अर्थव्यवस्था

पहली छमाही में बढ़ा निजी निवेश, मैन्युफैक्चरिंग- मेटल और बिजली क्षेत्र की नई परियोजनाओं से आई तेजी

प्रोजेक्ट्स टुडे की निवेश परियोजनाओं की 100वीं सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि ससतु, पेट्रो रसायन, उर्वरक, प्लास्टिक और वाहन परियोजनाओं से कुल निजी निवेश को बढ़ावा मिला है।

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विकास धूत   
Last Updated- October 26, 2025 | 9:34 PM IST

निजी निवेश में तेजी का संकेत दिख रहा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में निजी निवेश योजनाओं के मूल्य में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई। करीब 1,800 परियोजनाओं में 10.55 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 5.69 लाख करोड़ रुपये था।

निवेश पर नजर रखने वाली फर्म प्रोजेक्ट्स टुडे के आंकड़ों के अनुसार नई परियोजनाओं में कुल निवेश मूल्य चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 62 फीसदी बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। इससे वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में कुल निवेश 34 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की तुलना में 22.3 फीसदी अधिक है।

निजी क्षेत्र का नया पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 41 फीसदी बढ़कर 24 लाख करोड़ रुपये रहा। विनिर्माण और बिजली क्षेत्र की परियोजनाओं में तेजी आई है जबकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय धीमी हुई है। विदेशी निवेशकों की पूंजीगत व्यय योजनाएं 130 फीसदी बढ़कर 3.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गईं और निजी क्षेत्र की घरेलू कंपनियों के पूंजीगत खर्च योजना में 32 फीसदी की वृद्धि देखी गई। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में घोषित लगभग 34 लाख करोड़ रुपये के नए निवेश में निजी निवेश का योगदान 70 फीसदी से भी अधिक है। इसकी तुलना में नए पूंजीगत व्यय में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही और दूसरी छमाही में लगभग 61 फीसदी थी।

केंद्र सरकार की नई निवेश योजनाएं दूसरी तिमाही में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 15 फीसदी बढ़कर 2.07 लाख करोड़ रुपये हो गईं जबकि राज्यों की नई पूंजीगत व्यय परियोजनाओं में 36 फीसदी की वृद्धि हुई और कुल 2.38 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई गई। हालांकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्रीय पूंजीगत व्यय 15 फीसदी कम रहा और राज्यों की निवेश परियोजनाओं के मूल्य में 1 फीसदी की गिरावट आई।

प्रोजेक्ट्स टुडे के निदेशक और सीईओ शशिकांत हेगड़े ने कहा, ‘अप्रैल-सितंबर 2025 की अवधि में विनिर्माण और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नए निजी निवेश घोषणाओं में 22 फीसदी की वृद्धि देखी गई। दूसरी छमाही में बुनियादी ढांचे पर खर्च में तेजी और स्थिर उपभोक्ता मांग से निवेश का रुझान और मजूबत होने की उम्मीद है।’

हेगड़े ने कहा, ‘निर्यातोन्मुखी क्षेत्रों में निवेश पर थोड़ा असर दिख सकता है मगर निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, डेटा सेंटर, परिवहन और सामाजिक बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों से कुल निवेश का परिदृश्य उत्साहजनक रह सकता है।’

वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में बुनियादी ढांचे में ताजा निवेश 2.5 फीसदी घटकर 10.87 लाख करोड़ रुपये रह गया और कुल निवेश में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 40.15 फीसदी से घटकर 32.02 फीसदी हो गई। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में नरमी है। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में सरकारी निवेश में मामूली नरमी के बारे में हेगड़े ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में यह रुझान उलट जाएगा और केंद्र तथा राज्य के पूंजीगत निवेश में अच्छी वृद्धि होगी।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच 8.81 लाख करोड़ रुपये की विनिर्माण परियोजनाओं की घोषणा की गई जो वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही की तुलना में 34 फीसदी अधिक है। इससे नए परिव्यय में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 23.7 फीसदी से बढ़कर लगभग 26 फीसदी हो गई।

प्रोजेक्ट्स टुडे की निवेश परियोजनाओं की 100वीं सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि ससतु, पेट्रो रसायन, उर्वरक, प्लास्टिक और वाहन परियोजनाओं से कुल निजी निवेश को बढ़ावा मिला है।

पहली छमाही के दौरान बिजली क्षेत्र में निवेश तेजी से बढ़ा। वह 38.54 फीसदी बढ़कर 12.93 लाख करोड़ रुपये हो गया। ताजा परिव्यय में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 38.1 फीसदी हो गई जो पिछले साल की दूसरी छमाही में 33.6 फीसदी थी। उसे मुख्य तौर पर बड़ी सौर एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं के अलावा मेगा ताप एवं पनबिजली परियोजनाओं से रफ्तार मिली।

खनन क्षेत्र में गतिविधियां सुस्त रहीं। पहली छमाही के दौरान खनन गतिविधियां 15.5 फीसदी घटकर 29,275.5 करोड़ रुपये की रह गईं। पिछली छमाही में काफी संकुचन दिखा था। ओएनजीसी 10,267 करोड़ रुपये की लागत वाली दो तेल एवं गैस अन्वेषण परियोजनाओं के साथ सबसे बड़ी निवेशक रही। सिंचाई क्षेत्र के निवेश में तेजी से सुधार हुआ और पहली छमाही के दौरान वह 1.05 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही के मुकाबले करीब 188 फीसदी अधिक है। विशेष रूप से आंध्र प्रदेश में 81,900 करोड़ रुपये लागत वाली पोलावरम-बंकाचेरला लिंकिंग परियोजना और महाराष्ट्र में 6,394 करोड़ रुपये लागत वाली पोशीर बांध परियोजना जैसी राज्य प्रायोजित नई सिंचाई परियोजनाओं के कारण ऐसा संभव हुआ।

महाराष्ट्र पहली तिमाही में परिव्यय के लिहाज से अपना शीर्ष स्थान राजस्थान के हाथों खोने के बाद दूसरी तिमाही में दोबारा शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा। मगर देश में कुल नई परियोजना निवेश में उसकी हिस्सेदारी दूसरी तिमाही में 25.1 फीसदी से घटकर 19.6 फीसदी रह गई। आंध्र प्रदेश ने इस दौरान लंबी छलांग लगाते हुए 2.89 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया। कुल नए परिव्यय में उसकी हिस्सेदारी करीब 19.2 फीसदी रही जबकि पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा महज 3.4 फीसदी था।

ताजा आंकड़ों ने एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाले राज्य के प्रदर्शन को वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में महाराष्ट्र के बाद दूसरे पायदान पर ला दिया। राज्य में 4.77 लाख करोड़ का निवेश हुआ जो वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में उसके कुल निवेश का करीब 2.8 गुना है। उस समय वह छठे पायदान पर था। गुजरात वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में 3.32 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ तीसरे पायदान पर था।

First Published : October 26, 2025 | 9:34 PM IST