरी 2025 में हेडलाइन महंगाई दर सालाना आधार पर 3.6% रही, जो कि लक्षित स्तर से नीचे है—इससे RBI को दरों में कटौती के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिलती है। साथ ही, G7 देशों में बॉन्ड यील्ड्स में नरमी से भी नीति निर्माताओं को अतिरिक्त सहारा मिलेगा।
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7 अप्रैल से 9 अप्रैल 2025 तक आयोजित की गई थी। आज 9 अप्रैल को बैठक का आखिरी दिन है और इसके नतीजे आज सुबह 10 बजे RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित किए जाएंगे। इसका लाइव टेलीकास्ट RBI के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा। यह बैठक बेहद अहम है क्योंकि इसके जरिए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए RBI की मौद्रिक नीति की दिशा तय होगी।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) से उम्मीद की जा रही है कि वह घटती महंगाई और सुस्त आर्थिक वृद्धि को देखते हुए रीपो रेट (Repo Rate) में कटौती कर सकती है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बैठक में रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है। मौजूदा 6.25% रीपो रेट को घटाकर 6% किया जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज, 9 अप्रैल को वित्त वर्ष 2025-26 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 7 से 9 अप्रैल तक निर्धारित थी और ब्याज दरों में कटौती पर फैसला आज सामने आएगा।