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तेजी से बहाल हो रही अर्थव्यवस्था, महंगाई से चिंता

Last Updated- December 12, 2022 | 10:31 AM IST

अर्थव्यवस्था उम्मीद से ज्यादा तेजी से पटरी पर आ रही है। तीसरी तिमाही में यह मामूली बढ़ सकती है। लेकिन महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिसंबर बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आई रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की अर्थव्यवस्था कोविड-19 के कारण पैदा हुए गहरे संकट से बाहर निकल रही है और पहले के ज्यादातर अनुमानों की तुलना में इसकी रफ्तार तेज है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी विपरीत हवाएं भी हैं, लेकिन ‘सभी हिस्सेदारों की निरंतर कवायद से भारत तेज वृद्धि की राह पर चल सकता है।
 
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नवंबर के अंत में जारी विज्ञप्ति से पता चलता है कि महामारी के कारण देशबंदी के दौरान पहली तिमाही में छटनी की जो रफ्तार थी, वह दूसरी तिमाही में बहुत सुस्त हो गई।  रिजर्व बैंक नजदीकी अनुमान मॉडल से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में 0.1 प्रतिशत बढ़ेगी। दिसंबर की चौथी द्विमासिक नीति में यह भी अनुमान लगाया गया है कि आर्थिक वृद्धि अक्टूबर में लगाए गए अनुमान की तुलना में 200 आधार अंक ज्यादा रहेगी। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 14.2 प्रतिशत बढ़ेगी।
 
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘साल के लिए विभिन्न एजेंसियों ने संकुचन का जो अनुमान लगाया था, वह कम हो गया है और अगर मौजूदा गति बरकरार रहती है तो साल की अंतिम तिमाही में अर्थव्यवस्था गति पकड़ लेगी, जो आधार अनुमान की तुलना में मजबूत हो सकती है। महामारी के दौरान परिवारों और कंपनियों की बचत बढ़ी है। आर्थिक गतिविधियां बढऩे के साथ बैंक से कर्ज लेने की रफ्तार भी धीरे धीरे बढ़ रही है।   रिपोर्ट  में कहा गया है कि ऐसे में नीति का जोर अब ज्यादा   स्थिर कारकों की ओर बढ़ रहा है और निजी निवेश पर ध्यान बढ़ रहा है साथ ही ‘पूंजीगत व्यय, क्षमता उपयोग और नई क्षमता बनाने पर विचार होने लगा है। 
 
हालांकि कुल वाणिज्यिक निर्यात 23.5 अरब डॉलर रहा है, जिसमें पिछले साल की तुलना में नवंबर में 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन गैर तेल निर्यात कोविड-19 के पहले के स्तर पर पहुंच गया है और लगातार तीन महीने तक ऐसा रहा है। दवा और फार्मा, कृषि, औषधि और लौह अयस्क का कारोबार स्थिर रहा है, जबकि लगातार 9 महीने तक आयात में कमी आई है। नवंबर महीने में तेल का आयात 43.4 प्रतिशत कम हुआ है। लेकिन अब मांग बढऩे के संकेत मिल रहे हैं। रिजïर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर तेल आयात कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच चुका है। 
 
मांग में तेजी की वजह से महंगाई के मोर्च पर कुछ दबाव पड़ रहा है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘जिंसों के अंतरराष्ट्रीय दाम बढऩे और घरेलू विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं के दाम पर इसका दबाव बढऩे से फर्में अपना मुनाफा बढ़ाकर घाटा वसूल रही हैं और मांग सामान्य होने से प्रमुख महंगाई पर इसका दबाव बढ़ा है।  सितंबर से भारत कोविड-19 संक्रमण के प्रबंधन में सफल हुआ है, केवल कुछ स्थानीय स्तर पर इसमें तेजी आई है। रिकवरी दर 95 प्रतिशत के करीब है और टीके का विकास अग्रिम अवस्था में है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रोत्साहन पैकेज के कदमों से भी निवेश और खपत की मांग बढ़ाने में मदद मिली है। 
 
इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर राजकोषीय प्रोत्साहन से 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद में 2 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है।  ज्यादातर कंपनियों की 12 महीने आगे की कमाई के अनुमान से परिदृश्य में सुधार के संकेत मिलते हैं। ऑटो और पूंजीगत वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में, जो लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए थे, कमाई बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं। स्वास्थ्य, सूचना तकनीक और रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान (एफएमसीजी) की कमाई तेज है।  नकदी की स्थिति भी ठीक बनी हुई है और बैंकों ने दीर्घावधि रीपो परिचालन (एटीआरओ) से लिए गए 37,348 करोड़ रुपये वापस कर दिए हैं। 

First Published - December 24, 2020 | 9:10 PM IST

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