विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न जिलों का सालाना निर्यात रैंकिंग सूचकांक तैयार करने में मदद देगा ताकि प्रत्येक जिले को उसकी निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता के आधार पर स्थान दिया जा सके। वाणिज्य मंत्रालय ने आज यह जानकारी दी। इस समय केंद्र सरकार निर्यात संवर्धन गतिविधि को विकेंद्रित बनाने के लिए जिलों को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने पर काम कर रही है। पहले निर्यात संवर्धन का काम केंद्र ही संभालता था और छोटी जगहों पर उत्पादित माल एवं सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया से राज्यों एवं जिलों को जोडऩे की कोई व्यवस्था नहीं थी।
एक वर्चुअल संबोधन में वाणिज्य सचिव अनुप वधावन ने कहा, ‘जिले को निर्यात केंद्र के रूप में विकसित करने की पहला का मकसद प्रत्येक राज्य में एक संस्थागत ढांचा तैयार करना, प्रत्येक जिले तक पहुंचना और उस ढांचे का हर जिले का मूल्यांकन उसकी मौजूदा निर्यात गतिविधियों, उन गतिविधियों को बढ़ाने की क्षमता और उन गतिविधियों को आगे ले जाने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाने के आधार पर करना है। प्रत्येक जिले को संगठित किया जा रहा है ताकि प्रत्येक जिला एक निर्यात केंद्र के रूप में अपनी संभावनाएं हासिल कर सके।’
इस मुहिम का मुख्य मकसद घरेलू उत्पादन को बढ़ाना और स्थानीय उत्पादों एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने में जिलों को सक्रिय भागीदार बनाना है। मंत्रालय ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य एमएसएमई, किसानों, लघु उद्योगों को विदेशी बाजारों में निर्यात अवसरों का फायदा उठाने में सक्षम बनाना और आत्मनिर्भरता के लिए जिले की अगुआई में निर्यात वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना है।’
इसके तहत एक जिला निर्यात कार्ययोजना बनाई जाएगी, जिसमें जिले में निर्यात की संभावना वाले उत्पादों एवं सेवाओं को चिह्नित करना शामिल होगा। मंत्रालय ने कहा, ‘इस योजना में संस्थागत या अन्य जिम्मेदारियां, नीति की विशेेषताएं, नियामकीय एवं परिचालन सुधार, उत्पादक या खेत से गंतव्य निर्यात स्थल तक की पूरी मूल्य शृंखला में आवश्यक बुनियादी ढांचा, सुविधाएं एवं लॉजिस्टिक शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा इसमें उत्पादन, उत्पादकता या प्रतिस्पर्धी क्षमता, डिजाइन के लिए जरूरी सुधार, उत्पादकों का निर्यातकों से गठजोड़, एग्रीगेशन, कोल्ड चेन के जरिये परिवहन, आयात-निर्यात औपचारिकताएं आदि शामिल हैं। इसमें जीआई उत्पादन, पंजीकरण, विपणन एवं निर्यात की अड़चनों को भी चिह्नित किया जाएगा।’
इस योजना की सबसे पहले घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी। वधावन ने यह भी कहा कि सरकार के लिए इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस प्रमुख प्राथमिकता है। वधावन ने कहा, ‘हमारा प्रयास सभी मंजूरी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन और डिजिटल बनाना, उन्हें कागज विहीन बनाना और सरकार एवं भागीदारों के बीच आमने-सामने के संवाद को कम करना है। डीजीएफटी इस प्रयास में सबसे आगे है। डीजीएफटी की लगभग सभी योजनाएं डिजिटल हैं। आवेदन एवं मंजूरी प्रक्रिया कागज रहित है। आवेदनों को इलेक्ट्रनिक तरीके से निपटाया जाता है। थोड़े ही समय में डीजीएफटी की सभी प्रक्रियाएं कागज रहित एवं ऑनलाइन बना जाएंगी।’
ऐसे कदमों से विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रैंकिंग के ट्रेडिंग अक्रोस बॉर्डर्स संकेतक में भारत का स्थान सुधारने में मदद मिलने की संभावना है। इससे कागज रहित नियामकीय माहौल बनेगा और नीतियों में पारदर्शिता आएगी।
