Manufacturing PMI August 2025: भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने अगस्त में मजबूत ग्रोथ दर्ज की गई। सोमवार को जारी एक प्राइवेट सर्वे के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग परचेज़िंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 59.3 के नए हाई पर पहुंच गया। डिमांड में सुधार के दम पर अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी रही। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
इससे पहले जुलाई में, HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI, जिसे एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित किया गया था, 16 महीने के उच्च स्तर 59.1 पर पहुंचा था।
हेडलाइन फिगर में यह बढ़ोतरी उत्पादन वॉल्यूम में तेजी को दर्शाती है, जो लगभग पांच साल में सबसे तेज है। सर्वे में शामिल व्यवसायों ने इनपुट स्टॉक्स में बढ़ोतरी की रिपोर्ट दी, जबकि फिनिश्ड प्रोडक्ट्स का इन्वेंटरी भी नौ महीनों में पहली बार बढ़ा।
HSBC के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजल भंडारी ने कहा, “अगस्त में भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI एक नई ऊंचाई पर पहुंचा, जिसका मुख्य कारण उत्पादन में तेज विस्तार है। अमेरिकी की ओर से भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ बढ़ाने से नई एक्सपोर्ट ऑर्डर्स की ग्रोथ में थोड़ी नरमी आई हो सकती है, क्योंकि अमेरिकी खरीदार टैरिफ की अनिश्चितता के बीच ऑर्डर देने से बच रहे हैं। हालांकि, कुल ऑर्डर्स की वृद्धि बेहतर बनी रही, जिससे घरेलू ऑर्डर्स मजबूत रहे और अर्थव्यवस्था पर टैरिफ-सम्बंधित दबाव को कम किया। भविष्य में उत्पादन को लेकर मैन्युफैक्चर्स का रुख पॉजिटिव बना हुआ है।”
नए ऑर्डर लगातार मजबूती से आते रहे, जुलाई की रफ्तार के बराबर- जो पिछले 57 महीनों में सबसे तेज थी। सबसे मजबूत बिक्री और प्रोडक्शन परफॉर्मेंस इंटरमीडियेट गुड्स कैटेगरी में देखा गया। इसके बाद कैपिटल गुड्स और फिर कंज्यूमर गुड्स का स्थान रहा। सर्वेक्षण किए गए व्यवसायों ने हाई इनपुट स्टॉक्स की सूचना दी, जबकि तैयार माल का स्टॉक भी नौ महीने बाद पहली बार बढ़ा।
इंटरनेशनल ऑर्डर में ग्रोथ थोड़ी धीमी रही, जो पिछले पांच महीनों में सबसे कमजोर रही। कंपनियों ने एशिया, यूरोप, पश्चिम एशिया और अमेरिका से नए काम हासिल करने की जानकारी दी।
इस मजबूती का अधिकांश श्रेय घरेलू खरीदारों को जाता है, जिनके अनुसार सफल ऐड कैम्पेन ने मदद की। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मांग में दबाव के संकेत दिखे। निर्यात ऑर्डर पिछले पांच महीनों में सबसे धीमी गति से बढ़े, जिसे विश्लेषकों ने अमेरिकी टैरिफ में हालिया ग्रोथ से जोड़ा।
कंपनियों ने अतिरिक्त सामग्री की खरीद तेज की और कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई। वे आंशिक रूप से बिजनेस आउटलुक को लेकर पॉजिटिव हैं। ग्रोथ रेट 16 महीने के हाई पर पहुंच गई, जो लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर है। भारतीय मैन्युफैक्चरर अपनी वर्कफोर्स एक्सपेंशन जारी रखे हुए हैं। अगस्त में रोजगार 18वें लगातार महीने बढ़ा। हालांकि जॉब जेनरेशन नवंबर 2024 के बाद सबसे धीमी गति से हुआ, फिर भी यह ऐतिहासिक रूप से मजबूत बना रहा।
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July | 59.1 |
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Source: HSBC | |