अर्थव्यवस्था

पुतिन की भारत यात्रा से रूस को निर्यात बढ़ाने की उम्मीद, प्रतिबंधों के बीच बन सकता है व्यापार का नया रास्ता

सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि भारत और रूस के बीच कुल व्यापार वित्त वर्ष 2022 में 8.73 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 68.7 अरब डॉलर हो गया

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श्रेया नंदी   
Last Updated- December 02, 2025 | 10:01 PM IST

पिछले तीन वर्षों में भारत का रूस के साथ माल व्यापार तेजी से बढ़ा है, लेकिन युक्रेन से चल रहे युद्ध की छाया में प्रतिबंधों के दबाव, ढुलाई में व्यवधान और बाजार पहुंच जैसी चुनौतियों के कारण निर्यात वृद्धि धीमी बनी हुई है। अब 4 दिसंबर से शुरू हो रही राष्ट्रपति पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा से स्थिति में बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि भारत और रूस के बीच कुल व्यापार वित्त वर्ष 2022 में 8.73 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 68.7 अरब डॉलर हो गया। इस बढ़ोतरी का प्रमुख कारण भारत द्वारा रूस से बड़ी मात्रा में तेल की खरीद है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आवक शिपमेंट वित्त वर्ष 2022 में 5.48 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 63.8 अरब डॉलर हो गया है, जबकि निर्यात 3.5 अरब डॉलर से बढ़कर केवल 4.88 अरब डॉलर रहा।

निर्यातकों ने कहा कि आने वाले समय में भी रूस को निर्यात में वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह सीमित ही रहेगी, क्योंकि युद्ध की वजह से पश्चिमी देश आर्थिक प्रतिबंधों के माध्यम से रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं। कारोबार वृद्धि में यह सबसे बड़ी बाधा है। पर्याप्त कंटेनर लदान नहीं होने के कारण लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं और मुद्रा मुख्य रूप से रूबल में उतार-चढ़ाव ने भी भारतीय वस्तुओं की खरीद को महंगा कर दिया है। भारत से रूस को मुख्य रूप से इंजीनियरिंग सामान, दवाएं और फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, कोयला, समुद्री उत्पाद आदि निर्यात किया जाता है।

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उन्होंने कहा कि डेरी, समुद्री उत्पाद और फार्मास्युटिकल जैसे कुछ क्षेत्रों में बाजार पहुंच अभी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। लेकिन, चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-अक्टूबर) में समुद्री निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है। हालांकि यह 9.07 करोड़ डॉलर पर ही अटकी है। इसके अलावा, पिछले साल भारतीय निर्माताओं को रक्षा उपकरणों सहित अन्य वस्तुओं का रूस को निर्यात नहीं करने की अमेरिकी सरकार की चेतावनी के कारण स्थिति और विकट हो गई है। अब कंपनियां ऐसे आइटम निर्यात करने में झिझक रही हैं, जो प्रकृति में दोहरे उपयोग वाले हैं। क्योंकि  उनका रूस की मिसाइल प्रणालियों में उपयोग का जोखिम है।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने कहा, ‘व्यापार के मामले में अमेरिका से जुड़ी बड़ी कंपनियां रूस को निर्यात करने में कतरा रही हैं। भू-राजनीतिक स्थिति में सुधार हुआ तो इसका सीधा असर रूस को होने वाले निर्यात पर पड़ेगा।’ व्यापार प्रतिबंध और भू-राजनीतिक चुनौतियां रूस को इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में गिरावट का प्रमुख कारण रही हैं। हालांकि भारत से होने वाले निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इसी सेगमेंट की है। इंजीनियरिंग सामान का निर्यात वित्त वर्ष 2024 में 1.36 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 1.26 अरब डॉलर पर आ गया है।

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फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) ने भी चड्ढा ये सहमति जताई। संगठन के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय सहाय ने कहा, ‘प्रतिबंधों के बाद बड़ी कंपनियां रूस के साथ व्यापार करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। रूस को अधिकांश निर्यात छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। इसका सीधा असर निर्यात वृद्धि पर पड़ रहा है।’ लेकिन, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिनमें हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके निर्यात ने वित्त वर्ष 25 के दौरान 1 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।

उन्होंने कहा, ‘कॉफी, खाद्य उत्पादों और होम टेक्सटाइल, ऑटो उपकरणों की मांग बढ़ रही है।’ अब सभी निगाहें इस सप्ताह के अंत में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा पर टिकी हैं।

First Published : December 2, 2025 | 9:56 PM IST