बीते वित्त वर्ष 2024 में तीन साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद चालू वित्त वर्ष में भी निजी निवेश में गिरावट आने के आसार हैं। बुधवार को जारी इंडिया रेटिंग्स के शोध पत्र से इसका खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय खातों के हालिया आंकड़ों और कंपनी फाइलिंग के रुझानों के आधार पर रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि 31 मार्च को खत्म होने वाले वित्त वर्ष 2025 में निजी क्षेत्र का निवेश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 11 फीसदी से भी कम होने की आशंका है। इससे पहले वित्त वर्ष 2024 में निजी निवेश जीडीपी का 11.2 फीसदी था, जो वैश्विक महामारी कोविड-19 से पहले के वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान औसतन 11.8 फीसदी था।
सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) से जीडीपी के अनुपात में मापी गई निवेश दर वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान 29.9 फीसदी पर स्थिर थी। रेटिंग एजेंसी ने इसके लिए कई कारण गिनाए हैं, जिनमें परियोजनाओं के कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयां, बैंकिंग क्षेत्र में उच्च गैर-निष्पादित आस्तियां, कमजोर घरेलू और बाहरी मांग शामिल हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ‘वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वित्त वर्ष 2021 में यह दो दशक के निचले स्तर 27.5 फीसदी पर पहुंच गया था। इसके बाद वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2023 के दौरान निवेश दर में मामूली सुधार देखने को मिला था। मगर वित्त वर्ष 2024 में यह कम होकर 32 फीसदी हो गई थी और दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में यह और कम होकर 31.1 फीसदी रह सकती है।’
वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया था कि साल 2047 विकसित देश बनने के लिए भारत को अगले दो दशकों तक लगातार 8 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर से बढ़ना होगा। इसके लिए कम से कम 35 फीसदी निवेश दर की जरूरत बताई गई थी, जिसमें निजी क्षेत्र को अग्रणी भूमिका निभाने की भी बात कही गई थी।
एजेंसी ने कहा है, ‘मगर नए टैरिफ युद्ध के कारण शुरू हुई भू राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए यह चुनौती भर लग रहा है, जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियां भी निवेश के प्रति सतर्क रुख अपनाएंगी और इसके अलावा परिवारों की बचत दर (जो निवेश के लिए अर्थव्यवस्था में प्रमुख वित्तपोषक है) में भी गिरावट आ रही है।’वित्त वर्ष 2024 में पूरी निवेश दर की क्षेत्रीय संरचना देखने से पता चलता है कि नरमी मुख्य रूप से सेवाओं (जो 20 आधार अंक गिरकर 19.3 फीसदी हो गई) और औद्योगिक क्षेत्रों (जो 10 आधार अंक कम होकर 10.1 फीसदी रह गई) के कारण ही थी।