निर्यातकों को विदेशी बाजारों में कमजोर मांग और व्यापार में अन्य बाधाओं से जूझना पड़ रहा है। इसे देखते हुए वाणिज्य विभाग निर्यात को बढ़ावा देने वाली दो योजनाओं को उनकी समाप्ति तिथि से आगे बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इन योजनाओं में निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्क एवं करों में छूट (रोडटेप) और ब्याज समकरण या इक्वलाइजेशन योजना (आईईएस) शामिल हैं।
आईईएस 31 अगस्त तक चलनी है और रोडटेप योजना 30 सितंबर के बाद समाप्त हो जाएगी। मामले से वाकिफ एक व्यक्ति ने बताया कि दोनों योजनाओं के बारे में वाणिज्य और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच जल्द ही बैठक होने वाली है।
वित्त वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट में रोडटेप योजना के लिए के लिए 16,575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मगर विभाग के अनुमान के अनुसार इस योजना के लिए अतिरिक्त रकम की जरूरत होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमारी समीक्षा कहती है कि निर्यात की मौजूदा रफ्तार (जुलाई में 1.5 फीसदी कमी) बरकरार रही तो रोडटेप के लिए आवंटित रकम पर्याप्त होगी। मगर निर्यात में (अगले कुछ महीनों के दौरान) उल्लेखनीय वृद्धि हुई तो हमें अतिरिक्त रकम की जरूरत होगी।’
ऐसे में राज्य एवं केंद्रीय करों एवं शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना के तहत 880 करोड़ रुपये की बचत अथवा बची हुई रकम का उपयोग रोडटेप के लिए किया जा सकता है। आरओएससीटीएल भी निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजना है मगर उसका मुख्य उद्देश्य कपड़ा क्षेत्र को लाभ पहुंचाना है।
अधिकारी ने कहा, ‘कपड़ा निर्यात में वृद्धि नहीं हुई है और वह लगभग स्थिर रहा है। इसलिए चालू वित्त वर्ष में उतनी ही रकम (पिछले साल की तरह) का उपयोग उसी स्तर पर किया जाएगा। आरओएससीटीएल योजना में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी वृद्धि हुई है। ऐसे में रोडटेप के लिए करीब 880 करोड़ रुपये उपलब्ध होने चाहिए।’
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त रकम की जरूरत के बारे में अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में लिया जाएगा। रोडटेप योजना 2021 में लागू हुई थी। इसके तहत भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को इनपुट सामग्री पर चुकाए गए केंद्रीय, राज्य एवं स्थानीय शुल्क वापस करने का प्रावधान है, जिन्हें आम तौर पर लौटाया नहीं जाता।
निर्यातक करीब एक साल से रोडटेप के निए बजट आवंटन बढ़ाने और निर्यात की सभी वस्तुओं के लिए अधिकतम दरों में वृद्धि करने का आग्रह कर रहे हैं ताकि विदेशी बाजारों में उनकी पैठ बढ़ सके।
जहां तक आईईएस का सवाल है तो वाणिज्य विभाग ने अगले पांच साल के लिए योजना के विस्तार का प्रस्ताव दिया है। इस योजना के तहत बैंक निर्यातकों को कम ब्याज दर पर ऋण देते हैं और बैंकों को उस अंतर की भरपाई सरकार करती है।
आईईएस को करीब एक दशक पहले निर्यातकों खासकर श्रम बहुल क्षेत्रों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों के सामने आ रही रकम की किल्लत कम करने के लिए शुरू किया गया था।
जून में सरकार ने एमएसएमई के लिए आईईएस योजना में दो महीने यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दिया था मगर अन्य निर्यातकों को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। किंतु वाणिज्य विभाग इस योजना का विस्तार करते हुए इसमें एमएसएमई के साथ अन्य निर्यातकों को भी शामिल किए जाने पर जोर दे रहा है।